बांग्लादेश सीमा पर बाड़ पर अब कांच की खाली बोतलें लटकाई जा रही हैं। तस्करों की गतिविधियों को रोकने के लिए भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने यह अनोखी रणनीति अपनाई है। पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के मेखलीगंज ब्लॉक के बागडोगरा-फूलकाड़ाबरी ग्राम पंचायत के 123 नंबर अंदरान खरखरिया में 10 जनवरी को बाड़ लगाई गई।सीमा के ज़ीरो प्वाइंट के पास लगभग डेढ़ किलोमीटर के इलाके में, ग्रामीणों ने अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए लगभग चार फीट ऊंची एकल बाड़ बनाई। बीएसएफ ने इस बाड़ पर जीआई तार से कांच की खाली बोतलें बांधकर लटकानी शुरू की हैं।इस बीच, इस घटना को लेकर बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय सीमा कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया है। बांग्लादेश सीमा गार्ड (बीजीबी) ने दहोग्राम-आंगरपोता कैंप पर आकर बीएसएफ जवानों को बोतलें लटकाने से मना किया। लेकिन बीएसएफ ने उनकी आपत्ति को अनदेखा करते हुए बोतलें लटकाने का काम जारी रखा है। यह बोतलें निश्चित दूरी पर लगाई जा रही हैं।बीएसएफ के अनुसार, तस्कर अक्सर सीमा की बाड़ को काटने की कोशिश करते हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बीएसएफ सतर्क रहती है। हालांकि, मेखलीगंज में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां स्थायी रूप से बाड़ लगाना संभव नहीं हुआ है। ऐसे स्थानों पर अस्थायी रूप से सिंगल फेंसिंग की गई है। अब इन बाड़ को काटने से रोकने के लिए बीएसएफ ने उन पर कांच की बोतलें लटकाना शुरू किया है। बुधवार से बोतलें लटकाई जा रही हैं।बीएसएफ ने बताया कि ज्यादातर तस्कर रात के समय बाड़ को काटने की कोशिश करते हैं। यदि कोई बाड़ को जोर से खींचने की कोशिश करेगा तो लटकाई गई बोतलें तार से टकराकर झनझन की आवाज करेंगी। इससे निगरानी में तैनात जवान तुरंत सतर्क हो जाएंगे और तस्करों की कोशिश नाकाम हो जाएगी।बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश ने पहले बाड़ निर्माण के कार्य में बाधा डाली थी और अब बोतलें लटकाने को लेकर भी आपत्ति जताई है। हालांकि, भारतीय सीमा के निवासी कहते हैं कि जब भी सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाया जाता है, बांग्लादेश इसकी आपत्ति करता है। इसके बावजूद, बीएसएफ देशहित में अपना काम जारी रखती है।बीएसएफ के स्थानीय अधिकारियों ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन मेखलीगंज पंचायत समिति की सह अध्यक्ष नियति सरकार ने कहा कि बांग्लादेशी लोगों ने बाड़ को हटाने की धमकी दी थी। इसके परिणामस्वरूप, बीएसएफ ने बाड़ पर कांच की बोतलें लटकाई हैं।
बोर्डर पर टेंशन उत्पन्न कर रहा बांग्लादेश : भारत-बांग्लादेश के बीच रोज एक नया विवाद बढ़ रहा है. दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अब कांटेदार बाड़ लगाने को लेकर तनाव पैदा हो गया है. भारतीय बार्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार बाड़ लगा रही है, जिसके एक बड़े हिस्से का काम पूरा हो चुका है.वहीं, अब कुछ ही हिस्से की बाड़बंदी शेष है जिसमें मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने विरोध करना शुरू कर दिया है। हाल ही में बांग्लादेश की सीमा सुरक्षा देखने वाली बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने भारत की ओर से की जा रही बाड़बंदी में रुकावट डालने की कोशिश की है. बांग्लादेश की इस नापाक कोशिश के कारण सीमा पर आसपास लोगों को बेघर होने का डर सताने लगा है।
अपना आशियाना नहीं बना पा रहे भारतीय: सीमा पर बाड़बंदी में बांग्लादेश द्वारा रुकावट उत्पन्न करने के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रहने वाले भारतीय लोग अपना घर नहीं बना पा रहे हैं. पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में कई भारतीयों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से पक्के घर के निर्माण के लिए आर्थिक सहायता दी जा चुकी है, लेकिन बांग्लादेश के विवाद के चलते उनके घर बनाने का सपना टूटता नजर आ रहा है।सीमा के पास रहने वाले मफीजुल ने बताई परेशानी: ऐसे ही लोगों में एक मफीजुल भी शामिल हैं. मफीजुल ने बताया कि BSF ने उन्हें घर निर्माण का सामान लाने से रोक दिया है और उन्हें कुछ समय का इंतजार करने को कहा है। मफीजुल ने कहा, “मेरा घर बाड़ के पास है. लेकिन बांग्लादेश की BGB इस वक्त बाड़बंदी में परेशानी खड़ी कर रहा है। अब मुझे डर लग रहा है कि क्या मैं अपना घर बना पाऊंगा.” उन्होंने आगे कहा, “हमें डर है कि अगर बीएफएफ हमें घर बनाने की अनुमति देती भी है तो बीजीबी घर को हटाने के लिए भी कह सकती है।BGB कर रहा भारत के बाड़बंदी का विरोध: हालांकि, भारत की ओर से सीमा पर बाड़बंदी देशों के पक्षों के बीच समझौते के आधार पर ही हो रही है। लेकिन पिछले कुछ समय से बीजीबी ने कई बार इसका विरोध किया है। बाड़ लगाने का काम अप्रैल 2024 में शुरू हुआ था, जिसे जुलाई में मॉनसून के कारण रोका गया था।इसी बीच शेख हसीना की सरकार के गिर गई और मोहम्मद यूनुस की सत्ता आ गई। फिर जब नवंबर में काम दोबारा शुरू हुआ तो बीजीबी ने भी विरोध करना शुरू कर दिया। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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