नेशनल हेराल्ड से जुड़े बहुचर्चित एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कुल सात आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की चार्जशीट दाखिल कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 'नेशनल हेराल्ड' मामले को लेकर शिकंजा तेज करना शुरू कर दिया है। ईडी ने पीएमएलए अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपनी अभियोजन शिकायत में सोनिया गांधी को आरोपी नंबर 1 और उनके बेटे राहुल को आरोपी नंबर 2 के रूप में नामित किया है।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 'नेशनल हेराल्ड' मामले में अपने आरोपपत्र में कहा है कि कांग्रेस नेताओं ने इसकी मूल कंपनी एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति 'हड़पने' के लिए 'आपराधिक साजिश' रची थी और इसके लिए उन्होंने 99 प्रतिशत शेयर महज 50 लाख रुपये में अपनी उस निजी कंपनी 'यंग इंडियन' को हस्तांतरित कर दिए, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी बहुलांश शेयरधारक हैं। यह केस 2014 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत के बाद शुरू हुआ था। आरोप था कि कांग्रेस नेताओं ने ₹2,000 करोड़ की AJL संपत्ति पर सिर्फ ₹50 लाख में कब्जा कर लिया। ईडी का दावा है कि यंग इंडियन कंपनी के जरिए ₹18 करोड़ का फर्जी दान, ₹38 करोड़ का किराया और ₹29 करोड़ के फेक विज्ञापनों के जरिए पैसे लॉन्ड्रिंग किए गए। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत दायर अभियोजन शिकायत में संघीय जांच एजेंसी ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को आरोपी संख्या एक और उनके बेटे एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को आरोपी संख्या दो बनाया है। नौ अप्रैल को दाखिल ईडी के आरोपपत्र में अन्य आरोपियों में कांग्रेस नेता सुमन दुबे और सैम पित्रोदा, दो कंपनियां यंग इंडियन (वाईआई) और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड और (डोटेक्स मर्चेंडाइज के) सुनील भंडारी शामिल हैं। ईडी ने पीएमएलए की धाराओं 44 और 45 के तहत ''धनशोधन के अपराध को अंजाम देने'' के साथ ही धारा 70 (कंपनियों द्वारा अपराध) के तहत आरोपपत्र दाखिल किया है।ईडी ने पीएमएलए की धारा चार के तहत आरोपियों के लिए सजा की मांग की है। इस धारा के तहत सात साल तक जेल हो सकती है। अदालत ने मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को तय की है। यह संभवतः पहली बार है जब ईडी का धनशोधन मामला अधीनस्थ अदालत द्वारा एक निजी शिकायत का संज्ञान लेने और उसके बाद मुकदमा शुरू करने के लिए आरोपियों को समन जारी करने से उपजा है। एजेंसी आमतौर पर पीएमएलए के तहत, अधिनियम की अनुसूची ए और बी में सूचीबद्ध अपराध का संज्ञान लेती है। सूत्रों ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि ईडी ने इस मामले में 988 करोड़ रुपये ''अपराध से अर्जित आय'' और संबद्ध संपत्तियों का मौजूदा बाजार मूल्य 5,000 करोड़ रुपये बताया है।
ईडी ने शनिवार को कहा था कि उसने 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किया है, जिन्हें उसने इस जांच के तहत कुर्क किया है। एजेएल 'नेशनल हेराल्ड' समाचार प्लेटफॉर्म (समाचार पत्र और वेब पोर्टल) का प्रकाशक है और इसका स्वामित्व यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है। एजेंसी ने आरोपपत्र में कहा है कि दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के खिलाफ कार्यवाही 'स्थगित' हो गई है और वह आगामी दिनों में एक पूरक आरोपपत्र भी दाखिल कर सकती है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ईडी की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, ''सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा बदले की राजनीति एवं धमकाने के अलावा कुछ नहीं है। सूत्रों के अनुसार, ईडी को दिसंबर 2017 के आयकर विभाग के मूल्यांकन आदेश में तथ्य मिला है।आरोप पत्र में कहा गया है कि एजेएल, यंग इंडियन के ''प्रमुख अधिकारियों'' और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के ''प्रमुख'' पदाधिकारियों ने एक गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनी एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति ''हड़पने'' के लिए एक ''आपराधिक साजिश'' रची। जिसमें ''मामूली रकम'' 50 लाख रुपये में 99 प्रतिशत शेयर यंग इंडियन नामक एक निजी कंपनी के पक्ष में हस्तांतरित कर दिए गए।'' सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास यंग इंडियन के 38-38 प्रतिशत शेयर हैं, जिससे वे कंपनी के बहुलांश शेयरधारक बन गए। शेष 24 प्रतिशत शेयर वोरा और फर्नांडिस के पास संयुक्त रूप से थे। जो ईडी के अनुसार गांधी परिवार के ''करीबी सहयोगी'' थे। ऐसा माना जाता है कि ईडी ने अपनी जांच के दौरान पाया कि आरोपियों ने ''आपराधिक षड्यंत्र रचा और एआईसीसी द्वारा एजेएल को दिए गए 90.21 करोड़ रुपये के बकाया ऋण को 9.02 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर में बदल दिया तथा इन सभी शेयर को केवल 50 लाख रुपये में यंग इंडियन के पक्ष में स्थानांतरित कर दिया।''इस जांच के दौरान ईडी ने सोनिया और राहुल से पूछताछ की थी। सूत्रों ने दावा किया कि इस हस्तांतरण के माध्यम से, आरोपियों ने हजारों करोड़ रुपये मूल्य की एजेएल की सभी संपत्तियों का ''लाभकारी'' स्वामित्व प्रभावी रूप से सोनिया गांधी और राहुल गांधी को हस्तांतरित कर दिया। उन्होंने दावा किया कि यंग इंडियन को कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत 'गैर लाभकारी' या धर्मार्थ कंपनी के रूप में शुरू किया गया था, जो इस मामले में कांग्रेस पार्टी द्वारा बार-बार यह रेखांकित करने के लिए किया गया बचाव था कि इसमें कोई गलत काम नहीं हुआ है। ईडी ने दावा किया कि उसकी जांच में पता चला कि ''कंपनी ने ऐसी कोई धर्मार्थ गतिविधि नहीं की।'' सूत्रों ने दावा किया कि एजेंसी ने पाया कि यंग इंडियन द्वारा अपने अस्तित्व के कई वर्षों के दौरान घोषित धर्मार्थ गतिविधियों पर कोई खर्च नहीं किया गया। एजेंसी ने आरोपपत्र में यह कहने के लिए 2017 के आयकर विभाग के मूल्यांकन आदेश का इस्तेमाल किया है कि यंग इंडियन ने 414 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी की है, क्योंकि इसने एजेएल की संपत्तियों को अवैध रूप से अर्जित किया है। मामले में ईडी की जांच 2021 में शुरू हुई, जब दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने 26 जून 2014 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक निजी शिकायत का संज्ञान लिया। इस आदेश को आरोपियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। सूत्रों ने बताया कि दोनों ही अदालतों ने सुनवाई प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। ( अशोक झा की कलम से )
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