महाकुम्भ आपबीती :हादसे के बाद प्रशासन के मनमाने निर्णय से लाखों लोगों को मुसीबतो का सामना करना पड़ा
जनवरी 30, 2025
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महाकुम्भ आपबीती :हादसे के बाद प्रशासन के मनमाने निर्णय से लाखो लोगो को मुसीबतो का सामना करना पड़ा, घर वापसी के सारे साधन बंद कर दिए जाने से लोगो को 15 किलोमीटर तक धक्कामुकी के बीच चलना पड़ा फिर भी कोई साधन नहीं थकहार कर लोग खुले आसमान के नीचे भीषण ठंड में रात गुजारने को मजबूर हुए महिलाये बच्चे बूढ़े आमजन सब प्रशासन को कोसते नजर आये पानी के लोग तरसते रहे कोई बेहोश होकर गिर रहा था तो कोई भीड का शिकार हो रहा था वीआईपी कल्चर के कारण लाखो की भीड में चार पहिया वाहन घूस जाने से लोगो का धक्कामुक्की के बीच एक कदम चलना भी मुश्किल था मौनी अमावस्या पर स्नान के दौरान बड़े हादसे के बाद अधिकांश लोग घर जाने के लिए सुबह से हीं सड़को पर निकल पड़े शास्त्री पुल पूरा जाम झूंसी रेलवेस्टेशन बस स्टैंड की तरफ जाने वाला रास्ता टोटल पैक सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को भी कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें अनियंत्रित भीड दूसरे बड़े हादसे को दावत दे रही थी कुम्भ में न रहने का और न खाने पीने का कोई ठौर ठिकाना था लोग भीषण ठंड में खुले आसमान के नीचे सोते नजर आ रहे थे घतो पर रेला रैली थी एक हीं रास्ते से आना जाना सभी प्लांटून पुल बंद कर दिए गए संगम तक किसी को नहीं जाने दिया गया करोड़ो लोग जो संगम पर डुबकी लगाने पहुंचे थे सब हताश हो वापस हो रहे जाने के लिए ट्रेनों और बसों में तिल रखने भर जगह नहीं होने के बावजूद धक्का मुक्की के बीच पहुचे लोग हताश थे,हमारी हालत यह थी हम 12 बजे दिन में बनारस के लिए निकले तब झूंसी जाने वाला रास्ता पूरी तरह से श्रद्धांलुओं से पैक था किसी तरह अंधवा मोड़ तक 6 घंटे में पहुंचे तब पता चला वहां से 7 km दूर सरस्वती द्वार से बनारस के लिए बस मिलेगी हमारे दोनो पाँव सूज गए थे एक कदम चलना कठिन था बाइक वाले वहां ले जाने के लिए 5 सौ मांग रहे थे इस बीच प्रभु कि कृपा से बनारस में हीं वकील विजय जी स्नान कर घर परिवार के साथ लौट रहे थे हमने उनसे कहा परिवार छोड़ कर हमें बस स्टैंड तकछोड़ दें वह हमें छोड़े लेकिन 4 km बाद रास्ता जाम होने पर हमने उन्हें वापस कर दिया फिर दूसरे एक बाइक लेकर एक बच्चा जा रहा था तब उससे अनुरोध किया तब सरस्वती द्वार तक छोड़ा वहां हजारों लोग साधन का इंतजार कर रहे थे पता चला बनारस के लिए सुबह से कोई बस नहीँगाई नहीं आई हमारे साथ सेंट्रल बार के पूर्व अध्यक्ष प्रभु नरायन पाण्डेय भी गए थे भीड में उनका भी साथ छूट गया पता चला वह वनारस के लिए साधन नहीं मिलने पर परिवार समेत फिर संगम के लिए एक टोटो से वापस हो गए मुझसे कहे वापस आप भी आ जाय हमने कहा अब हम वापस नहीं होंगे जो हो देखा जायेगा पिकप वाली एक दो गाड़िया ढाले में बिठाकर हजार पांच सौ लेकर कुछ लोगो को ले गए इस बीच हमें जौनपुर डिपो कि बस दिखी हम उसमे बैठ गए कहे चलिए इस खुले आसमान के नीचे रहने के बजाय जौनपुर चले फिर वहां से बनारस का साधन मिल जायेगा लें वह बस हंडिया तक़ तक हीं आई वह सरकार कि शतल बस थी लोगो को मुफ्त में वहां छोड़ी ज्यो हम वहां उतरे हंडिया में हमें डबल देकर टूर बस मिल गई उसने 2 सौ रुपया लेकर हमें और अन्य यात्रियों को लाकर मोहन सराय रात 11 बजे उतारी लगा हम बनारस घर आ गए वहां से 4 लोग चौबेपुर हमार घर के पास के परिवार स्नेट मिल गए फिर हम लोगो ने एक हजार का ऑटो रिजर्व किया और रात 12 बजे घर पहुंचे तो एवरहि मेरी महाकुम्भ यात्राजेहन में और भी बहुत बाते है वहां हालत ऐसे थे कि पानी भी खरीदने पर उपलब्ध नहीं था कही मिला तो 20 वाला 40 रूपये बोतल सभी लोग मजबूरी का फायदा उठाते नजर आये पुलिस प्रशासन को कोई इंतजाम नहीं दिखा हमारी सलाह है आप सभी इस महाकुम्भ में शाही स्नान वाले दिन तो हरगिज न जाय और जाये तो राम भरोसे जाये धक्का मुक्की भगदड़ कि संभावना के बीच 15 किमी रस्सा कस्सी के बीच पैदल चलने का माद्दा रखे हमारे साथ गए प्रिय अधिवक्ता भाई आकाश पाण्डेय ने बताया झूसी स्टेशन पर भगदड़ हो गई किसी को जाने दिया जा रहा था दो बजे ट्रैन में बैठा भोर में ढाई बजे बनारस पहुंचा ट्रैन पर पथराव हुआ ट्रैन में पैर रखने की जगह नहीं थी 12 घंटे होकर आना पड़ा ट्रैन पानी के लिए तङप रहे थे बेहोश हो जा रहे थे ऐसी बाद इंतजामी हमने नहीं देखी पैर जमीन पर नहीं रख पा रहा..., सोचिये उन लोगो का क्या कसूर था जो भगदड़ में बेमौत मारे गए... गए थे संगम स्नान करने और हमेशा के लिए परिवार से विछड़ गए सरकार ने भी पूरा व्यवस्था दुरुस्त किये बिना देश विदेश से 10 करोड़ लोगो को महाकुम्भ में आने का आह्वान कर दिया नतीजा भगदड़ और मौत में तब्दील हो गया सरकार को जो शबासी मिलनी चाहिए वह लोगो की न भूलने वाली दास्ता बददुआ और नाकामी में बदल गई हालांकि मुख्यमंत्री योगी जी ने 144 वर्ष के संयोग के बाद इस महाकुम्भ की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ा लेकिन भारी पड़ गई करोड़ो की भीड जो किसी के सम्हालने से नहीं सम्हलती भगवान को ही सम्हालना पड़ता उस तथ्य के बावजूद अंततः लोग शासन और प्रशासन को हीं कोसते नजर आये तो यह रही हमारी महाकुम्भ व्यथा..... ( घनश्याम मिश्र एडवोकेट/विधिक पत्रकार)
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