भारत और अमेरिका ने नई 10-वर्षीय रक्षा साझेदारी पर हस्ताक्षर करने तथा प्रमुख हथियारों के सह-उत्पादन को जारी रखने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की। यूएसए और भारत ने एक नई 10-वर्षीय रक्षा साझेदारी पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें प्रमुख हथियारों के सह-उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना शामिल है। इस मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय पीएम मोदी ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया, जिसमें उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सेनाओं की तैनाती को समर्थन देने का संकल्प जताया।यह घोषणा भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग को दर्शाती है.
भारत के लिए एफ-35 का महत्वयदि भारत इस पेशकश को स्वीकार करता है, तो यह गैर-नाटो और गैर-प्रशांत अमेरिकी सहयोगी बनने वाला पहला देश होगा जिसने अपने शस्त्रागार में एफ-35 को शामिल करेगा, जिससे इसकी वायु युद्ध क्षमताओं में काफी बदलाव आ सकता है।एफ-35 दुनिया का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान एफ-35 एक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ लड़ाकू विमान है, जो अपनी अविश्वसनीय गति और उन्नत तकनीक के लिए जाना जाता है. यह विमान उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों, खुली वास्तुकला, उन्नत सेंसर और असाधारण जानकारी संलयन क्षमताओं से लैस है।ये फाइटर जेट इतना जरूरी क्यों है?अमेरिका के लापता फाइटर जेट का पूरा नाम है F-35 लाइटनिंग 2. यह हर मौसम में उड़ान भरने वाला स्टेल्थ मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है. यह एयरसुपीरियरिटी और स्ट्राइक मिशन के लिए बनाया गया है. यह इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, जासूसी, सर्विलांस, रीकॉन्सेंस जैसे मिशन को भी पूरा कर सकता हैइसके तीन वैरिएंट मौजूद हैं- पहला कन्वेंशनल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (CTOL). इसे F-35A कहते हैं. दूसरा है शॉर्ट टेक-ऑफ एंड वर्टिकल लैंडिंग (STOVL). इसे F-35B कहते हैं. तीसरा है- कैरियर बैस्ड. यानी F-35C. इसे अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन कंपनी बनाती है।गति और छिपकर हमला इसकी ताकतइसे एक ही पायलट उड़ाता है. लंबाई 51.4 फीट, विंगस्पैन 35 फीट और ऊंचाई 14.4 फीट है. अधिकतम गति 1976 KM/घंटा है. कॉम्बैट रेंज 1239 KM है. अधिकतम 50 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें 4 बैरल वाली 25 मिमी की रोटरी कैनन लगी है. जो एक मिनट में 180 गोलियां दागती है। इसमें चार अंदरूनी और छह बाहरी हार्डप्वाइंट्स हैं. हवा से हवा, हवा से सतह, हवा से शिप और एंटी-शिप मिसाइलें तैनात की जा सकती है. इसके अलावा चार तरीके के बम लगाए जा सकते हैं।F-35 तीन वैरिएंट्स में हैएफ-35ए: यह संयुक्त राज्य वायु सेना द्वारा उपयोग किया जाने वाला पारंपरिक टेकऑफ़ और लैंडिंग संस्करण है, जिसकी लागत लगभग 80 मिलियन डॉलर प्रति इकाई है।एफ-35बी: यह संयुक्त राज्य मरीन कॉर्प्स द्वारा उपयोग किया जाने वाला शॉर्ट टेकऑफ़ और वर्टिकल लैंडिंग (एसटीओवीएल) संस्करण है, जिसकी कीमत लगभग 115 मिलियन डॉलर प्रति इकाई है।एफ-35सी: यह संयुक्त राज्य नेवी के लिए डिज़ाइन किया गया कैरियर-आधारित संस्करण है, जिसकी लागत लगभग 110 मिलियन डॉलर प्रति इकाई है.
दुनिया में F-35 प्रोग्राम: एफ-35 कार्यक्रम में वर्तमान में 17 देश भाग ले रहे हैं. अब तक, 1870 से अधिक पायलटों और 13,500 रखरखाव कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. एफ-35 बेड़े ने 602,000 से अधिक संचयी उड़ान घंटों को पार कर लिया है। क्रैश होने का खतरा: दुनिया का सबसे खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 कई बार क्रैश हो चुका है. एक विमान गिरने पर अमेरिका को करीब 832 करोड़ रुपए का नुकसान होता. यह अमेरिका का सबसे महंगे जेट प्रोग्राम का विमान था. पिछले साल न्यू मेक्सिको के अल्बुकर्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेकऑफ करते ही अमेरिकी एयरफोर्स का F-35 लाइटनिंग-2 स्टेल्थ फाइटर जेट क्रैश हो गया। इससे पहले साउथ कैरोलिना में ऐसा ही एक फाइटर जेट लापता हो गया था. जो बाद में एक घर के पीछे क्रैश मिला. इसका मलबा साउथ कैरोलिना के ज्वाइंट बेस चार्ल्सटन से 96 KM दूर विलियम्सबर्ग काउंटी में मिला.
डैसो राफेल से तुलना: राफेल और यूरोफाइटर का विकास एक फाइटर जेट की तरह ही हुआ था. लेकिन बाद में फ्रांस ने राफेल को प्रोजेक्ट से अलग कर लिया था. भारतीय वायुसेना में 36 राफेल फाइटर जेट्स हैं. इसे एक या दो पायलट उड़ाते हैं. यह 50.1 फीट लंबी, विंगस्पैन 35.9 फीट और ऊंचाई 17.6 फीट है. इसकी अधिकतम गति 1912 KM/घंटा है. लेकिन कॉम्बैट रेंज 1850 किमी है. ऑपरेशनल रेंज 3700 KM है। यह अधिकतम 51,952 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. यह एक सेकेंड में 305 मीटर की सीधी उड़ान भरने में सक्षम है. इसमें 30 मिमी की ऑटोकैनन लगी है, जो 125 राउंड प्रति मिनट दागती है. इसके अलावा इसमें 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें एयर-टू-एयर, एयर-टू-ग्राउंड, एयर-टू-सरफेस, न्यूक्लियर डेटरेंस मिसाइलें लगा सकते हैं. इसके अलावा कई अन्य तरह के बमों को भी तैनात किया जा सकता है । ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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