- जिसके लिए श्रद्धालुओं ने अपनी जान की भी नहीं की परवाह
वास्तु कला और शिल्प कला का अद्भुत उदाहरण माने जाने वाले आंध्र प्रदेश की तिरुमाला की पहाड़ियों पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर की मान्यता पूरे विश्व में है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में जगत के पालनहार भगवान विष्णु श्री वेंकटेश्वर के रूप में विराजमान हैं जो कलयुग में मानवता की रक्षा कर रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि वैकुंठ द्वार का दर्शन सौभाग्य से मिलता है। मान्यता है कि ये अलौकिक अवसर भक्तों को जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति प्रदान करता है। हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु बैकुंठ एकादशी के मौके पर मोक्ष की कामना के साथ भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं क्योंकि ये द्वार साल में सिर्फ एक ही बार खुलते हैं। जीवन में सुख समृद्धि का वास रहता है।इस दिन आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में बहुत अधिक भीड़ देखने को मिलती है। तिरुपति बालाजी मंदिर में मची भगदड़: तिरुपति बालाजी मंदिर में वैकुंठ एकादशी दर्शन टोकन वितरण के दौरान कल भगदड़ मच गई थी. इस हादसे में छह लोगों की जान चली गई, आइए जानते हैं आखिर तिरुपति बालाजी मंदिर में वैकुंठ एकादशी पर हर साल इतनी ज्यादा भीड़ क्यों आती है।
वैकुंठ एकादशी पर खुलता है सिर्फ मंदिर का वैकुंठ द्वार: दरअसल, तिरुपति बालाजी मंदिर, जहां भगवान विष्णु श्री वेंकटेश्वर के रूप में विराजमान हैं. वैकुंठ एकादशी पर लाखों श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए आते हैं. वैकुंठ एकादशी पर मंदिर का वैकुंठ द्वार खोला जाता है. ये द्वार साल में एक ही बार खोला जाता है. मान्यता है कि भाग्यशाली लोग वैकुंठ द्वार के दर्शन कर पाते हैं. मान्यता है कि वैकुंठ द्वार के दर्शन से भक्त जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं. यही कारण है कि वैकुंठ एकादशी हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए आते हैं।वैकुंठ द्वार मोक्ष का प्रवेश द्वार: शास्त्रों में वैकुंठ एकादशी अत्यंत शुभ दिन माना गया है. इस दिन दूर दूर से भक्त भगवान वेंकटेश्वर के आर्शीवाद के साथ आते हैं. वैकुंठ ए एकादशी पर ही तिरुपति मंदिर के बैकुंठ द्वार के दर्शन का महत्व है. इस दिन भगवान भक्तों को विशेष आर्शीवाद प्रदान करते हैं. यहां सदियों से परिक्रमा करने की भी परंपरा चली आ रही है. मंदिर के वैकुंठ द्वार को मोक्ष का प्रवेश द्वार भी माना जाता है. मान्यता है कि इसके दर्शन से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
आज रखा जाएगा वैकुंठ एकादशी का व्रत:इस साल वैकुंठ एकादशी तिथि की शुरुआत आज दोपहर के 12 बजकर 22 मिनट पर हो चुकी है. ये तिथि 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, आज 10 जनवरी को वैकुंठ एकादशी मनाई जाएगी। ( अशोक झा की कलम से )
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