- यह पर्व केवल एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि मानवता, क्षमा, और प्रेम की कहानी
- आज का यह दिन हमें आत्मनिरीक्षण, पश्चाताप और सेवा के मूल्यों को अपनाने की देता है प्रेरणा
पूर्वोत्तर भारत के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में बलिदान दिवस के रूप में गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है। ईसाई धर्म के प्रवर्तक प्रभु ईसा द्वारा मानवता के पापों का प्रायश्चित करने के लिए क्रूस पर दिए गए बलिदान की याद में गुड फ्राइडे पर्व मनाया जाता है। साल 2025 में गुड फ्राइडे आज यानि 18 अप्रैल को मनाया जा रहा है। यह पर्व केवल एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि मानवता, क्षमा, और प्रेम की गहराई से जुड़ा भावनात्मक अवसर भी है. यह दिन हमें आत्मनिरीक्षण, पश्चाताप और सेवा के मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता है।
गुड फ्राइडे का इतिहास और धार्मिक महत्व: गुड फ्राइडे का इतिहास बाइबिल में वर्णित है, जहाँ बताया गया है कि यीशु मसीह को यहूदियों के धार्मिक नेताओं और रोमनों द्वारा साज़िश रचकर गिरफ़्तार किया गया। उन्हें देशद्रोह का दोषी ठहराया गया और क्रूस पर चढ़ा दिया गया। यह वही दिन था जब उन्होंने "हे परमेश्वर, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं!" जैसे शब्दों के साथ अपने बलिदान को पूर्ण किया।ईसाई मान्यता के अनुसार, यीशु का यह बलिदान मानवता के उद्धार के लिए था. उनकी मृत्यु ने पापों से मुक्ति और परमात्मा से पुनः संबंध स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया
'गुड' क्यों कहा जाता है इस 'फ्राइडे' को?यह एक आम प्रश्न है - जिस दिन भगवान को क्रूस पर चढ़ाया गया, उसे 'गुड' क्यों कहा जाता है? इसका उत्तर यही है कि यह दिन दुःख का प्रतीक अवश्य है, लेकिन साथ ही यह ईश्वर की असीम प्रेम और क्षमा का प्रमाण भी है।यीशु के बलिदान ने मानव जाति को आशा, उद्धार और अनंत जीवन का संदेश दिया, इसलिए यह 'गुड' है। गुड फ्राइडे कैसे मनाते हैं?: गुड फ्राइडे पर चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं, स्तुति गीत, और मौन सभाएं होती हैं। लोग काले या सफेद वस्त्र पहनते हैं जो शोक और पवित्रता का प्रतीक होता है।।इस दिन मसीही लोग मांसाहार से परहेज़ करते हैं और व्रत रखते हैं।
क्या-क्या होता है गुड फ्राइडे पर?: क्रॉस वंदना : यीशु के क्रूस यात्रा की स्मृति में 14 स्टेशनों पर ध्यान और प्रार्थना की जाती है।
तीन घंटे की पूजा : दोपहर 12 से 3 बजे तक, जब यीशु क्रूस पर थे, लोग चर्च में प्रार्थना करते हैं। ध्यान और मौन: इस दिन कई लोग अपने घरों में मौन व्रत रखते हैं और आत्मचिंतन करते हैं।
नम्रता और सेवा की राह दिखाता है गुड फ्राइडे:आज के समय में गुड फ्राइडे केवल धार्मिक रस्म नहीं है, बल्कि यह आत्मा की गहराइयों को छूने वाला दिन है. यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में प्रेम, क्षमा और करुणा के स्थान सर्वोच्च हैं. दुनिया जहाँ द्वेष और अहंकार से भरी है, वहाँ यीशु का यह बलिदान हमें नम्रता और सेवा की राह दिखाता है।आज भी जब हम किसी को माफ करते हैं, किसी की सेवा करते हैं, या सच्चाई के लिए खड़े होते हैं - तो हम यीशु की शिक्षा को जीवित रखते हैं।क्रूस यात्रा: भारत में गोवा, नागालैंड, मिजोरम, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में गुड फ्राइडे को विशेष रूप से मनाया जाता है। यह राष्ट्रीय अवकाश भी है। चर्चों में भजन-प्रार्थना होती है और लोग यीशु के जीवन पर आधारित नाटकों का मंचन करते हैं। दुनिया भर में इस दिन चर्चों में क्रूस यात्रा का आयोजन होता है। फिलीपींस में तो कुछ लोग प्रतीकात्मक रूप से क्रूस पर चढ़ने जैसी क्रियाओं में भाग लेते हैं।
आज के दिन 40 दिन के व्रत का भी मानक है। आज के तीन दिन बाद यानी कि संडे को यीशु फिर से जीवित हुए थे, उस दिन को ईसाई धर्म के लोग 'इस्टर संडे' के रूप में सेलिब्रेट करते हैं।
क्या करते है Good Friday के दिन?: आज के इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं। इस दिन से पहले 40 दिन का उपवास रखा जाता है। दिन में तीन बजे विशेष चर्च सेवा होती है क्योंकि माना जाता है कि इसी समय प्रभु यीशु ने अपने प्राण त्यागे थे।स्लोगन : प्रभु यीशु का बलिदान, मानव की भलाई के लिए था, यीशु ने मरकर भी जीवन का मार्ग दिखाया।
यीशु आपको खुश और स्वस्थ रथे, जिसके पास भगवान का साथ, वो ही सबसे सुखी इंसान। इस पवित्र दिन पर हम सब प्रभु के बलिदान को याद करें और प्रेम, करुणा व क्षमा की राह पर चलें।
सूली पर क्यों चढ़ाए गए थे ईसा मसीह?
गुड फ्राइडे का इतिहास ईसा मसीह की मृत्यु से जुड़ा है. कहा जाता है कि कुछ यूहदी धर्मगुरुओं ने रोम के शासक पिलातुस से शिकायत की कि यीशु खुद को ईश्वर का पुत्र बता रहा है और लोगों को अपने पक्ष में कर रहा है. इस शिकायत के बाद ईसा मसीह पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया. रोम के सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया, जिसके बाद उन्हें कई यातनाएं दी गईं और बाद में सूली पर लटका दिया गया और उनकी मुत्यु हो गई।
कहां लटकाए गए थे ईसा मसीह:
कहा जाता है कि रोम शासक पिलातुल के आदेश पर यरूशलेममें ईसा मसीह को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें कई यातनाएं दी गईं और जिस क्रूस पर उन्हें लटकाया जाना था, उसे लादकर खुद ईसा मसीह यरूशलेममें माउंट गोलगोथा तक चले. जहां पर ईसा मसीह ने क्रूस को रख दिया वहीं पर उन्हें सूली पर लटका दिया गया. ईसा मसीह के साथ रोम सम्राट के आदेश पर दो और लोगों को सूली पर लटकाया गया था। अब कहां है वह क्रॉस: ईसा मसीह को जिस क्रॉस पर लटकाया गया था, उसे लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. हालांकि, सबसे प्रचलित कहानी यह है कि रोमन सम्राट कॉस्टैंटिन की मां हेलेना ने इस क्रॉस को खोजा था. कहा जाता है कि जब ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया तो उनकी मृत्यु के बाद रोम सैनिकों ने उनके अनुयायियों द्वारा इसे खोजने से रोकने के लिए क्रॉस को एक गहरी खाई में फेंक दिया और इसे पत्थर और मिट्टी से ढक दिया गया. करीब 300 साल बाद हेलेना के आदेश पर उस स्थान की खुदाई की गई, जहां से तीन क्रॉस मिले, लेकिन सवाल यह था कि तीनों में से 'सच्चा क्रॉस' कौन सा था? इसका पता लगाने ने के लिए हेलेना ने तीनों क्रॉस को बारी-बारी से एक बीमार महिला को छूने के लिए दिए. जिस क्रॉस को छूकर महिला ठीक हो गई, उसे ही सच्चा क्रॉस माना गया. इस क्रॉस का एक हिस्सा रोम ले जाया गया और दूसरा यरूशलेममें ही रहा।कई बाद लूटा गया क्रॉस: कहा जाता है कि क्रॉस का एक हिस्सा लंबे समय तक यरूशलेम में ही रहा. 615 ई में फारसी सम्राट खोसरो द्वितीय ने यरूशलेम पर कब्जा कर लिया और ट्रू क्रॉस को अपने कब्जे में ले लिया. कई सालों के संघर्ष के बाद यह क्रॉस फिर से यरूशलेम वापस आया. इसके बाद भी कई लड़ाईयों में इस क्रॉस को लूटा गया और उसके कई हिस्से इधर-उधर बंटते गए. इतिहासकारों का कहना है कि लंबे संघर्ष और लूटपाट के कारण ट्रू कॉस के कई टुकड़े खो गए हैं, लेकिन कुछ बड़े टुकड़े आज भी बचे हुए हैं जो ईसाई धर्म के महत्वपूर्ण स्थानों पर रखे गए हैं. रोम में सांता क्रोस में कैपेलो डेल्ले रेलिकिए में इसके तीन टुकड़े संरक्षित हैं. पेरिस के नोट्रे डेम में यह टुकड़ा पेरिस के सेंट चैपल चर्च में रखा गया था. इसी तरह फ्लोरेंस के सांता मारिया डेल फियोर के डुओमो ओपेरा म्यूजियम में भी इसका एक अवशेष रखा हुआ है। ( कोलकाता से अशोक झा )
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