नव भारत टाइम्स के प्रकाशन के 78 वर्ष पूर्ण होने पर प्रकाशकों व स्टाफ के सभी सदस्यों और पाठकों को बहुत बहुत बधाई व शुभ कामनाएं। 78 वर्ष के इस सफर में 29 साल मैं भी नव भारत टाइम्स इस सफल और सुन्दर यात्रा का हमसफ़र रहा हूँ। मेरे से पूर्व मेरे पिताश्री ने भी 30 साल तक अखबार की सेवा की।
नव भारत टाइम्स के "स्वर्ण जयंती विशेषांक" को प्रकाशित करने और सामग्री जुटाने का काम जब सन 1997 में संपादक जी ने मुझे सौंपा । हमने 56 पृष्ठ का रंगीन विशेषांक प्रकाशित किया ।उस वक्त तो किसी को भी ये पता नहीं था कि नव भारत टाइम्स का प्रकाशन किस दिन आरम्भ हुआ।प्रबन्धन को ये जानकारी तो थी कि अखबार का प्रकाशन सन 1947 में आरम्भ हुआ था लेकिन किसी को ये आभास नहीं था कि नव भारत का पहला अंक कब निकला। ये तारीख खोजने का काम मेरे जिम्मे पड़ा।
इसके बाद मैंने अपने पिताश्री स्वर्गीय पंडित श्रीदत्त भारद्वाज के निजी संग्रह को खंगाला, जो एक लोहे के सन्दूक में बंद था। उस सन्दूक में मुझे बहुत सारे पुराने अखबार मिले।उसी निजी संग्रह के खजाने में मुझे मिला ये " नव भारत " का पुराना अंक। देश की आजादी के दिन 15 अगस्त,1947 को निकले इस अंक में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का चित्र छापा गया था ,जिसमें वह तिरंगा झंडा हाथ में लिए हुए खड़े थे। प्रथम पृष्ठ पर दिल्ली के कई दर्शनीय स्थलों के चित्र छापे गए थे।" नव भारत " का ये अंक ही हमारी गणना का आधार बना और तय हो गया कि " नव भारत " का प्रकाशन 3 अप्रैल,1947 को दिल्ली में आरम्भ हुआ।
स्वर्गीय पंडित श्रीदत्त भारद्वाज " नव भारत " के संस्थापक सदस्यों में थे। उन्होंने 1जनवरी ,1947 को " नव भारत " में उप संपादक के रूप में कार्यभार संभाला था। स्वर्गीय सत्यदेव विद्यालंकार उस समय संपादक थे। मेरे पिताश्री इससे पूर्व " दैनिक विश्वामित्र " में कार्यरत थे। नव भारत टाइम्स में 30 साल तक सेवा करने के बाद सन 1977 में वह चीफ सब एडिटर के पद से सेवानिवृत्त हुए । 19 दिसंबर,1978 को उनका नई दिल्ली में देहावसान हो गया।
मुझे मेरे पिताश्री स्वर्गीय पंडित श्रीदत्त भारद्वाज ने बताया था कि 1947 में " नव भारत " पुरानी दिल्ली के मोरी गेट क्षेत्र की किसी पुरानी हवेली से प्रकाशित होता था।जब 1950-51 में " नव भारत " का कार्यालय 10, दरिया गंज में शिफ्ट हुआ, तो तत्कालीन संपादक स्वर्गीय मातादीन भगेरिया जी ने सारा पुराना रिकार्ड व अखबार की सारी फाइलें रद्दी समझ कर मोरी गेट कार्यालय में ही छोड़ देने का आदेश दिया। ये उसी आदेश का परिणाम था कि आज भी नव भारत टाइम्स के 7, बहादुर शाह जफर स्थित कार्यालय में 1950 के बाद का ही रिकॉर्ड उपलब्ध है।
*" नव भारत " कब और क्यों नव भारत टाइम्स बना*
अब मैं आपको बताता हूँ कि " नव भारत " कब और क्यों नव भारत टाइम्स बना।अखबार के मालिक स्वर्गीय रामकृष्ण डालमिया जी ने आज़ाद भारत में एक नया हिन्दी का समाचार पत्र निकालने का स्वप्न देखा और नाम रखा " नव भारत " । 1950 तक अखबार इसी नाम से छपता रहा लेकिन नागपुर के इसी नाम से छपने वाले एक पुराने अखबार ने जब मुकदमा जीत लिया तो अखबार का नाम हो गया" नव भारत टाइम्स"।
मुझे भी " नव भारत टाइम्स" में काम करने का मौका मिला।1982 में टाइम्स ऑफ इंडिया की ट्रेनिंग स्किम में मेरा चयन हुआ और 2012 तक मैंने वहां सेवा की। 31 अगस्त,2012 को मैं नव भारत टाइम्स के नाईट एडिटर पद से रिटायर हुआ। मुझे " नव भारत टाइम्स" के " स्वर्ण जयंती विशेषांक " और 60 वर्ष पूर्ण होने पर निकले " 60 वर्ष का नव भारत टाइम्स विशेषांक " भी 2007 में निकालने का सौभाग्य मिला।
(राजेन्द्र भारद्वाज, पूर्व नाईट एडिटर, नव भारत टाइम्स, नई दिल्ली)
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