सुरक्षा बलों ने बांग्लादेश सीमा पार से अरबी, उर्दू और बंगाली में आने वाले संदिग्ध वायरलेस रेडियो सिग्नल्स का पता लगाया है। इससे पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे क्षेत्रों में पाकिस्तान की आईएसआई की गुप्त गतिविधियों को लेकर चिंता बढ़ गयी है।
सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट किया गया है।
ऐसी आशंका है कि आईएसआई बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्वों के साथ मिलकर रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित कर सकती है। सूत्रों ने खुलासा किया कि रेडियो सिग्नल बांग्लादेश के विभिन्न स्थानों से देर रात एक से तीन बजे के दौरान इंटरसेप्ट किए गये। ये सिग्नल शोनेपुर, बशीरहाट, बोनगांव तथा दक्षिण 24 परगना सहित बंगाल सेक्टर के कई इलाकों में पाए गये। इस घटनाक्रम ने सुरक्षा हलकों में अटकलों को हवा दी है कि बांग्लादेश के जिहादी भारत को निशाना बनाने के लिए आईएसआई के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। कई भाषाओं का इस्तेमाल और सिग्नल्स के समय को देखते हुए माना जा रहा है कि यह एक व्यवस्थित अभियान का हिस्सा हैं। सुरक्षा अधिकारियों ने संदेह व्यक्त किया है कि आईएसआई बांग्लादेश में अस्थिर राजनीतिक स्थिति का लाभ उठा सकती है।विशेष रूप से चिंता की बात यह है कि पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले 'चिकन नेक कॉरिडोर' के पास आईएसआई की मौजूदगी बढ़ी है। एक आईएसआई अधिकारी के साथ पाकिस्तानी सेना के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में इस महत्वपूर्ण गलियारे के पास स्थित रंगपुर, दक्षिणपूर्वी बांग्लादेश में चटगांव और कॉक्स बाजार का दौरा किया था। इसके चलते क्षेत्र में पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को लेकर आशंकाएं बढ़ गयी हैं।चलाये जा रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंप: सूत्रों के मुताबिक, आईएसआई कथित तौर पर बांग्लादेश में प्रशिक्षण शिविरों में हथियारों की आपूर्ति कर रही है, जहां रोहिंग्या शरणार्थियों और बांग्लादेशी गुर्गों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। कथित तौर पर पाकिस्तान के विशेष सेवा समूह (एसएसजी) के पूर्व सदस्यों द्वारा नियंत्रित ये शिविर भारत के खिलाफ अभियानों के लिए आतंकियों को तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी की चिंताजनक रिपोर्टें हैं। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/