कल दिन में 3 बजे खबर मिली कि हमारे साथी अभिमन्यु शितोले जी ने अंतिम सांस ली। वे पिछले कई महीनों से कैंसर से जूझ रहे थे। बीच में एक बार तो लगा कि वे अपनी जीवटता और अंतिम सांस तक लड़ने के स्वभाव के चलते इस पर जीत हासिल कर लेंगे। उन्हें करीब छह महीने पहले मुंह का कैंसर हुआ था। ऑपरेशन किया गया और उसके बाद वह धीरे-धीरे बेहतर हो रहे थे। इस हद तक कि कुछ दिनों के लिए उन्होंने ऑफिस आकर काम करना भी शुरू कर दिया। लेकिन फिर उन्हें दर्द की शिकायत हुई और उसके बाद एक स्ट्रोक आ गया। बस वहीं से सबकुछ खराब होता गया।
2010 में नवभारत टाइम्स मुंबई का संपादक बनने के बाद 2011-12 में मैंने अभिमन्यु जी को अपनी टीम में शामिल किया था। वह उससे पहले टीवी 9 के लिए काम कर रहे थे। उनमें पत्रकारिता को लेकर गहरी समझ थी और काम के प्रति गहरा लगाव। उनके समय कुमुद चावरे जी पॉलिटिकल एडिटर थीं। कुमुद जी के रिटायर होने के बाद अभिमन्यु जी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्हें कुछ समय तक सिटी एडिटर की जिम्मेदारी भी दी गई थी। अभिमन्यु जी की पॉलिटिकल समझ बहुत गहरी थी। हालांकि वे फील्ड में जाकर नेताओं से बहुत ज्यादा नहीं मिलते थे, लेकिन राजनीतिक हलचलों पर वे बारीक नजर बनाए रखते थे। उन्होंने ही तीन साल पहले एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने की खबर ब्रेक की थी, जिसे हमने फ्रंट पेज पर लिया था। वह खबर पूरे देश में सिर्फ हमने ही दी थी।
अभिमन्यु जी बहुत प्यारे इंसान थे। हालांकि उन्हें लगातार संघर्ष करना पड़ा। पहले मां बहुत बीमार रहीं। कुछ समय तक उनकी पत्नी भी डिप्रेशन का शिकार रहीं। दोनों बच्चे उनके कलेजे के टुकड़े थे। ऑफिस में उन्होंने सबसे मधुर संबंध बनाए हुए थे। वे किसी के दबाव में आकर काम नहीं करते थे। अच्छा काम करने के लिए उन्हें आजादी का अहसास होना बहुत जरूरी थी। बतौर संपादक मैंने उन्हें हरसंभव यह आजादी देने का प्रयास किया। एक मित्र के नाते मैं लंबे समय से उनके पीछे ही पड़ गया था कि उन्हें तंबाकू का सेवन छोड़ देना चाहिए। और दो साल पहले उन्होंने मेरी जिद पर ही उसे छोड़ दिया था। एक समय वह अपने काम की थकान मिटाने अक्सर प्रेस क्लब चले जाते थे। उन्होंने उस आदत पर भी काम किया। उन्होंने अपनी हेल्थ की ओर ध्यान देना शुरू ही किया था कि अचानक कैंसर की खबर मिली।
उन्हें कैंसर होने के बाद जब इलाज शुरू हुआ, तो मैंने देखा कि किस तरह पूरा स्टाफ उनके साथ जाकर खड़ा हो गया। हमारे साथी राजकुमार सिंह और विजय पांडे ने परिवार के सदस्य से बढ़कर उनके इलाज का बीड़ा उठाया। इलाज के लिए पैसों की व्यवस्था की। परिवार पर जरा भी बोझ नहीं पड़ने दिया। और अभिमन्यु जी भी पूरा दम लगाकर लड़े। उन्हें दो बार इस बीच स्ट्रोक आया। उसी से उनके इलाज में विलंब हुआ और कैंसर मौका देख ज्यादा फैल गया। उनकी बेटी आर्या नवभारत टाइम्स की बेटी है। उसने फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया है। अब हमें उसके लिए जॉब देखना है। कोई बंधु अगर उसे अवसर दिलवा सकता है, तो कृपया संपर्क कीजिएगा। उनका बेटा बहुत समझदार है। अभी होटल मैनेजमेंट कर रहा है। हमारे लिए यह एक अपूर्णीय क्षति है।
अभिमन्यु जी से इस बात की तो बहुत गहरी शिकायत है कि वे हमें जल्दी छोड़कर चले गए। 54 साल कोई उम्र नहीं होती जाने की। मगर वे हमारी यादों में हमेशा बने रहेंगे। हमने उनके याथ जिंदगी के कितने ही उजले रंग देखे। आज वे सारे रंग भरे दृश्य मेरी आंखों में झिलमिला रहे हैं। ये नवभारत टाइम्स, मुंबई के सभी साथियों के लिए बहुत भावुक क्षण हैं। लेकिन हम अपने प्यारे अभिमन्यु जी के लिए दिल से मजबूत बनना चाहते हैं। हम उनके परिवार के साथ खड़े रहने, और उन्हें हरसंभव मदद करने के लिए भी कृतसंकल्प हैं। अभिमन्यु जी आप आर्या और पीयूष की जरा भी चिंता न करना। वे हमारे अपने बच्चे हैं। मुस्कुराते रहना। ( नवभारत टाइम्स मुंबई के संपादक सुंदर चंद ठाकुर की कलम से )
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