‘गोधरा’ शब्द सभी को याद होगा लेकिन ‘साबरमती एक्सप्रेस’ की चर्चा कम ही होती है, आज वही दुखद दिन है जिस दिन सन 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में राम भक्तों को ज़िंदा जला दिया गया था, उनका अपराध ये था कि वे अयोध्या से अपने आराध्य श्री राम लला सरकार के दर्शन करके लौट रहे थे। नारी, पुरुष, बच्चे बच्चियां किसी को नहीं छोड़ा गया। पेट्रोल डालकर उन्हें जीवित जला दिया गया, विश्व के इतिहास में किसी भी राष्ट्र में अल्पसंख्यकों द्वारा बहुसंख्यक समाज का इस प्रकार निर्मम, क्रूर नरसंहार का कोई दूसरा उदाहरण हो तो बताइयेगा अवश्य, और हां कृपया विचार करें कि उन्हें ज़िंदा जलाने के पहले क्या उनसे पूछा गया था कि वे अगड़ा, पिछड़ा या दलित हैं?
याद रहे जुड़ेंगे तभी बचेंगे।साबरमती एक्सप्रेस केवल एक ट्रेन नहीं, बल्कि उस भयावह सच्चाई का प्रतीक है, जिसे कुछ लोग भूलने की कोशिश करते हैं और कुछ भुलाने की।
जो जलाए गए, वे किसी जाति के नहीं, बल्कि सनातन के रक्षक थे। उनका अपराध सिर्फ इतना था कि वे अपने आराध्य के दर्शन कर लौट रहे थे। धर्म पर आघात करने वालों ने तब भी जाति नहीं देखी थी, और आज भी नहीं देखते।
पर क्या हमने सीखा?
अगर आज भी हम जातियों में बंटे रहेंगे, तो कल इतिहास खुद को दोहराएगा।
सनातन एक था, एक है, और एक ही रहेगा – इसे तोड़ने की हर कोशिश व्यर्थ जाएगी। ( राजा भैया की एक्स पर पोस्ट )
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