- वाट्सएप पर होती है टिकट की बुकिंग, फिर कारोबारी के लिखाए नंबर की गाड़ी में डालते हैं टिकट
- दर्जी के धंधे आड़ में इसको दिया जा रहा अंजाम
बिहार में 1993 से प्रतिबंधित लॉटरी कारोबार की जड़ें अब भी बहुत मजबूत हैं। शायद ही कोई ऐसा जिला हो, जहां लॉटरी का अवैध कारोबार नहीं हो रहा हो। बिहार में फैले इस अवैध कारोबार के माफिया बिहार-बंगाल बॉर्डर ठाकुरगंज से इस धंधे को ऑपरेट करता हैं। माफिया लॉटरी के अवैध धंधा कैसे करते हैं। लॉटरी माफिया ठाकुरगंज में बैठकर किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, बेगूसराय और खगड़िया में बड़े पैमाने पर ये धंधा कर रहा हैं। एक लाख के टिकट पर 40 हजार का मुनाफे का सब्जबाग दिखाकर ये माफिया हर माह बिहार के हर वर्ग के लोगों की जेब में डाका डाल रहे हैं और करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। कम लागत में अधिक रुपए कमाने के चक्कर में बिहार के लोग इसके शिकार हो रहे हैं। बंगाल के कई एजेंसी संचालक से हुई बातचीत से निकले अनुमान के अनुसार बिहार से बंगाल की लॉटरी एजेंसियां हर माह लगभग 5 करोड़ रुपए का अवैध धंधा कर रही हैं। बातचीत में इन माफियाओं ने इस बात को स्वीकार किया कि ये लोग वाट्सएप पर टिकट भेजकर उसकी बुकिंग करते हैं और पेमेंट ऑनलाइन लेते हैं। इसके बाद बिहार के लॉटरी धंधेबाज बस या रोजाना चलने वाले अन्य वाहन से बंगाल से टिकट मंगाकर कह खुद छापकर नकली टिकट बेचते हैं। इस गिरोह के सरगना ठाकुरगंज में बैठकर किशनगंज के पहले दालकोला और रामपुर फिर किशनगंज के बाद पंजीपारा लॉटरी के नेक्सस का हब बना लिया है। नगालैंड, मिजोरम, पश्चिम बंगाल की नकली डियर लॉटरी को राज्यों की सीमा से सटे जिलों में धड़ल्ले से खपाया जा रहा था। इससे पहले पुलिस ने कभी कभी एक दो बिक्रेताओं को पकड़ भी ले रही है लेकिन पूरा गैंग हाथ नही आ रहा था। मुख्य सरगना अब भी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। कैसे होता है पूरा खेल : मुख्य सरगना के पकड़े जाने का दोनों राज्यों बिहार बंगाल की पुलिस को बेसब्री से इंतजार है। यह गैंगलैपटॉप, प्रिंटर आदि तकनीक के इस्तेमाल में पारंगत है। और इनका काम सिर्फ हूबहू टिकट छाप कर मोटरसाइकिल से ऑर्डर डिलीवरी करना होता था। प्रिंटिंग मशीन के साथ पूरे सेटअप का आंकलन किया जाए तो करीब 50 लाख रुपये छापेखाने में इन्वेस्ट किये गए है।
सैकड़ों एजेंट कर रहे काम: शहर के वीरनगर में बेखौफ धंधेबाजों ने शहर में कई जगह अपना आशियाना बना रखा है। जबकि दर्जनों धंधेबाज घूम घूम कर टिकट की ब्रिकी में लगे हैं। लखपति बनने का सपना देखने वाले लोग मुंह मांगी कीमत पर टिकट खरीदते हैं। बेची जा रही लॉटरी की टिकट पर मिजोरम स्टेट, नागालैंड स्टैड अंकित है। कहा जाता है कि इसे बंगाल से यहां मंगाया जाता है। जानकारी अनुसार प्रतिदिन लॉटरी का तीन ड्रॉ होता है। हालांकि लॉटरी का यह खेल इस जिले में चल रहा है। सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन 8 से 10 लाख की लॉटरी की बिक्री हाेती है।
बताया जाता है कि लॉटरी टिकट की बिक्री के लिए गरीब तबके लोगों खासकर नशेड़ियों को कुरियरों/एजेंट के तौर पर इंस्तेमाल किया जाता है। इनका काम विभिन्न दुकानों तक लॉटरी की टिकट पहुंचाने का होता है। इसके एवज में इन कुरियरों को मोटी रकम कमीशन के तौर पर दी जाती है। कई लोग तो जेब में ही लॉटरी की दुकान लेकर चलते हैं। ( बंगाल से अशोक झा )
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