- पकड़े गए दोनों आरोपी सगे भाई हैं- कालू नदाब और दिलदार नदाब
- हरगोविंद और चंदन दास की पीट-पीटकर कर दी गई थी हत्या
पश्चिम बंगाल पुलिस ने दोहरे हत्याकांड के मामले में अहम कामयाबी हासिल की है। हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन की हत्या के मामले में दो आरोपियों को दबोच लिया गया है। इनमें से एक को बीरभूम जिले के मुरारी इलाके से, जबकि दूसरा आरोपी मुर्शिदाबाद के सुती क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है, जो बांग्लादेश की सीमा के पास स्थित है।इससे इनके बांग्लादेश से कनेक्शन का अंदाजा भी लगाया जा रहा है। ADG सुप्रतिम सरकार ने मंगलवार (15 अप्रैल 2025) को जानकारी दी कि पकड़े गए दोनों आरोपी सगे भाई हैं- कालू नदाब और दिलदार नदाब। ये दोनों दिघरी गांव में रहते हैं, जो जाफरबाद इलाके के पास आता है। पुलिस ने दोनों को आज कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर ली है और रिमांड की मांग की जाएगी।विरोध प्रदर्शन के बीच दर्दनाक हत्या: घटना 13 अप्रैल को शमशेरगंज के जाफरबाद में हुई थी, जब वक्फ अमेंडमेंट एक्ट को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। उसी दौरान हरगोविंद और चंदन दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मृतकों की पत्नी ने FIR में बताया कि भीड़ ने उनके पति और बेटे को घर से खींचकर बाहर निकाला और सरेआम बेरहमी से जान ले ली। पोस्टमॉर्टम में दोनों के शरीर पर गहरी चोटों के निशान मिले हैं। FIR में यह भी कहा गया है कि भले ही वहां दर्जनों लोग मौजूद थे, लेकिन हमलावर चुनिंदा थे। पांच संदिग्धों के नाम शिकायत में साफ तौर पर दर्ज किए गए हैं। पुलिस अब बाकी आरोपियों की पहचान में जुटी है।कोई नहीं बचेगा- ADG का सख्त संदेश: एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) जावेद शमीम ने बयान में कहा कि इस हत्याकांड में शामिल किसी भी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे उसका राजनीतिक झुकाव कोई भी हो। उन्होंने बताया कि जांच एजेंसियां हर उस व्यक्ति की पहचान कर रही हैं, जो घटना के वक्त मौके पर मौजूद था या किसी भी रूप में शामिल था। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बयान में कहा कि यह हत्या सिर्फ़ इसलिए नहीं हुई कि पीड़ित दंगे रोकने की कोशिश कर रहे थे, बल्कि उन्हें योजनाबद्ध ढंग से उनके घरों से खींचकर मारा गया।हिंसा को देखते हुए केंद्रीय सुरक्षा बल को तैनात किया गया है. इसके साथ ही हिंसा वाले इलाके में कड़ा पहरा है. इस बीच मुर्शिदाबाद दंगा मामले में बड़ा खुलासा हुआ है।भारतीय जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस हिंसा की प्लानिंग लंबे समय से की जा रही थी. पिछले 3 महीनों से इलाके के लोग इस घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी। जांच एजेंसियों को क्या पता चला?: पूरे मामले की जांच के दौरान एजेंसी ने पाया कि यह आतंकवाद फैलाने का नया तरीका है, दो महीने पहले एटीबी के दो जाने-माने सदस्य मुर्शिदाबाद आए और कहा कि एक बड़ी दावत होगी. वे ट्रिगर पॉइंट का इंतजार कर रहे थे. शुरू में रामनवमी की तारीख तय थी, लेकिन सुरक्षा के कारण चीजें बदल गईं, लेकिन वक्फ बिल ने ट्रिगर पॉइंट दे दिया। ट्रेनों को बाधित करना, सरकारी संपत्ति को खत्म करना, हिंदुओं की हत्या करना, घरों को लूटना उनका पहला टारगेट था। हमलावरों से कहा गया था कि जितनी ज्यादा चीजों को खराब करेंगे उन्हें उतना ही ज्यादा पैसा दिया जाएगा। शुरू में एक सूची बनाई गई थी कि यदि वे अपने किए का ब्यौरा देंगे तो उन्हें कितना धन दिया जाएगा। विदेशों से हो रही थी फंडिंग: मुर्शिदाबाद हिंसा की प्लानिंग और पूरे खर्च का दारोमदार तुर्की के भरोसे चल रहा था, यहीं से हिंसा को लेकर पूरा फंड दिया जा रहा है. जांच एजेंसियों की मानें तो इस योजना में शामिल हर हमलावर और पत्थरबाजों को लूटपाट के लिए 500 रुपये दिए गए थे। इनकी पिछले 3 महीनों से लगातार ट्रेनिंग चल रही थी। साजिशकर्ताओं ने बंगाल को भी बांग्लादेश बनाने की योजना बनाई थी, जैसे दंगे बांग्लादेश हिंसा में देखने को मिले थे. ठीक वैसे ही यहां भी प्लान था। सीएम ममता की जनता से अपील: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद लोगों से शांति की अपील की है. उन्होंने कहा कि मैं सभी से कहूंगी कि सभी को अनुमति लेकर शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार है लेकिन कानून अपने हाथ में न लें. चाहे कोई भी हो. कानून तोड़ने वालों की कोई जरूरत नहीं है। जो शांत दिमाग रखता है, वही जीतता है। कब शुरू हुई थी मुर्शिदाबाद में हिंसा: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 10 अप्रैल से हिंसा जारी है. मुर्शिदाबाद में पहले से ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के करीब 300 जवान तैनात हैं और केंद्र ने व्यवस्था बहाल करने में मदद के लिए केंद्रीय बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं। बता दें कि केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी, सड़कें जाम कर दीं और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। बंगाल में चुनावों के लिए अभी 1 साल से ज्यादा का समय बाकी है ऐसे में ये दंगों की खबरों से लोग खासे परेशान हैं।
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