पश्चिम बंगाल में इन दिनों शिक्षक भर्ती घोटाला को लेकर बबाल मचा हुआ है। बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले पर ममता बनर्जी ने नौकरी गंवाने वालों को आश्वस्त किया कि जब
तक वह जीवित हैं, उनकी नौकरी कोई नहीं छीन सकता। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए निष्पक्षता से स्थिति संभालने का वादा किया और दो महीने का मुआवजा देने की घोषणा की। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले पर अहम फैसला सुनाते हुए पूरी भर्ती प्रक्रिया के रद्द कर दिया है।सीजेआई द्वारा दिए गए 41 पन्नों के फैसले में कहा गया है कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें पूरी चयन प्रक्रिया को दूषित और दागदार बना दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एक झटके में 25000 शिक्षक बेरोजगार हो गए। वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेरोजगार हुए इन शिक्षकों को फिर से रोजगार देने की बात कर रहीं हैं।आइए जानते हैं कि शिक्षक भर्ती घोटाले में खेल कैसे हुआ। सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने 22 अप्रैल, 2024 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था. वहीं ममता बनर्जी ने कहा कि किसी भी योग्य कैंडिडेट की नौकरी नहीं जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों ने सीएम से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि इस स्थिति से पूरी सावधानी और निष्पक्षता से निपटा जाएगा। कब निकला गया था विज्ञापन, कब हुई थी परीक्षा?: पश्चिम बंगाल में शिक्षकों के 24,640 पदों पर भर्तियों के लिए एसएससी की ओर से 2014 में विज्ञापन निकाला गया था. इसके दो साल बाद 2016 में शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन किया गया. एग्जाम में राज्य भर के 23 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे. नतीजे 27 नंबर 2017 को घोषित किए गए थे. आयोग ने कुल 25,753 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए थे।ज्यादा नंबर वाले मेरिट में किए गए पीछे सिलीगुड़ी महकमा के खोरीबारी की रहने वाली बबिता को परीक्षा में 77 नंबर मिले थे और उनका नाम बेटिंग लिस्ट में 20वें नंबर था, जिसे बाद में 21वें स्थान पर कर दिया गया. सूची में 20वें नंबर पर अंकिता अधिकारी का नाम शामिल कर दिया गया. अंकिता अधिकारी ममता सरकार के शिक्षा राज्यमंत्री मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी हैं. कम नंबर होने के बाद भी अंकिता का नाम मेरिट में आगे कर दिया गया है और ज्यादा नंबर पाने वाली बबिता का नाम पीछे कर दिया गया था। भर्ती प्रक्रिया में धांधली को लेकर कई अभ्यर्थियों ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की। CBI को दी गई जांच: 2022 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच सौंपी और मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया. सीबीआई जांच में शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े कई सबूत मिले, जिसके आधार पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. वहीं कोर्ट के फैसले के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि मैं नौकरी गवाने वाले शिक्षकों के साथ खड़ी हूं और उन्हों कहा कि योग्य अभ्यर्थी की नौकरी नहीं जानें दी जाएगी. अब सवाल यह उठता है कि इन बेरोजगार हुए शिक्षकों को ममता बनर्जी कैसे रोजगार देंगी। ( कोलकाता से अशोक झा )
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