जम्मू-कश्मीर में पहलगाम नरसंहार ने देश और दुनिया के जमीर को झकझोर कर रख दिया है। मासूम नागरिकों पर बिना किसी चेतावनी के हमला करना, गोली मारकर मौत के घाट उतारने से पहले हमलावरों द्वारा धर्म के आधार पर उनकी पहचान किया जाना दिमाग को सुन्न कर देता है। यह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के इतिहास में नीचता के एक नए स्तर को दिखाता है।भारत इस बार पराकाष्ठा की मुद्रा में है। पाकिस्तान पर जो भी कदम उठाए गए हैं उसकी साफ व्याख्या है कि खून के साथ जल नहीं बह सकता। भारत का यह स्टैंड रहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। उसी तरह आतंकिस्तान बन चुके पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि के तहत पानी भी सांझा नहीं किया जा सकता। नरसंहार के बाद पहली बार घाटी में आतंकवाद के खिलाफ मुखर प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। घाटी के राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के साथ-साथ आम लोगों ने भी इस हमले की निंदा करते हुए यह संदेश दिया है कि उनकी आतंकवादियों से किसी भी तरह की सहानुभूति नहीं है। पहलगाम ही नहीं पूरे कश्मीर में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों और मजदूरी करने वाले लोग भी आक्रोश में हैं। देशवासियों को यह भी देखना होगा कि कश्मीरी टट्टू वाले आदिल हुसैन शाह ने पर्यटकों की जान बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी। एक और टट्टू वाले का वीडियो वायरल हुआ है जिसमें अपनी जान पर खेलकर घायल पर्यटक को अपनी पीठ पर लाद कर बाहर निकाला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के मधुबनी में खड़े होकर पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों और पाकिस्तान को दो टूक संदेश दे दिया है कि भारत हर आतंकवादी और उसके समर्थकों की पहचान करेगा। जहां कहीं भी होंगे उन्हें तलाशा जाएगा और उन्हें ऐसा दंड दिया जाएगा जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। प्रधानमंत्री का यह कहना अपने आप में महत्वपूर्ण है कि अब आतंकवाद की बची-खुची जमीन नष्ट करने का समय आ गया है। प्रधानमंत्री का साफ इशारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानि पीओके की तरफ था। पहलगाम हमले के बाद दुनियाभर के नेताओं ने जितनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है उससे भारत को जबरदस्त कूटनीतिक समर्थन प्राप्त हो चुका है। राष्ट्र इस समय पूरी तरह एकजुट है। सभी राजनीतिक दल एक स्वर में बोल रहे हैं और कांग्रेस समेत सभी दलों ने सरकार द्वारा उठाए जा रहे हर एक्शन को अपना समर्थन दे दिया है। आज मुझे युद्ध के आहट के बीच अचानक 7 साल पहले आरएसएस के थिंक टैंक कहे जाने वाले श्रद्धेय इंद्रेश कुमार की वह बातें याद आ गई। जब बागडोगरा एयरपोर्ट पर मुझे उन्होंने विशेष साक्षात्कार दिया था। उन्होंने कहा था देश के लिए अब सबसे बड़ा खतरा है चीन और पाकिस्तान से बना हुआ है। भारत को सुपर पावर बनता देखकर चीन बौखला गया है। इसलिए वह लगातार भारत की सीमाओं पर मैकमोहन लाइन को नहीं मानते हुए विवाद पैदा करना चाहता है। रही बात पाकिस्तान की तो वह अंग्रेजों की गलत नीतियों के चलते पैदा हुआ। तब से लेकर अब तक वह आतंकी हरकत करते चला आ रहा है। यदि उसने आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ा तो आने वाले दिनों में वह विश्व के नक्शे से मिट जाएगा। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार का। सात साल पहले वह अपने छह दिवसीय उत्तर बंगाल, सिक्किम व डोकलाम दौरे से लौटने के क्रम में बागडोगरा हवाई अड्डे पर "वरिष्ठ पत्रकार अशोक झा"' के साथ विशेष बातचीत की थी। उसके कुछ अंश इस प्रकार है।
मेरा प्रश्न : डोकलाम का दौरा करने के बाद आपको क्या लगता है कि चीन शांत बैठेगा ?
जवाब - मुझे नहीं लगता है कि चीन शांत बैठने वाला है। वह भारत के बढ़ते आर्थिक और सैन्य ताकत से घबड़ा उठा है। जिस प्रकार वह पाकिस्तान का समर्थक बनकर आतंकवाद का पक्ष ले रहा है, वह सही नहीं। उसमें भी उसकी कई बार हार हुई है। उसके बाद वह डोकलाम मुद्दे पर भारत की कूटनीतिक जीत से हिल गया है। वह विवाद के लिए नये तरीके खोज रहा है। 1987 में भी अरुणाचल प्रदेश के सोमदोरांग चू इलाके में मुठभेड़ की स्थिति पैदा की थी। उसे भी बातचीत से हल किया गया था। डोकलाम 250 किलोमीटर का वह पठारी इलाका है, जो भूटान की सीमा में है। यह तिब्बत, भूटान और सिक्किम के बीच स्थित सामरिक महत्व का क्षेत्र है। 1988 व 1998 में हुए समझौता का उल्लंघन कर रहा है। चीन अब इसे अक्साई जैसा बनाना चाहता है, परंतु उसे पता नहीं कि आज का भारत वह नहीं है। भारत न तो एक इंच जमीन देना और न एक नागरिक।
मेरा प्रश्न : चीन के विस्तार पर अंकुश कैसे लग पाएगा?
जवाब : - चीन पर अंकुश लगाने से पहले उसके विवाद और उसके विस्तार को समझना जरूरी है। चीन के साथ सीमा विवाद 1834 से ही बना हुआ है। चीन पंचशील समझौते को नहीं मानता है। चीन 18 देशों के पानी पर नियंत्रण कर उनपर दबाव बना रहा है। ये सभी देश अब भारत की ओर आशा भरी निगाह से देख रहे है।भारत सभी को लेकरप्रेशर बनाने की ओर बढ़ रहा है। चीन आर्थिक रुप से मजबूती के लिए जिस प्रकार लगातार भारत में जरुरत की चीजों को भेज रहा है। उस पर आम लोग रोक लगा सकते हैं। चायनीज वस्तु के कारण भारत में तीन करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं। इस मामले में वर्तमान सरकार सजग है।
मेरा प्रश्न : कश्मीर समस्या का समाधान क्या है?
जबाव -कश्मीर समस्या का समाधान भी सही दिशा में बढ़ रहा है। हर देश धर्म और जाति से उपर उठकर पूरी मानवता का दुश्मन आतंकवाद को मान रहा है। पाकिस्तान उसका जन्म स्थली है। अगर समय रहते वह आतंकवाद को बाँय- बाँय नहीं किया तो पाकिस्तान दुनियां के नक्शे पर नहीं होगा। यह बात याद रख लीजिए। सच उनकी दूरदर्शिता को आज नमन करने का मन कर रहा है। सात साल पहले उन्होंने ने जो कहा वह आज धरातल पर है। आज समझ में आया क्यों राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वह थिंक टैंक माने जाते है? शायद पाकिस्तान के हुकमरान भूल गए कि अपने 90 हजार सैनिकों को मुक्त कराने के लिए तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भुट्टो किस तरह शिमला में इंदिरा गांधी के सामने मिमियाये थे। जिस मुल्क ने भुट्टो को ही फांसी पर चढ़ा दिया और उन पर लगाए गए अन्य अभियोगों में एक यह भी था कि भुट्टो ने भारत के सामने पाकिस्तान के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई है। उस मुल्क के लिए भुट्टो द्वारा हस्ताक्षरित समझौते का सम्मान किया जाएगा ऐसा सोचना गलत ही है। भारत को भी शिमला समझौते की मृतक देह ढोने का कोई शौक नहीं है। आज तक उसने इस समझौते का कोई सम्मान नहीं किया है। पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के प्रशिक्षण शिविर मौजूद हैं। जो समय-समय पर भारत में आतंकवादी घुसपैठ करके निर्दोषों का खून बहाते हैं। पाकिस्तान का सच पूरी दुनिया जानती है लेकिन वह कभी भी इस बात को कबूल नहीं करेगा। पाकिस्तान की आर्थिक हालत इस समय इतनी खस्ता है कि वह युद्ध की बात तो दूर वह छोटा सा टकराव भी झेल नहीं पाएगा और बिखर जाएगा। राष्ट्र पाकिस्तान पर वज्र प्रहार चाहता है। भारत को अभी और कदम उठाकर पाकिस्तान पर नकेल कसनी होगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 20 से अधिक मित्र राष्ट्रों को हमले की जानकारी देकर उन्हें भरोसे में लिया है। भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने में पहले ही सफलता प्राप्त कर ली है। अफगानिस्तान से उसका टकराव चल रहा है। अमेरिका, पश्चिमी देश और पश्चिम एशिया भी उससे किनारा कर चुके हैं। ऐसे में भारतीयों को पाकिस्तान पर प्रचंड प्रहार का इंतजार है। मोदी सरकार को एक बार फिर सीमा पार जाकर आतंकियों के अड्डे ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी फौज के ठिकानों पर हमले कर उन्हें विकलांग बना देना चाहिए। देशवासियों को उम्मीद है कि नरेन्द्र मोदी सरकार उचित समय पर फैसला लेगी। ( अशोक झा की कलम से )
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