आज 13 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 52 मिनट से वैशाख कृष्ण पक्ष यानी प्रतिपदा तिथि का आरंभ हो गया है। सिख समुदाय में बैसाखी का त्योहार खास महत्व रखता है। नववर्ष के रूप में ये त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी के दिन सिख धर्म के लोग पारंपरिक तरीके से वस्त्र पहनते हैं और भांगड़ा करते हैं। इसके साथ ही घी व आटे से बने प्रसाद का सेवन करते हैं। यह रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। बैसाखी वाले दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है और सिख लोग इसे नववर्ष के तौर पर भी मनाते हैं। बैसाखी का पर्व सिख समुदाय के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। बैसाखी को आमतौर पर मेष संक्रांति भी कहा जाता है। यह दिन न सिर्फ किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सिखों के लिए एक ऐतिहासिक और धार्मिक दिन भी माना जाता है। इस दिन लोग खुशी और समृद्धि की कामना करते हैं. साख ही, सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देते हैं। बैसाखी का पर्व भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है।मेष संक्रांति पर बैसाखी: बैसाखी का पर्व हर साल मेष संक्रांति के दिन मनाया जाता है, जो कि आमतौर पर 13 या 14 अप्रैल को होती है. इस साल बैसाखी 13 अप्रैल 2025 को मनाई जा रही है इस दिन की महत्ता किसानों के लिए बहुत ज्यादा होती है, क्योंकि यह नई फसल की बुवाई और कटाई का वक्त होता है।बैसाखी का धार्मिक महत्व: बैसाखी का पर्व सिख धर्म के लोगों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है. इस दिन सिखों के दसवें गुरु यानी गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. गुरु जी ने इस दिन सभी जातिगत भेदभावों को समाप्त कर एकता का संदेश दिया था. गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में खालसा पंथ की स्थापना ने समाज को एकजुट करने के लिए मजबूत कदम उठाया था। बैसाखी के अवसर पर सिख धर्मावलंबी गुरुद्वारों में विशेष अरदास करते हैं. इस दिन विशेष रूप से गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है और साथन ही नगर कीर्तन की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन लोग अपने पवित्र कर्तव्यों को याद करने, गुरु के बताए मार्ग पर चलने और धर्म के प्रति अपनी आस्था को और गहरा करने का अवसर मानते हैं।इस दिन लोग नाच-गाना करते हैं तरह-तरह के पकवान बनाते हैं. ऐसे में अगर आप शादी के बाद अपने पहली बैसाखी मना रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है. आप अपने ससुराल में इस खास तरीके से बैसाखी मनाएं कि आपको जिंदगी भर याद रह जाए.मेहंदी: मेहंदी हर त्योहार में लगाई जाती है. बैसाखी के त्योहार पर नई दुल्हन हाथों में मेहंदी लगाएं. मान्यता है कि बैसाखी पर मेहंदी का गाढ़ा रंग ना सिर्फ पार्टनर के प्यार को दर्शाता है बल्कि इससे शादीशुदा जीवन भी खुशहाल बना रहता है।गुरुद्वारे जाएं: गुरुद्वारे जा सकते हैं। सिख समुदाय में बैसाखी के त्योहार की काफी मान्यता है। ऐसे में खासतौर से नई दुल्हन को गुरुद्वारे जरूर जाना चाहिए, बता दें कि इसे कई लोग परंपरा के तौर पर भी फॉलो करते हैं. इस पहली बैसाखी पर आप गुरुद्वारे जाकर प्रार्थना कर सकते हैं अपनी जिंदगी में खुशियों की दुआएं मांग सकते हैं।चावल का प्रसाद: बैसाखी के दिन पीले चावल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। ऐसे में शादी की पहली बैसाखी पर आप पीले चावल बनाकर भोग लगा सकती हैं। वहीं भोग लगाने के बाद सभी को प्रसाद बांटना ना भूलें. इससे परिवार के साथ आपकी बॉन्डिंग स्ट्रांग होगी लोगों में सामंजस्य बना रहेगा।गिफ्ट: बैसाखी खुशियों का त्योहार है. ऐसे में घर के सभी सदस्यों को बैसाखी का तोहफा देकर आप इस पर्व की खुशियों को दोगुना कर सकती हैं. वहीं बड़ों बच्चों के लिए उनका फेवरेट तोहफा खरीद कर आप सभी का दिल जीत सकती हैं। खाना साथ में खाएं: बैसाखी पर परिवार में प्यार स्नेह बढ़ाने के लिए आप सभी के साथ मिलकर डिनर लंच कर सकती हैं। वहीं बैसाखी के दिन आप सभी की मनपसंद डिश भी तैयार कर सकती हैं. इससे घर के सदस्यों के साथ आपका रिश्ता मजबूत होगा। नाच-गाना: किसी भी स्पेशल ओकेजन पर भांगड़ा करना पंजाबियों की पहचान होती है। ऐसे में बैसाखी के त्योहार पर आप परिवार के साथ भांगड़ा या नाच-गाना कर सकती हैं. इससे बैसाखी का मजा डबल हो जाएगा ये दिन आपके लिए हमेशा यादगार रहेगा। ( अशोक झा की कलम से )
आज मनाया जा रहा है सिख समुदाय का खास पर्व बैसाखी, आज ही के दिन धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने की थी खालसा पंथ की स्थापना
अप्रैल 13, 2025
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