बंगाल के 2016 एसएससी घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 25752 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरी चली गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार (7 अप्रैल) को नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि बोलने पर उन्हें जेल भी हो सकती है, लेकिन वह बोल रही हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी साथ देने से इंकार नहीं कर सकता। ममता ने कहा की सर्वोच्च न्यायालय हमें यह नहीं बता सका कि कौन योग्य है और कौन अयोग्य है। विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए ममता ने कहा कि खेल 2022 में शुरू हुआ। जिनके पास नौकरी देने की ताकत नहीं है, उन्होंने नौकरियां छीन ली हैं। चेहरा और मास्क अलग-अलग होने चाहिए। किसी भी योग्य व्यक्ति को अपनी नौकरी नहीं खोनी चाहिए। वे कहते हैं कि वे आपको 2026 में नौकरी देंगे। ममता ने आरोप लगाया कि नौकरी छीनने का काम बीजेपी के लोगों ने किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तीन महीने के अंदर नई भर्ती शुरू करने के आदेश दिए हैं। ममता बनर्जी ने कोर्ट के फैसले पर कहा था कि वह अदालत का पूरा सम्मान करती हैं, लेकिन मानवीय आधार पर इस फैसले को स्वीकार नहीं करती हैं। उन्होंने बीजेपी और सीपीआई-एम पर आरोप लगाते हुए कहा था कि इन दोनों पार्टियों ने पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने के लिए ऐसा करवाया है। आगामी चुनाव की तैयारी: भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बंगाल सरकार को घेर रही है। ममता बनर्जी नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ मुलाकात कर रही हैं और बीजेपी के नेता सदन में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ममता इस बात पर अड़ी हैं कि किसी को शिक्षकों की नौकरी छीनने का अधिकार नहीं है। वहीं, बीजेपी का कहना है कि राज्य में उनकी सरकार आने पर भ्रष्टाचारी सीएम ममता को जेल भेजा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था और तीन महीने में नई भर्ती शुरू करने को कहा है। कोर्ट ने 2016 में एसएससी भर्ती के लिए पूरा पैनल रद्द कर दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में धांधली हुई है और इसमें विश्वसनीयता का अभाव है। सुप्रीम कोर्ट ने 25752 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की डिवीजन बेंच ने कहा कि उन्हें कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं होती।
अयोग्य अभ्यर्थी 12% ब्याज के साथ सैलरी लौटाएंगे: फैसले में कहा गया कि योग्य और अयोग्य के बीच अंतर करना संभव नहीं है। जिन लोगों को 2016 में नौकरी मिली थी, वे नई भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकेंगे। जो लोग अन्य सरकारी नौकरियां छोड़कर 2016 एसएससी के माध्यम से स्कूल की नौकरियों में शामिल हुए थे, वे अपनी पुरानी नौकरियों में वापस आ सकेंगे। जिन लोगों को अयोग्य घोषित किया गया है, वे अब परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। उन्हें 12 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित अपना सैलरी लौटाने को कहा गया है। अभी भी इस बात को लेकर कुछ स्पष्ट समझ नहीं है कि चयन प्रक्रिया किस प्रकार संचालित की जाएगी तथा कौन परीक्षा में बैठ सकेगा।क्या है 2016 एसएससी घोटाला: 2016 एसएससी के लिए शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप उठाए गए थे। इस संबंध में सुनवाई के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने 21 अप्रैल 2024 को अपने फैसले में 2016 की भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया। इसके परिणामस्वरूप 25,752 नौकरियां रद्द हो गईं। राज्य सरकार, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और एसएससी ने उस फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सीबीआई ने अदालत को बताया कि कई लोगों ने श्वेत पत्र जमा करके नौकरी हासिल की है। इसके अलावा, एसएससी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार, 5,000 से अधिक लोगों को बैंक जंप और एक्सपायर पैनल से नौकरी मिली। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 10 फरवरी को पूरी हुई थी। टीएमसी के कई नेता गिरफ्तार: केंद्रीय जांच एजेंसी ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी मित्र अर्पिता मुखर्जी के दो फ्लैटों से लगभग पचास करोड़ रुपए नकद बरामद किया था। इसके बाद 23 जुलाई 2022 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया। केंद्रीय जांच एजेंसी का मानना था कि यह बड़ी रकम शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार से जुड़ी है। इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। ( कोलकाता से अशोक झा )
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