कश्मीर की वादी में विवाह के बाद अपने जीवन की यात्रा को सुन्दर ढंग से शुरू करने गए दंपति की यह भयावह तस्वीर देख हृदय कलप रहा है। महिला है हाथ में लाल चूड़ा देखकर जोड़े के नवविवाहित होने का अनुमान लग रहा है। महिला का कहना है आतंकियों ने धर्म पूछकर इसकी हत्या कर दी है। आतंकियों द्वारा किए गए नृशंस नरसंहार में कम से कम 28 लोगों के मारे जाने की सूचना संचार माध्यमों में आ रही है।
दुनिया के सबसे सुन्दर जगहों में एक माने जाने वाले कश्मीर में धर्म के आधार पर नरसंहार की यह पहली घटना नहीं है। देश के अनेक इलाकों में अपना धर्म परिवर्तन न करने के कारण जान बचाकर भागे हुए कश्मीरी देखे जा सकते हैं। वे बताते हैं कि उनके धर्म के कारण कैसे वहां हत्याएं कर दी गई।
कश्मीर वह जगह है जहां के लिए यह तथ्य रहा है कि आतंकी दूसरे धर्म के लोगों को वहां का बाशिंदा तो नहीं बने रहने देना चाहते हैं लेकिन वे यह चाहते हैं कि दूसरे धर्म के पर्यटक वहां आएं और पर्यटन के कारण वहां के लोगों की आमदनी बढ़ती रहे। इसीलिए धर्म के आधार पर वहां के लोगों को मारने, हत्या करने और भगाने वालों ने अबतक रुपए खर्च करने के लिए वहां जाने वाले पर्यटकों को निशाना नहीं बनाया था। उन्हें वहां के संसाधनों पर हिस्सेदारी करने वाले विधर्मी नहीं उन्हें रुपए कमाने देने वाले विधर्मी पसंद रहे हैं।
आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व मैं अपने परिवार के साथ वैष्णो देवी गया था। वहां से लौटते समय कटरा से जम्मू जाने और जम्मू शहर का पर्यटन करने के लिए हमने एक टाटा सूमो या ऐसी ही कोई गाड़ी तय की। उसका ड्राइवर हिन्दू था। रास्ते में जैसी की आदत है मैंने ड्राइवर से वहां की स्थानीयता के बारे में जम्मू और कश्मीर की भौगोलिक स्थिति, वहां के हालात, पर्यटन आदि के बारे में बात करना शुरू किया। बात करते करते ड्राइवर थोड़ा अनौपचारिक होने लगा। वह कश्मीर से भगाया गया हिन्दू था। जो जम्मू में आकर गाड़ी चला रहा था। उसने कहा साहब कश्मीर में आतंकवाद के जिम्मेदार आप लोग हो। मुझे उसकी बात से बड़ा आश्चर्य हुआ। पूछा, वो कैसे! उसने कहा कि "आप लोग चार साल कश्मीर में पर्यटन का बायकॉट कर दो, कश्मीर के सेव का बहिष्कार कर दो तो वहां आतंक की राजनीति करने वाले खाने बिना मरने लगेंगे । सबको समझ में आ जाएगा कि आतंक का खामियाजा क्या होता है! " उसने आगे कहा " आपलोग जो पैसा वहां जाकर फेंकते हो न उसी से उन्हें हमें भगाने की गर्मी मिलती है। शेष भारत के लोग कश्मीर घूमने नहीं गए तो मर नहीं जाएंगे। लेकिन कश्मीरी जरूर ठंडे हो जाएंगे। " जाहिर सी बात है अपने घर से भगाए जाने की पीड़ा को जीता हुआ वो ड्राइवर प्रतिक्रियावादी हो रहा था लेकिन उसका प्रतिक्रियावादी होना अस्वाभाविक नहीं लगा।
आज एक लेखिका का यह लिखना खून खौला गया कि आतंकी पर्यटकों को नहीं मारते थे मुझे शक है कि यह काम अन्य बाहरियों ने किया है।
आतंकियों ने धर्म के नाम पर पर्यटकों को इसलिए मारा है क्योंकि 370 के प्रावधानों के हटने के बाद वे नहीं चाहते कि कश्मीर से उनके लिए विधर्मियों के मन में कायम आतंक कम हो। वे नहीं चाहते लोग वहां बसने की सोचें भी। शैव प्रतिभिज्ञान दर्शन और नाट्यशास्त्र सहित ज्ञान विज्ञान के अनेक अनुशासनों की भूमि रही कश्मीर से इसके चिह्न पूरी तरह मिटा दिए गए हैं। वे कश्मीर को ऐसी जन्नत में बदल देना चाहते थे जहां ज्ञान विज्ञान का कोई चिह्न नहीं रहे। उनका कश्मीरी जन्नत सिर्फ रुपए और हूरों का जन्नत हो जिसमें एक धर्म के लोग रहें यही उनकी मंशा रही है। इसीलिए उन्होंने धर्म के आधार पर पर्यटकों की हत्या की है। निश्चित रूप से यह भारत सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार की भी असफलता है कि इतनी नृशंस घटना हो गई।
- गौरव तिवारी
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