- पिछले 10 साल में पूर्वोत्तर का विकास 62 वर्षों को छोड़ दिया पीछे
-- 2029 तक पूर्वोत्तर के सारे राज्य राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे
चीन का अपने सभी पड़ोसी देशों से सीमा विवाद लंबे समय से चल रहा है। इसके पीछे चीन की विस्तारवाद की कूटनीति काम करती है। चीन की विस्तारवादी नीति से मंगोलिया, लाओस, वियतनाम, म्यांमार, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान के साथ आर्थिक संबंध अच्छे होते हुए भी चीन के इरादों पर किसी को भरोसा नहीं है। दक्षिण चीन सागर पर चीन एकछत्र राज करना चाहता है। वहां वो कृत्रिम द्वीपों का निर्माण भी कर रहा है। इस क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों पर मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ब्रूनेई जैसे देश भी अधिकार जताते हैं। इन सब के पीछे चीन की महत्वाकांक्षी विस्तारवादी सोच काम करती है। पड़ोसी देशों को छोड़ भी दे तो पीछले एक दशक से यह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार युद्ध में लगा हुआ है । वह अपने सैन्य, नौसैनिक और राजनयिक प्रयासों का विस्तार करते हुए प्रशांत और हिंद महासागर में अमेरिकी प्रभुत्व को भी चुनौती दे रहा है। इसका एक हिस्सा हिंद महासागर और मलक्का जलडमरूमध्य क्षेत्र में रणनीतिक स्थानों को सुरक्षित करने वाली स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति है।भारत में ही एक तरफ जहां चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सेना वापसी का ढोंग रच रहा है। दूसरी ओर सीमा पर तेजी से रेल और सड़कों का जाल बिछा रहा है। भारत ने भी अब चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी कर ली है। भारत ने अपनी सीमा क्षेत्र तक रेल और सड़क संपर्क को मजबूत करना तेज कर दिया है।हालांकि, भौगोलिक स्थिति चुनौतीपूर्ण है। कुछ साल पहले, केंद्र सरकार ने एक बहु-चरणीय कनेक्टिविटी परियोजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों की राजधानियों को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ना था। उसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं। असम और त्रिपुरा पहले ही रेलवे के राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। 2025 तक पूर्वोत्तर के मिजोरम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश का पासीघाट, नगालैंड की राजधानी कोहिमा और मणिपुर की राजधानी इंफाल के करीब तक रेलवे का नेटवर्क पहुंच जाएगा, जबकि 2029 तक पूर्वोत्तर से सारे राज्य राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे।इससे न केवल राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लोगों का जीवन स्तर भी बदलेगा। इतना ही नहीं, दुर्गम सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंचने में सुरक्षाबलों को आसानी होगी। अमर उजाला ने लिया पूर्वोत्तर में रेलवे के विकास कार्यों का जायजा, और जाना कि किन-किन राज्यों में इस समय कौन से प्रोजेक्ट चल रहे हैं और उनकी स्थिति कैसी है। मिजोरमः कुतुब मीनार से भी ऊंचा है पुलनामः भैरबी-साइरंग नई रेल लाइन,कुल लंबाई 51.38 किलोमीटरकुल स्टेशनः चार,पुलः 55 बड़े पुल और 89 छोटे पुल हैंसमयः जुलारई, 2025,मिजोरम की राजधानी ऑइजोल को जोड़ने के लिए नई रेल लाइन भैरबी से साइरंग तक बिछाई जा रही है। इसकी कुल लंबाई 51.38 किलोमीटर है और इसमें चार स्टेशन होंगे। 93 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। परियोजना में कुल 55 बड़े पुल और 89 छोटे पुल हैं। पुल संख्या 196 के स्तंभ पी- 4परियोजना का सबसे ऊंचा स्तंभ है। इसकी ऊंचाई 104 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 42 मीटर ऊंचा है। इस परियोजना में 5 रोड ओवर ब्रिज और 6 रोड अंडर ब्रिज भी शामिल हैं।
सिक्किमः थर्राएगा ड्रेन का कलेजा: नामः सेवक-रंगपो परियोजनाकुल लंबाई 44.96 किलोमीटर,कुल स्टेशनः पांचसुरंगः 14, पुलः 22, समयः जुलाई, 2025 सेवक (पश्चिम बंगाल) और रंगपो (सिक्किम) को जोड़ने वाली सेवक-रंगपो नई रेल लिंक परियोजना लगभग 45 किलोमीटर लंबी है। यह ट्रेन एलएसी से सट कर चलेगी। इसमें 14 टनल, 17 पुल और 5 स्टेशन शामिल हैं। तिस्ता भारतीय रेलवे का पहला भूमिगत स्टेशन होगा (मेट्रो को छोड़कर)। पूरी परियोजना का लगभग 38.6 किलोमीटर हिस्सा टनल से गुजरेगा। 93 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। दार्जिलिंग जिले में हनुमान झोरा के पास स्थित 600 मीटर की एक निकासी टनल के साथ मुख्य टनल टी-04 की लंबाई 3948 मीटर है जबकि टी-13 की लंबाई 2560 मीटर है, जो परियोजना के पश्चिम बंगाल हिस्से का अंतिम टनल है और कलिम्पोंग जिले में स्थित है।बदल जाएगी नगालैंड की तस्वीरनामः धनसिरी-जुज्बा लाइन,कुल लंबाईः करीब 82.50 किलोमीटर
कुल स्टेशनः 8,सुरंगः 37,पुलः प्रमुख पुल 24, छोटे पुल 156
समयः 2025, (30 किलोमीटर को छोड़ कर)नगालैंड का दिमापुर शहर पहले ही रेलवे नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। राजधानी कोहिमा अभी तक रेलवे नेटवर्क से जुड़ा नहीं है। अब रेलवे धनसिरी-ज़ुब्ज़ा लाइन, दीमापुर और कोहिमा शहरों के बीच बन एकल-ट्रैक बिछा रही है। यह जुज्बा (कोहिमा) रेलवे स्टेशन तक जाएगी। इसमें धनसिरी, धनसिरीपर, शोखुवी, मोल्वोम, फेरिमा, पिफेमा, मेंगुज़ुमा और जुब्जा रेलवे स्टेशन होंगे। इसमें 37 सुरंगें, प्रमुख पुल 24, छोटे पुल 156 होंगे। 5 रोड ओवर ब्रिज और 15 रोड अंडर ब्रिज होंगे। नगालैंड का फेरिमा मार्च 2025 तक जबकि जुज्बा (कोहिमा) करीब 30 किलोमीटर 2029 तक राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगा।रेलवे नेटवर्क से जुड़गा अरुणाचल प्रदेश का पासीघाट, नामः मुरगकोंगसेलेक-पासीघाट
कुल लंबाईः करीब 26.15 किलोमीटर, कुल स्टेशनः 4,पुलः बड़े पुल 24, छोटे पुल 44,समयः मई, 2025,असम के धेमाजी जिले (मुरकोंगसेलेक) से अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट (पूर्वी सियांग) जिले को जोड़ने के लिए मुरकोंगसेलेक-पासीघाट लाइन बिछाई जा रही है। इसकी 26.15 किलोमीटर है। इस पर कार्य तेजी से चल रहा है। इसमें कुल चार स्टेशन बनाए जा रहे हैं। इसमें बड़े पुल 24, छोटे पुल 44 हैं। इसका काम मई, 2025 पूरा होने का अनुमान है। रेलवे मंत्रालय ने घोषणा की है कि रेलवे कार्य की समाप्ति के बाद पासीघाट स्टेशन से एक इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने की योजना है।मणिपुरः दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुलनामः जिरिबाम-इंफाल रेल परियोजनाकुल लंबाईः करीब 110 किलोमीटर,कुल स्टेशनः 11कुल काम पूराः प्रगति पर,सुरंगः 52,पुलः 129सबसे ऊंचा पुलः 141 मीटर ऊंचा
मणिपुर में जिरिबाम-इंफाल नई रेल लाइन परियोजना पर काम तेजी से चल रहा है। 110 किलोमीटर से अधिक लंबी रेल लाइन में कुल 52 सुरंगे होंगी और 129 पुल होंगे। यहां पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल 141 मीटर ऊंचाई वाले खंभों पर बन रहा है। इस लाइन पर 11 रेलवे स्टेशन होंगे। परियोजना के पूरा होने के साथ यह दूरी 2-2.5 घंटे में तय की जाएगी। वर्तमान में जिरीबाम-इंफाल (एनएच -37) के बीच की दूरी 220 किमी है, जिसमें यात्रा के लगभग 10-12 घंटे लगते हैं। निर्माण के बाद, नोनी घाटी को पार करने वाला पुल दुनिया का सबसे ऊंचा घाट पुल बन जाएगा।रणनीतिक रूप से है महत्वपूर्ण
रणनीतिक और सैन्य संबंधी चिंताओं को देखते हुए, भारत ने पिछले कुछ कुछ वर्षों में आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में रेल नेटवर्क को मजबूत करने के लिए भारी निवेश किया है। बड़े क्षेत्रफल वाले इस क्षेत्र को 1947 के बाद से भू-राजनीतिक अलगाव का सामना करना पड़ा है, जो इसे भारत के बाकी हिस्सों से केवल 21 किमी चौड़ी सिलीगुरी कॉरिडोर के माध्यम से जोड़ता है। जिसे 'चिकन नेक' कहा जाता है। इसकी 95 प्रतिशत से भी अधिक सीमाएं अंतरराष्ट्रीय हैं, और यह क्षेत्र चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश से घिरा हुआ है।2029 तक पूर्वोत्तर रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगाः शर्मापूर्वोत्तर सीमा रेलवे (एनआरएफ) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी केके शर्मा ने कहा, काम बहुत तेजी से जारी है। पूर्वोत्तर के चार राज्य मिजोरम, सिक्किम, मणिपुर और नगालैंड की राजधानी कोहिमा से 30 किलोमीटर पहले तक हम 2025 में पहुंच रहे हैं। क्योंकि वहां से आगे भौगोलिक परिस्थितियां बहुत मुश्किल हैं। मणिपुर में रेल पहुंच चुकी है, इंफाल तक भी जल्द पहुंच जाएंगे। इंफाल से आगे सीमावर्ती शहर मोहेर तक हम 2029 तक पहुंच जाएंगे। हमें पूरा भरोसा है कि पूर्वोत्तर के हर राज्य की राजधानी 2029 के अंत तक राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने में हम कामयाब होंगे। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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