अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थस्थान के मंदिर की पहली ईंट रखने वाले कारसेवक श्री कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत ज्यादातर संघ और विहिप के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। कामेश्वर चौपाल एक दलित नेता थे, जिन्होंने बिहार में विधान परिषद के सदस्य के तौर पर भी काम किया। वे विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त सचिव थे। उत्तर बंगाल के विहिप के प्रवक्ता सुशील रामपुरिया ने
अपने शोक संदेश में कहा कि वे कर्मठ कार्यकर्ता, एक कुशल राजनेता एवं समाजसेवी थे। कामेश्वर चौपाल राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी भी थे। उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुई है। जो जानकारी मिली है उसके अनुसार स्वजन श्री कामेश्वर चौपाल जी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन हेतु1.30 बजे बेउर स्थित आवास,3.00 बजे बिहार विधान परिषद,3.30 बजे प्रदेश भाजपा कार्यालय,4.00 विजय निकेतन संघ कार्यालय, 4.30 बजे संघ कार्यालय से पैतृक गांव कमरैल के लिए प्रस्थान भाया जेपी सेतु > हाजीपुर > मुजफ्फरपुर > दरभंगा > सकरी > झंझारपुर होते हुए जायेंगे। ज्यादा संपर्क के लिए9709659431 (राजकुमार जी), 9431463334 (विश्वनाथ जी) तथा 9472525434 ( सुजीत पासवान) से जानकारी ली जा सकती है। रामपुरिया ने कहा कि दिवंगत आत्मा की चिर शांति और उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। कामेश्वर चौपाल ने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली है। उनके निधन के बाद से लगातार शोक संदेश आ रहे हैं।कौन थे कामेश्वर चौपाल?: कामेश्वर चौपाल सुपौल जिले के मरौना प्रखंड के कमरैल गांव के रहने वाले थे. कामेश्वर चौपाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रहे और विभिन्न पदों पर रहते हुए समाज सेवा में योगदान दिया. 24 अप्रैल 1956 को उनका जन्म हुआ था. इसके बाद मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा) से एमए की डिग्री प्राप्त की थी. वे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त सचिव भी रहे। 1989 में जब अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया गया, तब विहिप के नेतृत्व में कामेश्वर चौपाल को पहली ईंट रखने का गौरव प्राप्त हुआ. उन्होंने कहा था, "जैसे श्रीराम को शबरी ने बेर खिलाए थे, वैसा ही मान-सम्मान मुझे भी मिला। शिलान्यास के बाद कामेश्वर चौपाल राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गए और बीजेपी में शामिल हो गए. 1991 में उन्होंने बीजेपी से रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. 1995 में बीजेपी से ही बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़े लेकिन सफलता नहीं मिली। हालांकि 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने और 2014 तक इस पद पर रहे. 2014 में बीजेपी ने उन्हें सुपौल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत सके. कहा जाए तो कामेश्वर चौपाल ने कई चुनाव लड़े लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। वे 2014 में पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। ( सुशील रामपुरिया से अशोक झा की बातचीत )
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