- खत्म होने को है भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा जल के बंटवारा का विवाद
- रोक दिया पानी तो एक तिहाई पानी को भी भविष्य में तरसेगा बांग्लादेश
पड़ोसी देश बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि उसके देश के पास भारत के साथ अच्छे संबंध रखने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। एक इंटरव्यू में मोहम्मद यूनुस ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
जिस बांग्लादेश ने हिंदुओं पर अत्याचार के रिकॉर्ड बना डाले. जो बांग्लादेश भारत को दुश्मन मान बैठा है। अब वही बांग्लादेश, भारत के सामने गिड़गिड़ा रहा है।तड़प रहा है। आग्रह कर रहा है कि उसकी विनती मान ली जाए।वह अपनी जनता पर पड़ने वाले असर की दुहाई देकर भारत का रुख पिघलाने की कोशिश कर रहा है। वहीं मोदी सरकार अभी शांत है और स्थितियों को परख रही है कि क्या करना उसके लिए सही रहेगा। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नया मुल्लावादी बनने की कोशिश कर रहे बांग्लादेश के साथ ऐसा क्या हो गया है कि उसके सुर एकदम से बदले-बदले नजर आ रहे हैं। खत्म हो रहा है गंगाजल बंटवारा समझौता: विदेश नीति के एक्सपर्टों के मुताबिक, बांग्लादेश की भाव-भंगिमा बदलने की वजह है गंगाजल. दरअसल, भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा जल के बंटवारे को लेकर 30 साल पुराना समझौता है। लेकिन 1996 में हुआ फरक्का समझौता वर्ष 2026 में खत्म हो रहा है।इस समझौते में भारत ने बांग्लादेश को करीब एक तिहाई पानी देना स्वीकार कर किया था. अब यदि भारत इस समझौते को रिन्यू नहीं करता है तो बांग्लादेश में हाहाकार मच सकता है।
समझौते के लिए भारत पहुंचा बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल : यही वजह है कि भारत पहुंची बांग्लादेश की 11 सदस्यीय टीम त्राहिमाम कर रही है। बांग्लादेश चाहता है कि भारत इस समझौते को रिन्यू करे और बांग्लादेश को गंगा जल मिलता रहे. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि एक तरफ तो बांग्लादेश में हिंदू आस्था पर अत्याचार हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश गंगा के पानी के लिए तड़प रहा है. इसीलिए ज्वाइंट रिवर कमेटी के सदस्य अब्दुल हुसैन के नेतृत्व में 7 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल कोलकाता पहुंचा।दोनों देशों के टेक्निकल एक्सपर्ट की संयुक्त समिति की 86वीं बैठक में 30 साल पुरानी संधि पर बातचीत हुई. अब्दुल हुसैन के अनुसार, 38 प्रतिशत बांग्लादेशी गंगा के पानी पर निर्भर हैं. ये हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें किसी भी तरह की रुकावट बांग्लादेश में खेतीबाड़ी को पूरी तरह चौपट कर सकती है। भारत के दिए पानी पर 38 प्रतिशत बांग्लादेशी निर्भर: दरअसल, वर्ष 1996 में शेख हसीना ने भारत के साथ फरक्का समझौता किया था. इस समझौते के तहत बांग्लादेश को जरूरत का 1 तिहाई पानी गंगा नदी से मिलता है. इसी फरक्का समझौते की समय सीमा 2026 में खत्म हो रही है. अब बांग्लादेश इस समझौते को रिन्यू करने के लिए भारत से गुहार लगा रहा है। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद भारत से उसके रिश्ते बिगड़े हुए हैं। ऐसे में उसे डर है कि अगर भारत ने इस समझौते को रिन्यू नहीं किया तो उसकी एक तिहाई आबादी प्यासी मर जाएगी और खेती बिल्कुल चौपट हो जाएगी। यही वजह है कि वह अब अपनी गरीबी का रोना रोते हुए भारत के आगे नाक रगड़ रहा है।।
क्या मोदी सरकार अब मौके का करेगी सही इस्तेमाल?: लेकिन समझौता RENEW करने के लिए दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष को सहमत होना जरूरी है. ऐसे में सवाल है कि क्या मोदी सरकार इस मौके को मास्टर स्ट्रोक के रूप में इस्तेमाल कर बांग्लादेश को उसकी औकात याद दिलाने की पहल करेगी या. यदि समझौता रिन्यू होता भी है तो क्या उसमें भारत की चिंताओं को शामिल किया जाएगा। क्या हिंदुओं का खून बहाने वाले बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को मां गंगा तड़पा देंगी? इन सवालों का आने वाले वक्त में ही कोई जवाब मिल सकेगा। ( बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा )
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/