बंगाली समुदाय में पोइला बोइशाख का काफी महत्व है, क्योंकि इसी दिन से बंगालियों का नववर्ष शुरू होता है। पोइला बोइशाख को पोहेला बैसाख के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, झारखंड और असम में बंगाली लोग इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को नए साल की बधाई देने का साथ तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। आइए जानते हैं इस साल पोइला बोइशाख यानी बंगाली नववर्ष 2025 कब मनाया जाएगा।पोइला बोइशाख 2025 में कब ? पोइला बोइशाख14 या 15 अप्रैल को मनाया जाता है। इस साल पोइल बोइशाख 15 अप्रैल 2025 को है। ‘शुभो नोबो बोरसो’ (नया साल मुबारक) कहकर एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। 1431 को इसी दिन बंगाली कैलेंडर की शुरुआत हुई थी. असर में इसी दिन बोहाग बिहू त्योहार भी मनाया जाएगा।
कैसे मनाते हैं पोइला बोइशाख: बंगाली समुदाय के लोग पोइला बोईशाख के दिन अपने घरों की अच्छा तरह सफाई कर।स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं और मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन दुकानदार से लेकर बिजनेस करने वाले नए खाता-बही की शुरुआत करते हैं। पोइला बोइशाख के दिन बंगाल में कई जगहों में पर गौ माता की पूजा का भी विधान है। लोग बंगाली नववर्ष के पहले दिन गाय को स्नान कराने के बाद उसे तिलक लगाते हैं, भोग चढ़ाते हैं, कई जगह पारंपरिक मेलों का आयोजन किया जाता है. पोइला बोइशाख के अगले दिन लोग अच्छी वर्षा के लिए बादल की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इससे अच्छी फसल होती है।पोइला बोइशाख का इतिहास :
पोइला बैसाख को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि मुगल शासन के दौरान, इस्लामी हिजरी कैलेंडर के साथ करों का संग्रह किया जाता था। लेकिन हिजरी कैलेंडर से चंद्र कैलेंडर मेल नहीं (कृषि चक्रों अलग होने के कारण) खाता था। इसलिए, बंगालियों ने इस त्योहार की शुरुआत की और बंगाली कैलेंडर को बंगबाड़ा के नाम से जाना जाने लगा।
मांगलिक कार्य के लिए शुभ है ये दिन: जिस तरह हिंदू धर्म में कुछ ऐसे दिन हैं जिन्हें मांगलिक कार्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है उसी तरह बंगाली लोग पोइला बोईशाख के दिन गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह आदि मांगलिक कार्य करना शुभ मानते हैं।किसी नए कार्य की शुरुआत, नया बिजनेस शुरू करने के लिए भी ये दिन खास है।
सिलीगुड़ी में चार दिवसीय 'बांग्ला फूड फेस्टिवल' का शुरू हुआ आयोजन:
बंगाली नववर्ष 1432 अब बस कुछ ही कदम दूर है। बैशाख की शुरुआत के साथ ही प्रकृति जहां नए रंगों से सजती है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्सव की हवा बहने लगी है। इस बार खुशियों को दोगुना करने के लिए पर्यटन विभाग एक खास पहल लेकर आया है-चार दिन का 'बांग्ला फूड फेस्टिवल'। कल से यानि 12 अप्रैल से sपहला बैशाख से शुरू होकर 15 अप्रैल तक चलने वाला यह आयोजन बंगाल के स्वाद और संस्कृति का अनोखा संगम होगा। राज्य भर के पर्यटन स्थलों पर होने वाला यह फेस्टिवल देश-विदेश के मेहमानों को बंगाली खानपान की विरासत से रूबरू कराएगा। पहली बार नववर्ष में स्वाद का जश्न: यह फूड फेस्टिवल सिलीगुड़ी के मैनाक टूरिस्ट लॉज से लेकर दार्जिलिंग और अन्य सरकारी पर्यटन केंद्रों पर रोजाना दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक आयोजित होगा। दार्जिलिंग जिले के एक वरिष्ठ पर्यटन अधिकारी ने बताया, "नववर्ष के मौके पर बंगाली परंपराओं और भोजन को बढ़ावा देने की यह पहली कोशिश है। हम चाहते हैं कि लोग हमारे स्वाद के जरिए हमारी संस्कृति को जानें।" खास बात यह है कि खाने के शौकीनों के लिए पहले से बुकिंग की सुविधा भी रखी गई है। अधिकारी को भरोसा है कि यह आयोजन हर किसी को अपनी ओर खींचेगा।
मेनू में बंगाल की आत्मा: फेस्टिवल का मेनू ऐसा है, जो बंगाल के हर कोने की कहानी कहता है। पारंपरिक पांटा हिल्सा, तली हुई खिचुरी और बैंगन से लेकर चितई पीठा, पतिसप्ता और भापा पीठा जैसे स्वादिष्ट पीठे तक-हर व्यंजन कुछ खास लेकर आएगा। मांसाहारियों के लिए चिकन शोरबा, कीमा मटन, झींगा करी और भुनी सब्जियां होंगी, तो शाकाहारी फ्राइड राइस और लूची-चना दाल का हल्का स्वाद भी चख सकेंगे। मीठे के शौकीनों के लिए रसगुल्ला, संदेश, चमचम और मीठा दही तैयार है। साथ ही, ताजा आम शर्बत, मछली-मांस के व्यंजन, पायस और रबड़ी भी परोसे जाएंगे।जनजातीय इलाकों का खास आकर्षण होगा जंगल से प्रेरित भोजन, जैसे बत्तख का मांस और केकड़ा शोरबा। एक स्टॉल संचालक ने उत्साह से कहा, "ये स्वाद अब कम ही देखने को मिलते हैं। हम इन्हें फिर से लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।"
डुबकियां कब्जी: स्वाद में परंपरा का तड़का: इस फेस्टिवल की एक अनूठी बात है हर स्टॉल पर 'डुबकियां कब्जी' की व्यवस्था। इसका मतलब है खाने को चटनी या ग्रेवी में डुबोकर परोसने की बंगाली शैली, जो स्वाद को और गहरा बनाती है। पर्यटन विभाग का मानना है कि यह छोटा-सा इंतजाम मेहमानों को बंगाल के घरेलू अहसास से जोड़ेगा। सिलीगुड़ी के एक निवासी ने कहा, "यह सुनकर ही मुंह में पानी आ गया। ऐसा लगेगा जैसे घर का खाना बाहर मिल रहा हो।"मुफ्त एंट्री, कुछ स्टॉल्स पर शुल्क: फेस्टिवल में प्रवेश पूरी तरह मुफ्त है, ताकि हर कोई इस स्वाद के मेले का हिस्सा बन सके। हालांकि, कुछ चुनिंदा स्टॉल्स पर मामूली कीमत वसूली जाएगी। आयोजकों ने परिवारों के लिए माहौल को जीवंत और सुरक्षित बनाने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। कोलकाता की फूड ब्लॉगर रिया सेन कहती हैं, "यह सिर्फ खाना नहीं, बल्कि बंगाल की आत्मा का जश्न है। हर स्टॉल एक नई कहानी लेकर आएगा।"पर्यटन और कारोबार को नई उड़ान: यह आयोजन सिर्फ स्वाद का उत्सव नहीं, बल्कि पर्यटन और स्थानीय कारोबार को बढ़ावा देने का जरिया भी है। छोटे खाद्य व्यापारियों को अपनी कला दिखाने का मौका मिलेगा, वहीं पर्यटक बंगाल की मेहमाननवाजी को करीब से महसूस करेंगे। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "हमारा लक्ष्य है कि बंगाल का हर स्वाद दुनिया तक पहुंचे। यह फेस्टिवल उस दिशा में एक कदम है।"नववर्ष में स्वाद की शुरुआत: बंगाली नववर्ष के इस मौके पर 'बांग्ला फूड फेस्टिवल' न सिर्फ पेट को खुश करेगा, बल्कि दिल को भी छूएगा। अगर आप बंगाल की खाद्य संस्कृति का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो 12 से 15 अप्रैल तक अपने लिए वक्त निकाल लें। यह आयोजन हर किसी को बुला रहा है-चाहे आप स्थानीय हों या सैलानी, स्वाद की इस सैर का हिस्सा बनें। ( कोलकाता से अशोक झा )
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