- हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा, संघ के लिए सबसे बड़ा उत्सव
- बन रहा सर्वार्थ अमृत सिद्धियोग का शुभ संयोग, जीवन में खुशियां होगी अपार
यूं तो पूरी दुनिया में नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन भारतीय संस्कृति के अनुसार हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से होती है। हालांकि यह तिथि हर साल बदलती है और हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल हिंदू नववर्ष 30 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। क्या आप जानते हैं कि आखिर हिंदू नववर्ष क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत किसने की थी? अगर नहीं, तो आइए आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। हम सभी नए साल की दहलीज पर खड़े हैं। हमारे लिए हर दिन नया है, हर साल नया है और हर नया साल एक नई उम्मीद, नया संकल्प और नये अवसर लेकर आता है। हिंदू नववर्ष चैत्र माह की प्रतिपदा से ही नए वर्ष की शुरुआत हो जाती है, लेकिन शुक्ल पक्ष को ज्यादा शुभ माना जाता है, इस कारण चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। हर बार नए संवत्सर का कोई एक राजा और मंत्री होता है, लेकिन इस बार दोनों पद एक के ही पास हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रि का आरंभ होता है। घर में कलश स्थापन की जाती है और उपासक उपवास करते हैं। इस साल चैत्र नवरात्र दुर्गा पूजा का शुभारंभ इस बार 30 मार्च रविवार से हो रहा है। इस दिन से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत का आरंभ भी होगा। इस बार का संवत्सर 2082 होगा और इसका नाम भी सिद्धार्थी संवत होगा। इस दिन सर्वार्थ अमृत सिद्धियोग का शुभ संयोग बन रहा है। चैत्र नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष के आरंभ के समय मीन राशि में 6 ग्रहों का योग बन रहा है l सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, शनि और राहु सभी 6 ग्रह एक साथ मीन राशि में गोचर करेंगे l दैनिक योगों में ऐंद्र योग रात्री 7:40 तक रहेगा। सर्वार्थसिद्धियोग प्रातः 6:14 के बाद से आरंभ होगा। यायिजययोग दिन में 2:14 तक रहेगा। इन योगों में ही हिन्दू नववर्ष 2082 का आरंभ और नवरात्रि का कलश स्थापन होगा। यह वह समय होता है जब हम अपने अतीत को पीछे छोड़कर भविष्य की ओर कदम बढ़ाते हैं। यह न केवल समय की एक और परिभाषा है, बल्कि हमारे भीतर छुपे उन अनगिनत संभावनाओं और सपनों की शुरुआत भी है, जिन्हें हम अब साकार करने का दृढ़ संकल्प लेते हैं। नए साल की दस्तक के साथ, हम हर दिन को एक नए अवसर के रूप में अपनाते हैं, जो हमें न केवल अपनी खुशियों को संजोने बल्कि अपनी जिंदगी को और बेहतर बनाने की प्रेरणा भी देता है।
विक्रम संवत क्या है? हिंदू नववर्ष विक्रम संवत के आधार पर मनाया जाता है और इसकी शुरुआत राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने की थी। यह संवत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है। इसे गणितीय दृष्टि से सबसे सटीक काल गणना माना जाता है और ज्योतिषी भी इसे ही मानते हैं। इस संवत में कुल 354 दिन होते हैं, और हर तीन साल में एक अतिरिक्त माह (अधिक मास) जोड़ा जाता है, ताकि समय का संतुलन बना रहे। बता दें कि इसे भारत के अलग-अलग राज्यों में गुड़ी पाड़वा, उगादि जैसे नामों से जाना जाता है।
हिंदू नववर्ष हिंदुओं के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। यही कारण है कि इस दिन को नवसंवत्सर के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से ही चैत्र नवरात्रि शुरू होती है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वहीं, राम नवमी भी इसी महीने में आती है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
चैत्र नवरात्र से ही क्यों होती है हिंदू नववर्ष की शुरुआत?
हिंदू पंचांग में नया साल चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है। इसके पीछे एक खास वजह है। फाल्गुन पूर्णिमा के बाद चैत्र माह की शुरुआत होती है, लेकिन उस समय कृष्ण पक्ष चलता है। सनातन परंपरा हमेशा अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने में विश्वास रखती है। इसलिए जब चैत्र शुक्ल पक्ष शुरू होता है, तभी से नववर्ष मनाया जाता है।हिंदू नववर्ष से जुड़ी खास बातें:
चैत्र महीना हिंदू कैलेंडर का पहला महीना होता है और यह होली के बाद शुरू होता है। इस माह की शुक्ल प्रतिपदा से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इसी माह में नवरात्रि शुरू होती है और भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।
हिंदू नववर्ष से ही नए संवत्सर की शुरुआत होती है। सभी चारों युगों में सबसे पहले सतयुग की शुरुआत भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हुई थी। इसे सृष्टि के कालचक्र का पहला दिन माना जाता है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने वानरराज बाली का वध किया था और वहां की प्रजा को उसके अत्याचार से मुक्त कराया था। जिसकी खुशी में प्रजा ने अपने-अपने घरों पर ध्वज फहराए थे।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में वर्ष भर में कई दिन नव वर्ष दिवस के रूप में मनाए जाते हैं। पालन इस बात से निर्धारित होता है कि चंद्र, सौर या चंद्र-सौर कैलेंडर का पालन किया जा रहा है या नहीं। वे क्षेत्र जो सौर कैलेंडर का पालन करते हैं। नया साल पंजाब में बैसाखी, असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडु, केरल में विशु, ओडिशा में पना संक्रांति या ओडिया नबाबरसा और बंगाल में पोइला बोइशाख के रूप में आता है। यानी वैशाख, आम तौर पर यह दिन अप्रैल महीने की 14 या 15 तारीख को पड़ता है। चंद्र कैलेंडर का पालन करने वाले लोग चैत्र महीने ( मार्च -अप्रैल के अनुरूप ) को वर्ष का पहला महीना मानते हैं। इसलिए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक में उगादी और गुढ़ी पड़वा की तरह इस महीने के पहले दिन नया साल मनाया जाता है। महाराष्ट्र। इसी प्रकार, भारत में कुछ क्षेत्र लगातार संक्रांतियों के बीच की अवधि को एक महीना मानते हैं और कुछ अन्य लगातार पूर्णिमाओं के बीच की अवधि को एक महीना मानते हैं। गुजरात में नया साल दिवाली के अगले दिन के रूप में मनाया जाता है।हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह हिंदू महीने कार्तिक के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को पड़ता है। चंद्र चक्र पर आधारित भारतीय कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक वर्ष का पहला महीना है और गुजरात में नया साल कार्तिक (एकम) के पहले उज्ज्वल दिन पर पड़ता है। भारत के अन्य हिस्सों में, नए साल का जश्न वसंत ऋतु में शुरू होता है।
कैसे मनाएं हिंदू नववर्ष ? प्रातःकाल स्नान करके देवताओं की पूजा करें।घर में सजावट करें और परिवार के लोगों के साथ विशेष पकवानों का आनंद लें। यह दिन नई शुरुआत के लिए शुभ माना गया है। इसलिए हिंदू नववर्ष पर कुछ नया व्यापार शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा जरूरतमंदों को दान करें और अच्छे कार्यों का संकल्प लें। ( अशोक झा की कलम से )
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