- पीड़ित परिवार की मांग उन्हें पैसा नहीं न्याय चाहिए, मामले की जांच सीबीआई से कराया जाय
- राज्यपाल ने कहा हमारा पहला दायित्व संविधान को बचाना, जरूरत पड़ी तो लगेगा राष्ट्रपति शासन
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस बंगाल के हिंसा प्रभावित क्षेत्र जा रहे हैं, वो सियालदह रेलवे स्टेशन पहुंचे हैं, जहां से वह मालदा रवाना हो गए। सीएम ममता ने उन्हें प्रवाहित क्षेत्र के दौरा पर नहीं जाने का आग्रह किया था। राज्यपाल ने कहा कि उनका पहला धर्म है संविधान की रक्षा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि संविधान के दायरे में लोगों की सुरक्षा करना कानून का पहला धर्म है। इसका पालन अगर नहीं होता है तो सभी संवैधानिक विकल्प खुले है। इसमें राष्ट्रपति शासन भी है। उनकी बात नहीं मान वे दौरा पर चले गए है इसको लेकर राजनीतिक गलियारे में उफान आने वाला है। इससे पहले उन्होंने मुर्शिदाबाद हिंसा के दौरान बेघर हुए पीड़ित परिवारों से गुरुवार (17 अप्रैल) को मुलाकात की और पीड़ित परिवारों की आपबीती सुनी।उन्होंने मुर्शिदाबाद में हिंसा की चपेट में आए लोगों से मुलाकात की और उनका दर्द सुना। इससे पहले पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार हिंसा पीड़ितों के एक समूह को लेकर राजभवन पहुंचे थे। यहां पीड़ितों ने राज्यपाल से अपना दर्द बयां किया था। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नए वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 11 और 12 अप्रैल को सुती, धुलियान और जंगीपुर सहित अन्य इलाकों में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि 'मुर्शिदाबाद के पीड़ित खासकर महिलाएं मुझसे मिलने आईं। उन्होंने अपने संघर्ष की कहानियां सुनाईं, जो बहुत ही दुखद थीं। मैं खुद स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां जाऊंगा. इसके बाद ही मैं भविष्य की कार्रवाई पर निर्णय ले सकूंगा. मेरा दृष्टिकोण पूरी तरह निष्पक्ष होगा. अब केंद्रीय बलों की मौजूदगी से स्थिति नियंत्रण में है. पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, हमने राज्यपाल से मिलकर कुछ खास मांगें रखीं। पहली मांग क्षतिग्रस्त घरों और दुकानों के पुनर्निर्माण की है, जिसे मुख्यमंत्री ने पहले ही स्वीकार कर लिया है. हमने ये मांगें राज्य के डीजीपी के समक्ष भी रखी हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम मालदा पहुंची: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर संज्ञान लिया था, जिसके बाद शुक्रवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम मालदा स्टेशन पहुंची. टीम मालदा और मुर्शिदाबाद का दौरा करेगी. हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की जाएगी. लोगों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा.
पुलिस थानों के प्रभारियों को बदला गया: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के सुती और समसेरगंज पुलिस थानों के प्रभारियों को गुरुवार को बदल दिया गया. ये दोनों इलाके वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे. जिला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इन दोनों पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित थे. हिंसा से संबंधित तीन मौतों में से दो समसेरगंज और एक सुती में हुई। यह निर्णय लिया गया कि दोनों पुलिस स्टेशनों का नेतृत्व ज्यादा अनुभवी और उच्च पदस्थ अधिकारियों की ओर से किया जाएगा. राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा मामले में अब तक 200 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
हमे पैसा नहीं न्याय और सुरक्षा चाहिए, सीबीआई से हो मामले की जांच : बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने मुर्शिदाबाद में हिंसा की चपेट में आए लोगों से मुलाकात की और उनका दर्द सुना। इससे पहले पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार हिंसा पीड़ितों के एक समूह को लेकर राजभवन पहुंचे थे। यहां पीड़ितों ने राज्यपाल से अपना दर्द बयां किया था। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नए वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 11 और 12 अप्रैल को सुती, धुलियान और जंगीपुर सहित अन्य इलाकों में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी। शनिवार को उस घर पर हजारों उपद्रवियों ने क्या कहा होगा, उसे कहने के लिए शब्द भी कम पड़ जाए। सारा दृश्य खुद-ब-खुद बता रहा है कि हैवानियत की कहानी... यह घर है मुर्शिदाबाद के धुलियान के जाफराबाद के हरगोबिंद दास और और चंदन दास का, जिन्हें घर से निकाल कर आताताइयों ने कई बार वार करके हत्या कर दी थी। एक ही दिन पिता और पुत्र की अर्थी उठी।घर पर पूरी तरह से मातम परसा हुआ है। घर कॉरीडोर से अंदर जाने पर पूरे घर में सामन बिखरा पड़ा है। कॉरिडोर के आखिर एक कोने में एक बुजुर्ग महिला बैठी हैं, शांत, चुपचाप और गुमसुम... बहुत देर बाद खुद ही बोल पड़ती हैं... आमि चाइ ना ममता दीदीर बांग्लार बाड़ी (यानि मैं ममता दीदी की बांग्लार घर).. फिर चुप हो जाती हैं... कहती हैं कि करबो टाका निए (पैसे लेकर क्या करूंगी)... फिर मौन हो जाती हैं। फिर लंबी सांस छोड़कर कहती हैं, कि टाका थिके आमार पति एवं बेटा घुरे आसबे... (पैसा लेने से मेरे पति और बेटा वापस आ जाएंगे)। परिवार ने आर्थिक सहायता लेने से इनकार कर दिया। आज पांच दिन हो गए... अब तो आंसू भी सुख गए। अब तो मेरी मौत के साथ ही यह गम मेरे जाएगा कहते हुए... फफक पड़ती हैं, करीब 65 वर्षीय हरगोविंद दास की पत्नी और चंदन दास की मां पारूल दास। इसलिए मेरे पति और बेटे की जान गई, क्योंकि हम हिंदु हैं।दोनों के शरीर में कोई जगह नहीं थी जहां घाव नहीं थे। हमें तो कुछ भी पता नहीं था। हजारों की संख्या में लोग अचानक गांव में घुस आए। घरों पर पत्थरबाजी करने लगे। लुटपाट करने लगे। हमारे घर पर दो बार हमला किया। लेकिन वे घर के अंदर घुसने में कामयाब नहीं हुए। देखिए, आज भी घर का मुख्य द्वार टूटा पड़ा है, सीढ़ियों में ईट देखिए। तीसरी बार लोहे के बड़े-बड़े रॉड से दरबाजे को तोड़ डाला। उसके बाद उपद्रवियों ने घर की छत से, पीछे से और चारों तरफ से घर पर हमला कर दिया। पति और बेटे को गर्दन से खींच कर बाहर निकाला और धारदार हथियारों से उनको काट डाला...उनकी आंखों से अश्रुधारा बह रही थी और वह बोले जा रही थीं। हाथ काट दिए, पैर काट दिए, शरीर का ऐसा कोई अंग नहीं था, जहां घाव के निशान नहीं थे। इतने से भी इनका मन नहीं भरा तो पूरे घर का सामान लूट लिया। पूछती हैं, मेरे पति और बेटे का कसूर क्या था। पूछती हैं, मेरा जीवन अब कैसे गुजरेगा। क्या हिंदु होना गुनाह है, इस देश में। क्या हिंदुओं को देश में डर के साए में जीना पड़ेगा। 'पिता को जैसे मारा, वैसी सजा चाहता हूं'
चंदन दास का 11 वर्षीय बेटा आकाश ने कहा, आज ही पिता की पंचवीं की है। आठवीं कक्षा में पढ़ने वााल आकाश कहता है, आखिर मेरे दादू और पिता का क्या दोष था। लोग इतने क्रूर कैसे हो सकते हैं। जिस नृशंस तरीके से मेरे दादू और ता की हत्या की। मैं चाहता हूं कि जिन लोगों ने मेरे पिता और दादू की जिस निर्ममता से हत्या की, उनको भी उसी तरह से सजा दी जाए। ब,अच्छा बताइए, अब मैं अपने पिता के बिना हम भाई बहन कैसे रहेंगे। कैसे पढ़ाी करेंगे। कैसे जीवन-यापन करेंगे। कौन देगा मेरे सवालों का जवाब। फिर एक सवाल के जवाब में वे गुस्से कहते हैं, अभी पढ़ रहा हूं, समय आने पर बताउंगा कि मैं क्या बनूंगा।
हिंदुओं पर इतनी क्रूरता क्यों?
हमारा किसी के साथ कोई द्वेष नहीं था। हमने किसी का क्या बिगाड़ा था। कहते हुए गुस्से से लाल हो जाती हैं, चंदन की भाई की पत्नी श्रावणी दास। कहती हैं आखिर हिंदुओं पर इतनी क्रूररता क्यों। एक दिन में एक घर से दो अर्थियां उठीं। जब हमला हुआ तो हम सबने दूसरे घर में खुद को बंद कर लिया। हमने खिड़कियों से देखा कि हजारों की संख्या में लोग हमला कर रहे हैं। बमबाजी कर रहे हैं। हाथों में तलवार, हंसिया और न जाने क्या-क्या लेकर हमला कर दिया। हमें कुछ नहीं चाहिए, कोई सरकारी मदद हम नहीं लेंगे। बस, हमें न्याय चाहिए। ( कोलकाता से अशोक झा )
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