- कहा कि 'खतरा पाकिस्तान या चीन से नहीं बल्कि देश के अंदर उन लोगों से है जो धर्म के नाम पर फैला रहे नफरत
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि सांप्रदायिक नफरत देश को कमजोर कर रही है और पश्चिम बंगाल में हाल की हिंसा देश में बढ़ते हिंदू-मुस्लिम विभाजन का प्रत्यक्ष परिणाम है। मुर्शिदाबाद समेत कई इलाकों में मौजूद दंगाइयों ने अपने-अपने इलाके में ऐसा उत्पात मचाया कि देखने वालों में दहशत भर गई। ऐसा खौफ दिखाया कि हिंदुओं को घरों को छोड़ भागना पड़ा। पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को सरेआम मारा-पीटा और तड़पाया गया और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। हालात देख कुछ पलों के लिए ये महसूस हुआ कि आखिर वो भारत के पश्चिम बंगाल में हैं या फिर मोहम्मद यूनूस के बांग्लादेश में जहां हिंदुओं का जीना मुहाल हो चुका है। लगातार हिंदुओं के घर में घुसकर, उन्हें अगवा करके उनकी हत्या की जा रही है। बंगाल हिंसा में क्यों जल रहा है?: इस बीच पश्चिम बंगाल में बीते दिनों हुई हिंसा को लेकर देश के बड़े मुस्लिम नेता और नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान आया है। अबदुल्ला ने कहा कि सांप्रदायिक नफरत देश को कमजोर कर रही है और पश्चिम बंगाल में हाल की हिंसा देश में बढ़ते हिंदू-मुस्लिम विभाजन का प्रत्यक्ष परिणाम है।हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री ने लोगों से एकजुट होने और एकता प्रदर्शित करने का आग्रह किया और कहा कि 'खतरा पाकिस्तान या चीन से नहीं बल्कि देश के अंदर उन लोगों से है जो धर्म के नाम पर नफरत फैला रहे हैं। अब्दुल्ला जम्मू के निकट सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्र मढ़ में रिटायर्ड एसपी मोहन लाल कैथ के पार्टी में शामिल होने के स्वागत के लिए पार्टी द्वारा आयोजित जनसभा संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे।बीजेपी पर निशाना: वालंटरी रिटायरमेंट लेने के बाद, पिछले साल चुनाव में मढ़ सीट हारने वाले कैथ ने कहा कि उन्होंने अपने समर्थकों से बात करने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी एनसी में शामिल होने का फैसला करते हुए पार्टी को जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने का संकल्प लिया है. बीजेपी पर परोक्ष निशाना साधते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा 'देश भर में फैले सांप्रदायिक विभाजन' का परिणाम है.अब्दुल्ला ने कहा, 'मुस्लिम विरोधी बयानबाजी और समुदाय के घरों, मस्जिदों व स्कूलों पर बुलडोजर चलाने के मामले चरम पर पहुंच गए हैं. सरकार अपनी की वैधता साबित नहीं कर पाई और आखिरकार उच्चतम न्यायालय ने प्रतिबंध लगा दिया। अब बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग उठाई जा रही है, जबकि मामले को गर्माए रखने के लिए शुक्रवार और शनिवार को राज्यपाल सी वी आनंद बोस और राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य इलाके के दौरे पर पहुंचे। मुर्शिदाबाद में हिंसा कैसे भड़की और किसने फैलाई, इसे लेकर सोशल मीडिया पर दावे और प्रति दावे लगातार जारी है और यह भी कहा जा रहा है कि यह हिंसा राजनीतिक नहीं बल्कि सांप्रदायिक थी। कुछेक ऐसी रिपोर्ट्स भी सामने आई हैं जिनमें बताया जा रहा है कि हिंदू और मुसलमानों दोनों ने मिलकर मुर्शिदाबाद में भीड़ को रोकने की कोशिशें की थीं, लेकिन सियासी दांव-पेंचों के शोर में ऐसी बातें गुम हो गई हैं। ऐसे ही एक सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा गया कि जब मानिक के घर पर हमला हुआ, तो उसके पड़ोसी सनौल और दूसरे मुस्लिम पड़ोसियों ने हमले को नाकाम करने की कोशिश की। इलाके की अर्चना सरकार अपने मुस्लिम पड़ोसियों कि एहसानमंद हैं कि उन्होंने उसकी जान बचाई और सुरक्षित निकलने में मदद की। इस किस्म के कुछ वीडियो क्लिप्स एबीपी लाइव ने भी शेयर किए हैं जिनमें हिंदू अपने मुस्लिम पड़ोसिओं की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन अखबारों और कथित मुख्यधारा के मीडिया में ऐसा कुछ देखने-पढ़ने को नहीं मिल रहा। आरोप है कि हिंसा तब शुरु हुई जब मुसलमानों ने वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन सवाल है कि अगर मुसलमानों ने ही हिंसा की तो फिर आखिर वे अपने ही घरों को आग क्यों लगाते? आखिर वह कौन लोग थे जिन्होंने मुस्लिम सांसद तृणमूल कांग्रेस के खलीलुर्रहमान के घर पर हमला किया? तृणमूल कांग्रेस ने भी ऐसी महिलाओं के वीडियो जारी किए हैं जो कैमरे के सामने बोल रही हैं कि बीजेपी समर्थकों ने उनके घरों पर सिर्फ इसलिए हमला किया क्योंकि उन्होंने 'मुस्लिम पार्टी' को वोट दिया था। मीडिया ने भी ऐसी रिपोर्ट सामने रखीं कि हिंसा बड़े पैमाने पर हुई, जबकि हकीकत यह है कि उपद्रव मुर्शिदाबाद के दो उपखंडों के सिर्फ 4 ब्लॉक तक ही सीमित था। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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