- भारत की संस्कृति और सभ्यता को बदनाम करने को हो रही साजिश
- अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग में भारत को ठहराया जा रहा मुस्लिम विरोधी
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की चर्चा देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी हो रही है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके बारे में सबसे ज्यादा मुस्लिम देश सर्च कर रहे हैं। मुस्लिम देशों में महाकुंभ को लेकर बढ़ रही जिज्ञासा: गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक, पाकिस्तान में महाकुंभ के बारे में सबसे ज्यादा सर्च किया जा रहा है। वहां के लोग 'महाकुंभ 2025', 'प्रयागराज महाकुंभ', और 'महाकुंभ मेला' जैसे कीवर्ड्स का इस्तेमाल कर इसके बारे में जानकारी जुटा रहे हैं. कतर, यूएई, और बहरीन जैसे देशों में भी यह आयोजन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। 45 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद, सांस्कृतिक महत्व पर फोकस: इस बार के महाकुंभ में करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. यह न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व का भी प्रतीक है. दुनियाभर से लोग इसकी आध्यात्मिकता और भव्यता का अनुभव करने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं. महाकुंभ की विश्व प्रसिद्धि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति बढ़ते आकर्षण को दर्शाती है। वही दूसरी ओर बांग्लादेश के साथ अन्य देशों में भारतीय नागरिकों के साथ हो रही नाइंसाफी का भारत मुंहतोड़ जबाव दे रही है। इसी बीच एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग (USCIRF) की नवीनतम रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, तथा देश के नकारात्मक चित्रण के उनके प्रयास को पक्षपाती, राजनीति से प्रेरित तथा जमीनी हकीकत से अलग बताया है। भारत सरकार की सख्त प्रतिक्रिया न केवल वैश्विक मंच पर अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा करने के बारे में है, बल्कि संभावित आंतरिक क्षति का मुकाबला करने के बारे में भी है, जो इन भ्रामक रिपोर्टों से हो सकती है - विशेष रूप से भारत के मुस्लिम युवाओं के बीच।अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता की निगरानी के लिए अमेरिकी संघीय सरकार द्वारा स्थापित USCIRF का भारत के खिलाफ़ निराधार आरोप लगाने का एक लंबा इतिहास रहा है। नवीनतम रिपोर्ट, जो 2024 में देश में धार्मिक स्वतंत्रता में कथित गिरावट को उजागर करती है, भारत के आंतरिक मामलों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का एक और प्रयास है। हिंसा, धार्मिक नेताओं की मनमानी गिरफ़्तारी और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने का आरोप लगाते हुए, आयोग ने सिफारिश की है कि भारत को "विशेष चिंता का देश" घोषित किया जाए। यह एक ऐसा लेबल है जो आमतौर पर धार्मिक स्वतंत्रता के व्यवस्थित, गंभीर उल्लंघन वाले देशों के लिए आरक्षित है- एक ऐसा दावा जिसका भारत दृढ़ता से विरोध करता है। इस तरह के पदनाम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और अन्य दंडात्मक उपायों का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, जो केवल भारत की अर्थव्यवस्था और उसके लोगों को नुकसान पहुँचाएंगे- जिनमें वे अल्पसंख्यक भी शामिल हैं जिनकी USCIRF वकालत करने का दावा करता है। कूटनीतिक झगड़े से परे, ऐसी रिपोर्टों के वास्तविक प्रभाव के बारे में गहरी चिंताएँ हैं, विशेष रूप से वे खतरनाक कथाएँ जो वे बनाते हैं, जो भारत के सामाजिक सद्भाव को कमज़ोर कर सकती हैं और संभावित रूप से इसके मुस्लिम युवाओं को गुमराह कर सकती हैं। डिजिटल युग में जहां सूचना तेजी से और अक्सर बिना जांचे-परखे फैलती है, पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग के नतीजे दूरगामी हो सकते हैं। यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट, जो भारत को धार्मिक पतन के कगार पर खड़े देश के रूप में चित्रित करती है, एक खतरनाक भावना पैदा करने का जोखिम उठाती है।यूएससीआईआरएफ वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की निगरानी करता है। यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता के कथित उल्लंघन के लिए भारत की आलोचना की है।इसने अपनी रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश विभाग से यह सिफारिश भी की है कि वह धार्मिक स्वतंत्रता के सदंर्भ में भारत को विशेष चिंता वाला देश (कंट्री ऑफ पर्टीकुलर कंसर्न या सीपीसी) घोषित करे।भारत ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। भारत ने इसे एक राजनीतिक एजेंडा वाला 'पक्षपाती संगठन' करार दिया। भारत ने इस रिपोर्ट को 'दुर्भावनापूर्ण' बताया। विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यूएससीआईआरएफ को अपने समय का ज्यादा इस्तेमाल अमेरिका में मानवाधिकारों के मुद्दे से निपटने में करना चाहिए।रिपोर्ट में क्या है?:इस रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता के कथित उल्लंघन को लेकर भारत की आलोचना की गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) के बारे में हमारे विचार सर्वविदित हैं। यह राजनीतिक एजेंडे वाला एक पक्षपाती संगठन है। यह तथ्यों को गलत तरीके से पेश करता है' उन्होंने कहा, 'यह तथ्यों को गलत तरीके से पेश करना और भारत के बारे में एक मकसद से गढ़े गए विमर्श को बढ़ावा देना जारी रखता है। हम इस दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट को खारिज करते हैं जो केवल यूएससीआईआरएफ को और बदनाम करने का काम करती है।' वह रिपोर्ट में भारत के बारे में की गई टिप्पणियों पर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। USCIRF के कामकाज पर सवाल: प्रवक्ता ने यूएससीआईआरएफ को फटकार लगाई है। प्रवक्ता ने यूएससीआईआरएफ के कामकाज पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने यूएससीआईआरएफ से एजेंडा संचालित प्रयासों से दूर रहने को कहा है। प्रवक्ता ने कहा कि यूएससीआईआरएफ को अमेरिका में मानवाधिकार के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘यूएससीआईआरएफ पर हमारे विचार सर्वविदित हैं. यह राजनीतिक एजेंडा वाला पक्षपाती संगठन है. यह तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना और भारत के बारे में प्रेरित नैरेटिव फैलाता है. हम इस दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट को खारिज करते हैं, जो केवल यूएससीआईआरएफ को और बदनाम करने का काम करती है। उन्होंने कहा, ‘हम यूएससीआईआरएफ से आग्रह करेंगे कि वह इस तरह के एजेंडा संचालित प्रयासों से दूर रहे. यूएससीआईआरएफ को यह भी सलाह दी जाएगी कि वह अपना समय का उपयोग संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में मानवाधिकार मुद्दों को उठाने में करे।यूएससीआईआरएफ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सिफारिश की है कि अमेरिकी विदेश विभाग भारत को ‘गंभीर धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन में संलग्न होने’ के लिए ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में सूचीबद्ध करे। (अशोक झा की कलम से )
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