कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती जारी रखने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के एक-एक सदस्य वाली तीन सदस्यीय समिति को हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास और शांति बहाली की निगरानी के लिए जिले के प्रभावित इलाकों का दौरा करना चाहिये। इसके अलावा भड़काऊ भाषणों पर भी नियंत्रण की जरूरत है। अदालत ने कहा कि वक्फ संशोधन ऐक्ट के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ भाषण न दिए जाएं, जिनसे हिंसा भड़कने की आशंका बनी रहती है। इस तरह उच्च न्यायालय ने हिंसा के मामलों में राज्य सरकार को सख्त नसीहत दी है। इसके अलावा अदालत ने माना है कि अब भी मुर्शिदाबाद जिले में हालात सामान्य नहीं हैं। इसलिए केंद्रीय बलों की तैनाती कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए रहनी चाहिए।मुर्शिदाबाद में वक्फ ऐक्ट के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। इस घटना में कई लोग मारे गए तो वहीं सैकड़ों परिवारों को पलायन करना पड़ा है। करीब ढाई सौ परिवार पड़ोस के मालदा जिले में पलायन कर गए हैं और वहां कैंपों में गुजर करने को मजबूर हैं। मुर्शिदाबाद के बवाल को लेकर राजनीति भी तेज है। बंगाल का यह जिला सांप्रदायिक लिहाज से संवेदनशील है। यहां से टीएमसी के युसूफ पठान सांसद हैं, जिन्होंने 2024 के चुनाव में अधीर रंजन चौधरी को मात दी थी, जो कांग्रेस से यहां से लगातार जीतते थे। इस बीच सूबे के राज्यपाल सीवी आनंद बोस का कहना है कि वह जमीनी हालात जानने के लिए मुर्शिदाबाद जाएंगे।उन्होंने कहा, 'मैं जमीनी हालात जानने के लिए मुर्शिदाबाद जा रहा हूं। मैं इस मामले में हर पहलू को देखूंगा। फिलहाल स्थिति कंट्रोल में लाई जा रही है। हमें कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न होने पाएं। मैं निश्चित तौर पर मुर्शिदाबाद जाऊंगा। उस इलाके के लोगों ने अपील की है कि फिलहाल बीएसएफ के जवानों को वहां बने रहने दिया जाए।' बता दें कि ममता बनर्जी का कहना है कि इसमें बीएसएफ और भाजपा के ही लोगों का हाथ है। दरअसल पश्चिम बंगाल में वक्फ ऐक्ट को लेकर भी ममता बनर्जी कह रही हैं कि हम इसे लागू नहीं करेंगे। वहीं भाजपा का कहना है कि ममता बनर्जी के रुख से कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा मिल रहा है और वे हिंसा कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि हिंसा के दिन करीब 10,000 की भीड़ जमा हो गई थी, जिसमें से लगभग 10 लोगों के पास घातक हथियार थे. उन्मादी भीड़ ने मौके पर तैनात पुलिसकर्मी की पिस्तौल भी छीन ली थी।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पहले करीब 8,000-10,000 लोगों की भीड़ पीडब्ल्यूडी ग्राउंड पर इकट्ठा हुई. इसके बाद भीड़ का एक हिस्सा अलग हो गया और करीब 5,000 लोग उमरपुर की ओर बढ़ गए और राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया. इसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस कर्मियों पर ईंट-पत्थर फेंकने लगी. वहीं, इस भीषण हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई।विपक्ष की क्या है भूमिका: राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने याचिका दायर कर दावा किया कि मुस्लिम बहुल जिले में सांप्रदायिक दंगों के दौरान बम विस्फोट हुए थे. एक अन्य याचिकाकर्ता ने हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की उनके घरों में वापसी के लिए राज्य सरकार द्वारा कदम उठाए जाने का अनुरोध किया। उपद्रवग्रस्त इलाकों में हुई केंद्रीय बलों की तैनाती
मुर्शिदाबाद के उपद्रवग्रस्त सुती, शमसेरगंज-धुलियान इलाकों में फिलहाल केंद्रीय बलों की लगभग 17 कंपनियां तैनात हैं. हाई कोर्ट ने शनिवार को शांति बहाली के लिए जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती का आदेश दिया था. राज्य सरकार ने अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की और दावा किया कि मुर्शिदाबाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है।हिंसा के बाद से गांव में डर और तनाव का माहौल है, लोग अस्थायी शिविरों में शरण ले रहे हैं।कहीं जलकर राख हुए मकान, तो कहीं झुलसे मवेशी... ये तस्वीर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की है, जहां बीते दिनों वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हिंसा भड़की और हिंसा की आग ने सैकड़ों घरों को जलाकर राख कर दिया। इसमें कई मकान पूरी तरह जल गए और मकान में रखे सामान राख हो गए। इसमें लोग भी हताहत हुए। तस्वीरें गवाही दे रही हैं कि जब हिंसा भड़की होगी, तो कितनी भयावह स्थिति होगी। इलाका मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज क्षेत्र स्थित बेदबोना गांव का बताया जा रहा है, जहां 'वक्फ आंदोलन' के नाम पर उपद्रवियों ने एक के बाद एक कई घरों पर हमला बोल दिया। इस हमले में करीब 100 से 130 घरों को लूटा गया, फिर आग के हवाले कर दिया गया। हिंसा के बाद रोते-बिलखते लोग, जिनके पास अब आशियाना तक नहीं है, उनका दुख सुनने वाला कोई नहीं है। कई परिवारों ने वर्षों की मेहनत और बचत से अपने घर बनवाए थे, लेकिन चंद पलों में ही सब कुछ राख में तब्दील हो गया। केवल घर ही नहीं, गांव के सभी हिंदू व्यवसायिक प्रतिष्ठान जैसे किराना दुकानें, छोटे व्यवसाय और अन्य दुकानों को भी निशाना बनाकर आग के हवाले कर दिया गया। मुर्शिदाबाद हिंसा पर आगबबूला हुए सीएम योगी, लातों के भूत, बातों से नहीं मानते, ममता- अखिलेश चुप
इस भयावह घटना के बाद से गांव में डर और तनाव का माहौल बना हुआ है। कई लोग बेघर हो चुके हैं और अस्थायी शिविरों की शरण में हैं। पीड़ितों ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर भी सवाल उठाए हैं कि इतनी बड़ी घटना को होने से क्यों नहीं रोका गया? शमशेरगंज इलाके में एक युवक की हत्या भी कर दी गई थी। मृतक के भतीजे सूरज दास ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि हमारे गांव में लूटपाट हो रही थी, हर तरफ से लोग भाग रहे थे। लड़कियां छिपकर बैठी थीं, पूरा घर जला दिया गया। घर तोड़कर चाचा की पिटाई की और फिर उनकी जान ले ली। पूरे गांव को लूट लिया गया। उसने बताया कि डेढ़ सौ से ज्यादा लोग आए थे, उनके पास धारदार हथियार, पत्थर और बंदूक थे। सभी लोग गमछे से अपना मुंह बांधे हुए थे, हम डर के मारे भाग रहे थे। पुलिस तीन घंटे तक फोन पर कहती रही कि दस मिनट में आ रही है, लेकिन नहीं आई। हत्या हो गई, तीन-चार घंटे तक शव पड़ा रहा, तब जाकर पुलिस आई। नेता आए तो पीड़ित लोग चुप रह गए। फिर गांव छोड़कर लोग भाग गए। बता दें कि मुर्शिदाबाद के सुती, धुलियान, जंगीपुर और शमशेरगंज जैसे क्षेत्रों में पिछले दिनों वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी, दुकानों और घरों को नुकसान पहुंचाया। उपद्रवियों की पुलिस से भी झड़प हुई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की गई और कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित रखी गईं। हिंसा के दौरान सैकड़ों लोग विस्थापित हुए, इनमें से कई ने पड़ोसी मालदा जिले में शरण ली तो कई ने सीमावर्ती झारखंड का भी रुख कर लिया। ( कोलकाता से अशोक झा )
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