अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश की आर्थिक मदद बंद कर दी है. इसके बावजूद मोहम्मद यूनुस ने उन्हें रविवार को धन्यवाद कहा। यूनुस बाइडेन प्रशासन के करीबी थे लेकिन ट्रंप ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। यूनुस के लिए ट्रंप को समझ पाना इतना भी आसान नहीं है।बाइडेन प्रशासन के करीबी माने जाने वाले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस फिलहाल इस दुविधा में फंसे हैं कि ट्रंप प्रशासन के साथ कैसे डील करना है। युनाइटेड नेशन के अधिवेशन के दौरान जो बाइडेन और यूनुस की एक दूसरे को गले लगने की तस्वीरें खूब वायरल हुई थी। बाइडेन प्रशासन इससे पहले शेख हसीना सरकार के प्रति काफी आक्रामक था लेकिन यूनुस के आते ही बाइडेन ने बांग्लादेश में दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दिया था। अब ट्रंप को यूनुस सरकार से रिश्तों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है। ट्रंप पहले ही बांग्लादेश में हिन्दुओं की बिगड़ती हालत का मुद्दा उठा चुके हैं।बांग्लादेश में बीते साल 5 अगस्त को तख्तापलट हुआ था, जिसमें तत्कालीन पीएम शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। खूनी झड़पों और हिंसा के बीच वह विमान से भारत आ गई थीं। उसके बाद से ही बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक कट्टरपंथी सरकार सत्ता में है। इस बीच खबर है कि कट्टरपंथी तत्व अब सेना पर भी अपनी पकड़ मजबूत करने की फिराक में हैं और आईएसआई की शह पर वहां भी तख्तापलट का प्लान है। लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैज-उर रहमान की लीडरशिप में ऐसा हो सकता है। बांग्लादेश की सेना में वह फिलहाल क्वार्टर मास्टर जनरल हैं और कट्टर इस्लामिक विचारधारा वाले माने जाते हैं। अब तक जानकारी मिली है कि मौजूदा आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां के खिलाफ वह तख्तापलट कर सकते हैं। पिछले साल बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसके चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर भारत आना पड़ा। इसके बाद मोहम्मद यूनुस को कमान दी गई, लेकिन तब से पड़ोसी देश में स्थिति खराब हो गई। हिंदुओं के खिलाफ सड़कों पर अत्याचार होने लगा। कई हिंदुओं की जान ले ली गई, सरकारी नौकरियों से जबरन इस्तीफा भी लिया जाने लगा। इसके चलते यूनुस की दुनियाभर में थू-थू होने लगी। तमाम देश अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग करने लगे। चारों ओर खुद पर उठते सवाल को देखते हुए यूनुस की पाकिस्तान से उम्मीद जगी और दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया। पाकिस्तान में भी हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा होती रही है और उनकी संख्या में कमी आई है। जानकारों का मानना है कि यूनुस की रणनीति है कि वह पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाए ताकि उसे एशिया में एक नया दोस्त मिल जाए, जोकि जरूरत लगने पर उसके कुछ काम आ सके।भारत-बंगलादेश के बीच ताजा तनाव सीमा को लेकर है। बंगलादेश के साथ भारत की 4096.7 किलोमीटर लम्बी सीमा हमारे पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम से होकर गुजरती है।भारत सीमा पर बाड़बंदी कर रहा है। भारत ने अब तक 3271 किलोमीटर सीमा कर बाड़बंदी कर दी है। अब केवल 885 किलोमीटर खुली सीमा की बाड़बंदी बाकी है। भारत बचे इलाके की बाड़बंदी कर रहा है लेकिन बंगलादेश भारत की कोशिशों में अड़ंगा डाल रहा है। भारत अपनी सीमाओं को अभेद्य बना रहा है। सीमाओं के खुले रहने से बंगलादेश से लगातार अवैध घुसपैठ, हथियारों की तस्करी, ड्रग स्मगलिंग, नकली नोटों का कारोबार और आतंकवादी गतिविधयां लगातार हो रही हैं। शेख हसीना शासनकाल में भारत और बंगलादेश के संबंध सामान्य थे तो भारत बंगलादेश को विश्वास में लेकर बाड़बंदी कर रहा था लेकिन अब अंतरिम यूनुस सरकार लगातार उकसाने वाली कार्रवाई कर रही है।भारत और बंगलादेश को सीमा अंग्रेज और पाकिस्तानी विरासत में देकर गये। 1947 में भारत के विभाजन के बाद रेडक्लिफ़ रेखा भारत और पूर्वी पाकिस्तान के बीच की सीमा बन गई। 1971 में बंगलादेश की आजादी के बाद वही रेखा भारत और बंगलादेश के बीच की रेखा बन गई। गौरतलब है कि भारत और तत्कालीन पाकिस्तान के बाद बॉर्डर बंटवारे का काम तुरंत शुरू हो गया था, लेकिन इसकी प्रगति धीमी रही। बॉर्डर सीमांकन में कई दिक्कतें थीं। हालांकि इनमें से कुछ सीमा विवादों को 1958 के नेहरू-नून समझौते द्वारा हल करने की कोशिशें की गई थीं। बाद में यह काम अधूरा छोड़ दिया गया और यह काम अब भी जारी है।दरअसल बंगलादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यूनुस सरकार ने भारत विरोधी तत्वों को हवा दी है और जेल में बंद कई भारत विरोधी तत्वों को बेल दी है। ये तत्व भारत में अस्थिरता फैलाने की साजिश रच रहे हैं। लिहाजा भारत सरकार बॉर्डर पर घेराबंदी कर रही है। "भारत में पहले से ही लाखों बंगलादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं लेकिन ढाका द्वारा आतंकवादियों और दोषी ठहराए गए इस्लामी कट्टरपंथियों की रिहाई के बाद भारत द्वारा बॉर्डर पर कंटीले तारों को लगाने की कोशिश को बंगलादेश से कड़ा विरोध मिला है। बंगलादेश के बॉर्डर गार्ड्स ने इसे रोकने की कोशिश की है। भारत-बंगलादेश बॉर्डर विवाद में तब एक बड़ा सकारात्मक मोड़ आया जब 2011 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बंगलादेश की गृहमंत्री सहरा खातून के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। इस समझौते को कोर्डिनेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट प्लान (सीबीएमपी) कहा जा रहा है। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी बंगलादेश के दौरे पर गये। 2015 में शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ढाका पहुंचे। यहां दोनों नेताओं ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। इसे लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट कहते हैं। राजनीतिक दुराग्रह के चलते यूनुस सरकार शेख हसीना के पिता की विरासत को निपटाने में लगी हुई है। कट्टरपंथी तत्व जनाक्रोश के चलते अपनी सुविधा का मुहावरा गड़ने का प्रयास कर रहे हैं। बंगलादेश के स्कूली पाठ्यक्रम से मुजीबुर रहमान की जीवनी, नोटों से उनके चित्र हटाए जा रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो बंगलादेश पूरी तरह से कट्टरपंथी ताकतों के हाथों में खेल जाएगा। यूनुस सरकार को यह समझना चाहिए कि शेख हसीना और उनके परिवार के साथ भारत के रिश्तों का इतिहास बंगलादेश की आजादी के लिए दोनों देशों द्वारा किए गए बलिदानों से बना है। बंगलादेश अगर यह उम्मीद करता है कि भारत शेख हसीना को उसके हवाले कर देगा या उसके सामने झुक जाएगा तो यह उसकी बड़ी भूल है। बंगलादेश को अपने नफे-नुक्सान का पूरा आंकलन कर लेना चाहिए। इस बात की भी आंकलन करना चाहिए कि चीन की गोद में बैठकर उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला। उसने जो भी हासिल किया है वह भारत से ही किया है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
भारत सीमा को और मजबूत करने में है जुटा, लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट पर बांग्लादेश डाल रहा बाधा
जनवरी 27, 2025
0
Tags
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/