- सुंदर लिखावट, हंसमुख और तर्क संगत बातें करने के लिए हमेशा रहेगा याद
- आज कम है ऐसा व्यक्तित्व जिसने बिना किसी सेवा शुल्क लिए निभाया पत्रकारिता का धर्म
सर्द मौसम में सिलीगुड़ी में आज खबर मिली कि चेन्नई के अपोलो अस्पताल में संजय शर्मा उर्फ गोपाल पेड़ा उर्फ पेड़ा ने दुनियाँ को अलविदा कर दिया है । गुटखा खाने के चलते कैंसर जब अंतिम स्टेज पर था, तब इसका पता चला। उसके बाद इलाज कराने के लिए सिलीगुड़ी से लेकर देश के कई बड़े अस्पतालों में संजय को लेकर परिजन गए। चेन्नई इलाज के लिए जाने की खबर मिलने के बाद इंतजार था उनके सही सलामत वापस आने का, लेकिन मनहूस खबर मिली तो एक बारगी विश्वास नहीं हुआ। विश्वास नहीं होता कि कैसे कोई देखते ही देखते अपनों को रोता बिलखता छोड़ जाता है। मन माने या माने पर यही यथार्थ है कि पेड़ा अब इस दुनियां में नहीं रहे। पता चला कि गुटका खाने के कारण इन दिनों माउथ कैंसर से पीड़ित थे। जब इसका पता चला काफी देर हो चुका था। उससे मेरी बातचीत लोकसभा चुनाव के समय हुआ था। जब पेड़ा का फोन आया था की सर राजू विष्ट का साक्षात्कार लेना है कुछ चुभते हुए प्रश्न बताइए। मैने ना सिर्फ बताया था बल्कि उसकी बारीकियां भी बताया था। इन दिनों पेड़ा सिलीगुड़ी टाइम्स से जुड़े हुए थे। आज मुझे वह दिन याद आ गया वर्ष 2004 जब दैनिक जागरण का कार्यालय चना पट्टी में था। मैं वहां ब्यूरो का काम देख रहा था। एक युवक आता है और अपने कटिहार वाले पत्रकार मामा का परिचय देकर मिलता है। कहता है मामा ने पत्र भेजा है मै पत्रकारिता करना चाहता हूं मुझे मौका दे। बता दे उस समय कंप्यूटर से नहीं हाथ से खबरें लिखी जा रही थी। उसकी बातें और जागरूकता देख मैने समकालीन बाजार पर एक खबर लिखने को दिया। उसने लिख कर दे दिया। उसकी साफ सुथरी लिखावट देखकर काफी खुशी हुई। इस संबंध में संपादक शैलेन्द्र दीक्षित से बात की। उन्होंने कहा रख लो। मैने उसे खबर लिखने के लिए स्वीकृति दे दी। पेड़ा ने बताया कि वह मिठाई की दुकान में समय देता है इसलिए बचे समय में ही खबरें देते रहेगा। जब उसने मामा की चिट्ठी देनी चाही तो मैने कहा कि पत्रकारिता में सिफारिश की कोई जरूरत नहीं। उसने कहा कि ठीक है सर, हम इस पत्रकारिता के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं लेंगे। इस बात को वह लगातार निभाते रहे। काफी दिनों बात पता चला कि संजय पेड़ा गुरु जी छीतरमल शर्मा परिवार के दामाद है। पेड़ा के साथ पारिवारिक जुड़ाव सा हो गया। जब भी कोई समस्या आती थी उसके साथ मैने कदम से कदम मिलकर चला। ऑफिस में कभी कोई पार्टी होती थी तो पेड़ा को कचौरी और जलेबी के लिए कहा जाता था। कई ऐसे पड़ाव आए जब पेड़ा सामाजिक खबरों के अलावा आर्थिक खबरें दिया करता था। यूं कहे कि गोपाल पेड़ा भंडार जागरण के लिए खबरों की सूचना देने का केंद्र बन गया था। वह 2018 तक जागरण के लिए खबरें देने का काम किया।आज जो युवक 20 वर्ष पूर्व पत्रकारिता में मेरी अंगुली पकड़ आया वह दुनियां छोड़ दिया। उसकी सुंदर लिखावट, हंसमुख और तर्क संगत बातें करने के लिए हमेशा याद रहेगा। कम है ऐसा व्यक्तित्व जिसने बिना किसी सेवा शुल्क लिए निभाया पत्रकारिता का धर्म अंतिम समय तक निभाता रहा। उसके परिवार में माता पिता के साथ भरा पूरा परिवार है। जिसे वह छोड़ चिर निंद्रा में चला गया। पेड़ा के निधन से सामाजिक और पत्रकारिता क्षेत्र में शोक की लहर दौर गई है। मन व्यथित है और ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। ( अशोक झा की कलम से )
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