पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी शहर के घोगोमाली के चयन पारा काली मंदिर के पास के एक घर में सुजय पाल ने ऑनलाइन गेम में लाखों रुपए हारकर आत्महत्या के लिए मजबूर हुआ। परिवार वालों ने पड़ोसियों के साथ देखा कि वह घर में फंदे से झूला हुआ था। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज पुलिस मामले की जांच कर रही है। लोगों का कहना है कि सुजय पाल इस इलाके में पिछले 10 वर्षों से रहा था था। इन दिनों वह ऑन लाइन गेम लगातार खेल रहा था। परिवार के एकाउंट से लगातार पैसा निकालकर वह गेम खेलते हुए लगातार हार रहा था। लोगों की मांग है कि अविलंब इस गेम पर रोक लगे। युवा पीढ़ी ऑनलाइन गेमिंग की ओर बड़ी तेजी से आकर्षित हो रही है। युवा पीढ़ी को जिस तरह से डिजिटल दुनिया की जानकारी है वो इस तरह के गेम से आसानी से जुड़ जाते हैं। जिसकी भनक उनके माता-पिता को नहीं लगती है। ऑनलाइन गेम से मिनटों में खाली हो जाएगा एकाउंट:
ऑनलाइन गेमिंग से जुडऩे के लिए आपको घर से बाहर कदम निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि सब कुछ ऑनलाइन ही तो है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन होता है तो इसमें पैसे भी ऑनलाइन ही लगाने होते हैं। ऑनलाइन गेमिंग से कई दुष्प्रभाव हैं। गेमिंग डिसऑर्डर विकसित होने के साथ-साथ, दुनिया भर में दूसरों के साथ ऑनलाइन खेलने और चैट करने की क्षमता बच्चों और युवाओं को धोखाधड़ी, गेमिंग और ऑनलाइन बदमाशी के लिए खुला छोड़ सकती है।
अभिभावकों को किया जाय जागरूक : बताया कि ऑनलाइन गेमिंग बहुत सारे खतरों से घिरा हुआ है। पूरे दिन खेलों की लेत लग जाना, नींद की समस्या का सामना करना, स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पडऩा, एक महंगा शौक, परिवार और दोस्तों से अलग हो जाना, आक्रामकता का स्तर बढ़ जाना, कीमती समय की बर्बादी, नेत्र ²ष्टि को प्रभावित करता है, बच्चों की नासमझी से ऑनलाइन गेम पर पैसे लगाना और पैसों का डूब जाना आदि शामिल है। इसलिए सतर्क और सुरक्षित रहने की जरूरत है।
अभिभावकों को यह करने की जरूरत: बच्चों को ऑनलाइन गेम्स के साइड इफेक्ट बताएं। यदि बच्चा ऑनलाइन गेम्स खेलता है तो पैरेंट््स को चाहिए कि बच्चे को इसके नुकसान के बारे में बताएं। उन्हें समझाएं कि ऑनलाइन गेम्स खेलने का बुरा असर उनके दिमाग और आंखों पड़ता है। इससे बच्चों में गुस्सा बढ़ता है। वे पढ़ाई में फोकस नहीं कर पाते हैं।
परिवार बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। अगर आप बच्चे के साथ टाइम स्पेंड करेंगे। तो वह ऑनलाइन गेम्स खेलना कम या बंद कर देगा। देखा गया है कि जो छोटे बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं। अक्सर वही अपने को मोबाइल, वीडियो गेम्स, टीवी और कंप्यूटर में व्यस्त कर लेते हैं।
बच्चे को ऑनलाइन गेम्स खेलने से बचाना चाहते हैं तो पैरेंट्स बच्चे को बाहर लेकर जाएं। आउटडोर एरिया में अन्य बच्चों के साथ खेलने से बच्चे में कॉङ्क्षफडेंस आता है। टीम स्परिट बढ़ती है। यदि किसी वजह से बच्चे को बाहर नहीं ले जा पा रहे हैं उसे अपने साथ वॉक पर ले जाएं। पार्क में ले जाकर एक्सरसाइज करें। बच्चे को ऑनलाइन गेम्स खेलने की लत से बचने के लिए पैरेंट्स उसे अपना फ्री टाइम सही जगह यूज करने की सलाह दें। अक्सर देखा जाता है कि ऑनलाइन गेम्स खेलने वाले बच्चे बेहद शॉर्प माइंड होते हैं। ऑनलाइन की बजाय उन्हें किसी क्रिएटिव काम में बिजी करें। ( कोलकाता से अशोक झा )
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