इन दिनों हम परिवार के साथ त्रिवेणी संगम, काशी और अयोध्या के यात्रा पर है। संगम नोज में स्नान के बाद लेटे हनुमान का दर्शन किया और उनके संबंध में जानकारी एकत्र किया। जो पता चला उसे हम आपतक पहुंचा रहे है। क्या आप जानते हैं इसी संगम नगरी में गंगा किनारे स्थित हनुमान जी का ऐसा धाम हैं, जहां के अगर दर्शन न किये जायें तो गंगा स्नान को अधूरा माना जाता है।हम यहां बात कर रहे हैं इलाहाबाद के कोतवाल के नाम से प्रसिद्ध 'बड़े हनुमान जी' की. 'बड़े हनुमान जी' के नाम से प्रसिद्ध इलाहाबाद के इस धार्मिक स्थल में हनुमान जी की ऐसी प्रतिमा है जो खड़ी नहीं बल्कि लेटी हुई अवस्था में विराजमान है. देश में अपनी तरह का यह इकलौता मंदिर है जहां हनुमान जी लेटी हुई अवस्था में हैं।यशस्वी है बड़े हनुमान जी का यह रूप: दक्षिणाभिमुखी हनुमान जी की यह प्रतिमा 20 फीट लम्बी है. यह धरातल से 6 से 7 फ़ीट नीचे हैं।इन्हें बड़े हनुमान जी, किला वाले हनुमान जी और बांध वाले हनुमान जी के नाम से जाना जाता है।प्रयाग में कैसे अवतरित हुए बड़े हनुमान जी -पुराणों में भी बड़े हनुमान जी का ज़िक्र मिलता है। कहा जाता है कि लंका पर जीत हासिल करने के बाद जब हनुमान जी थकान महसूस करने लगे तो माता सीता ने उन्हें विश्राम करने को कहा. यह वहीं स्थान है जहां हनुमान जी विश्राम के लिए लेट गए थे। एक दूसरी मान्यता के अनुसार एक धनवान व्यापारी ने हनुमान जी की इस प्रतिमा का निर्माण कराया था. वह व्यापारी इसे लेकर देश भर में भ्रमण करते रहे लेकिन इस स्थान पर आकर रुक गए. कई सालों बाद बालागिरी नामक संत को इसी स्थान पर जब यह मूर्ति मिली तो उन्होंने इस जगह पर बड़े हनुमान जी का मंदिर बनवाया।हर मनोकामना करते हैं पूरी बड़े हनुमान जी: बड़े हनुमान जी को लेकर मान्यता है कि इनके बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ है. यहां आने वाले भक्त सच्चे मन से जो भी मांगते हैं उनकी मुराद पूरी होती है।गंगा माता स्वयं करती हैं वंदना: हर साल सावन के महीने में गंगा माता का जल स्तर जब बढ़ जाता है तो वो हनुमान जी को स्नान कराने आती है।कहते हैं गंगा जी का जल स्तर तब तक बढ़ता रहता है जब तक कि वह बड़े हनुमान जी के चरणों को स्पर्श न कर ले। उसके बाद जल स्तर सामान्य होने लग जाता है।
अंग्रेजों ने की थी मूर्ति को सीधा करने की असफल कोशिश: भारत जब अंग्रेजों का गुलाम था उस दौर में उन्होंने बड़े हनुमान जी की प्रतिमा को सीधा करने का प्रयास किया था, लेकिन काफ़ी कोशिशों के बाद भी वो इस कार्य में सफल नहीं हो पाए. मूर्ति को निकालने के लिए सैनिक जैसे-जैसे जमीन खोदते जाते मूर्ति उसी अनुपात में नीचे धंसती जाती। बजरंग बली सनातन धर्म के वो देवता हैं जिन्हें स्वामिभक्ति और अतुल्य साहस के लिए जाना जाता है। अपने जीवन को पहचान कर उसे किस तरह जिया जाए यह हम हनुमान जी से सीख सकते हैं. अपने लक्ष्यों को हासिल करने के दौरान मार्ग में आने वाली हर बाधा का कैसे डट कर सामना किया जाए, यह पाठ पवनपुत्र हमें भली-भांति सिखाते हैं. आज के डिजिटल दौर में जहां हर तरफ इंसान अपने आत्मविश्वास को हल्का महसूस पाता है, वहां आध्यात्म की शक्ति उसे दृढ़ बनाये रखने में कारगर भूमिका निभाती है। बड़े हनुमान जी भी गंगा किनारे लेटे हुए आज भी आने वाले अपने सभी भक्तों को वापिस जाते समय साहस से लबरेज़ करके भेजते हैं। यह साहस ही हमें अपनी मुसीबतों से लड़ने में मदद करता है। इसी के दम पर हम जीवन पथ पर आगे बढ़ते चले जाते हैं। यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है। इस मंदिर को लेकर कई कहानी और किस्से प्रचलित हैं। इस मंदिर से प्राचीन काल के राजा अकबर का भी गहरा नाता रहा है। मंदिर से कुछ किलोमीटर दूरी अकबर का किला भी मौजूद है। जब नदी में डूबी हनुमान जी की मूर्ति : राजा अकबर और भगवान हनुमान से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा काफी फेमस है। यह कहानी कई साल पुरानी है। मंदिर के एक पुजारी के अनुसार कानपुर का एक सेठ यह मूर्ति लेकर आया था। उसने बजरंगबली से मन्नत मांगी थी कि यदि उसके घर संतान होती है तो वह एक बड़ी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करेगा। जब उसके घर संतान हुई तो उसने हनुमान जी की एक बड़ी मूर्ति बनवाई।सेठ हनुमान जी की मूर्ति को लेकर मिर्जापुर से प्रयागराज आया। वह मूर्ति को नाव के माध्यम से ला रहा था। हालांकि प्रयागराज के संगम के नजदीक उसकी नाव पानी में डूब गई। इसके बाद हनुमान जी उस सेठ के सपने में आए। उन्होंने कहा कि अब जो हुआ सो हुआ हम यही विश्राम करेंगे। हमें और आगे मत ले जाइए। हनुमान जी की बात मानकर सेठ ने मूर्ति को ही छोड़ दिया और अपने घर की तरफ चल दिया।अकबर के सपने में आए बजरंगबली: यह घटना जब हुई इस दौरान राजा अकबर का शासन चल रहा था। उन दिनों इस इलाके में मेला भी लगता था। यहां बाघम्बरी गद्दी में बालगिरी महंत को नदी में स्थित ये मूर्ति दिखाई दी। इसके बाद से ही वहां हनुमान जी की रोज पूजा होने लगी। भक्त भी बड़ी संख्या में हनुमान जी के दर्शन करने आने लगे। इस बीच अकबर की नजर भी इस मूर्ति पर पड़ी।अकबर इस मूर्ति को हटाना चाह रहा था। इसलिए उसने मूर्ति के आसपास खुदाई शुरू कर दी। हालांकि जैसे जैसे खुदाई होने लगी वैसे वैसे मूर्ति और भी अंदर जमीन में धंसने लगी। इस घटना के बाद खुद हनुमान जी राजा अकबर के सपने में आए। हनुमान जी ने अकबर को बताया कि तुम्हें मूर्ति के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। यदि तुम ऐसा करते हो तो तुम्हारा किला ढह सकता है। बजरंगबली के आगे घुटने टेकने को मजबूर हुआ अकबर: हनुमान जी की यह बातें सुन अकबर की आंखें खुल गई। उसे एहसास हुआ कि वह मूर्ति हटाकर गलत कर रहा है। आखिर उसने हनुमान जी के सामने घुटने टेक दिए। उन्हें नमन किया और उनकी मूर्ति के साथ छेड़छाड़ करने से तौबा कर ली। इस तरह अकबर भी हनुमान जी का भक्त बन गया। ( त्रिवेणी संगम से अशोक झा)
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