- बॉर्डर पर सुबह से इसी की चर्चा, भारत की कूटनीति के कायल है लोग
बांग्लादेश के साथ मिलकर पाकिस्तान की साजिश को नाकामयाब करने के लिए भारत ने भज कूटनीति का सहारा लिया है। अफगानिस्तान से नजदीकी बढ़ाते ही बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों ही देशों में खलबली मची हुई है। बोर्डर में सुबह से इसी बात को लेकर चर्चा है। अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद पहली बार भारत सरकार की उच्च स्तरीय बातचीत हुई है।दुबई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की। इस बैठक को भारत और तालिबान प्रशासन के बीच अब तक की सबसे उच्च स्तरीय वार्ता माना जा रहा है, जो दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा दिखाती है। इस बैठक में मानवीय सहायता, विकास और सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। मानवीय सहायता कार्यक्रमों का मूल्यांकन: भारत और अफगानिस्तान के बीच इस महत्वपूर्ण बैठक में दोनों पक्षों ने चल रहे भारतीय मानवीय सहायता कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया। भारत ने अब तक अफगानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाइयां, 27 टन भूकंप राहत सामग्री, 40,000 लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, कोविड वैक्सीन की 1.5 मिलियन खुराक, नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए 11,000 स्वच्छता किट और सर्दियों के कपड़े भेजे हैं। पुनर्वास के लिए अतिरिक्त सहायता पर चर्चा: अफगानिस्तान में मानवीय संकट को देखते हुए भारत ने फैसला किया है कि वह भविष्य में और भी विकास परियोजनाओं में भागीदार बनेगा। यह कदम अफगानिस्तान की दीर्घकालिक विकास योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। बैठक में अफगानिस्तान के स्वास्थ्य और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए अतिरिक्त सहायता पर भी चर्चा हुई। अफगान पक्ष ने इस मदद के लिए भारत का आभार जताया। इस सहयोग के तहत भारत शरणार्थियों के पुनर्वास और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए और अधिक सहायता प्रदान करेगा। क्रिकेट पर हुई बात: इसके साथ ही दोनों देशों के बीच खेल, खासकर क्रिकेट के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की योजना भी बनाई गई, क्योंकि अफगानिस्तान में युवा पीढ़ी में क्रिकेट को लेकर गहरी दिलचस्पी है।भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अफगानिस्तान के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखेगा और आने वाले समय में इसे और बढ़ाएगा। दोनों पक्ष चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर भी सहमत हुए। यह पहल भारत और अफगानिस्तान के बीच सहयोग को बढ़ावा दे सकती है, जिसका लाभ दोनों देशों को मिलेगा। दोनों देशों के बीच हुई इस बैठक ने साबित कर दिया कि भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय नीतियों में अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है। भारत ने अफगानिस्तान पर पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमलों का कड़ा विरोध किया था और अब भारत अफगानिस्तान को मानवीय और विकासात्मक सहायता प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के डर से नौकरी छोड़ भाग रही पाकिस्तानी सेना : तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और पाकिस्तानी सेना के बीच चल रहे संघर्ष ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। खबरों के मुताबिक, टीटीपी ने अब सीधे तौर पर सेना से जुड़ी कंपनियों और संस्थानों को निशाना बनाने का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के बाद पाकिस्तानी सेना के अंदर काफी डर का माहौल पैदा हो गया है, जिसके चलते बड़ी संख्या में सैनिक इस्तीफा दे रहे हैं। टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खोरासानी ने अपने हालिया बयान में साफ कहा है कि पाकिस्तानी सेना की असली ताकत उसकी कमाई है, जिनकी बदौलत वह पिछले 70 सालों से देश पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। खोरासानी ने चेतावनी दी है कि इन आय स्रोतों को खत्म करना टीटीपी का असली मकसद है।टीटीपी ने उन कंपनियों और संस्थानों की सूची भी जारी की है, जिन पर वह हमले की योजना बना रही है. इनमें फौजी सीमेंट कंपनी लिमिटेड, अस्करी बैंक लिमिटेड, फौजी फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड, फौजी फूड्स लिमिटेड, अस्करी सीमेंट लिमिटेड, अस्करी फ्यूल्स, नेशनल लॉजिस्टिक सेल, फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन, पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री, फौजी फाउंडेशन, डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी शामिल हैं। टीटीपी ने न केवल इन कंपनियों को निशाना बनाने का ऐलान किया है, बल्कि इसमें निवेश करने वाले निवेशकों और व्यापारियों को भी चेतावनी दी है।खोरासानी ने कहा, ''जो लोग सेना से जुड़ी कंपनियों में शेयर रखते हैं, वे तीन महीने के भीतर अपने शेयर बेच दें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो उन्हें इसके नतीजे काफी बुरे होगा।इसके अलावा, सेना से जुड़े उत्पाद बेचने वाले दुकानदारों को भी धमकी दी गई है। टीटीपी ने कहा है कि दुकानदार अपने स्टॉक को दो महीने के अंदर खत्म कर लें और कोई अन्य विकल्प तलाशें, अन्यथा उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा।
टीटीपी के लगातार बढ़ते हमलों के कारण पाकिस्तानी सेना के जवानों में डर का माहौल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बड़ी संख्या में सैनिक सेना से इस्तीफा दे रहे हैं। पाकिस्तान में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं. सेना और ज्ज्च् के बीच यह टकराव आने वाले समय में और भी खतरनाक रूप ले सकता है।टीटीपी ने अपने बयान में सेना के व्यवसायों पर सीधा हमला करने की तैयारी कर रहा है. उनका कहना है कि सेना की आर्थिक ताकत को कमजोर करना ही उनका असली मकसद है।टीटीपी के इस ऐलान के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक और सामाजिक माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम सेना के आर्थिक ढांचे पर प्रहार करने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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