दुर्गा और गौरी के साथ सिर्फ़ सेल्फ़ी मत लीजिए, उनसे सबक भी लीजिए
दुधवा नेशनल पार्क जाना हुआ। पार्क के कर्मचारियों ने अनुरोध किया- चलिए आपकी मुलाक़ात दुर्गा और गौरी से करवाते हैं। मुलाक़ात को पहुंचे तो उनको देखने और उनके साथ सेल्फ़ी की होड़ थी।
बड़ी वाली दुर्गा है, उम्र यही कोई छह साल। छोटी वाली गौरी, उम्र यही कोई 14 महीने। कोई खूनी रिश्ता नहीं लेकिन संयोग यह कि दोनों को एक जैसे दुख और पीड़ा से गुजरना पड़ा है। दुर्गा मिसाल बनी है कि जिस दुख से ख़ुद को गुजरना पड़े, कोशिश हो कि किसी दूसरे को ना गुजरना पड़े।
पहले बात दुर्गा की। 2018 में जब वो महज़ तीन महीने की थी तो अपने ख़ानदानी झुंड से बिछड़ गई। अमानगढ़ से उसे जब दुधवा लाया गया, तो नवरात्र चल रहे थे, इसलिए दुधवा पार्क के अधिकारी-कर्मचारियों ने नाम दिया- दुर्गा लेकिन मुश्किल यह कि पार्क में पहले से मौजूद पालतू हाथी में कोई उसे अडॉप्ट करने को तैयार नहीं हुआ तो उसने अकेले जीने की आदत डाली और अब वो छह साल की हो गई।
छोटी वाली गौरी जब महज़ 15 दिन की थी तो अपने ख़ानदानी झुंड से बिछड़ गई। 2023 में जब उसे दुधवा लाया गया तो वही कहानी शुरू हुई, बाक़ी हाथियों ने जब अडॉप्ट करने से मना करा दिया तो दुर्गा सामने आई। अनाथ होने की पीड़ा उससे बेहतर कौन दूसरा समझ सकता था। उसने गौरी को अपना साथ और प्यार दिया। आज वो गौरी की मां, बड़ी बहन, दोस्त और मार्गदर्शक सब कुछ है। दोनों के दरमियान का प्यार देखते बनता है
( यह घटनाक्रम महावत इरशाद ने यूपी के राज्य सूचना आयुक्त व देश के वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद नदीम के साथ साझा किया, उनके बिना इजाजत के फेसबुक वॉल से लेकर दोस्तों संग शेयर करने संग नदीम सर से माफी)
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