- अलकायदा शाखा संगठन ‘अंसारुल्ला बांग्ला’ के सदस्यों में से एक कैसे बना वोटर कार्ड
- क्या वोटबैंक की राजनीति के लिए देश के साथ हो रहा खिलवाड़ ?
पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश इन दिनों भारत को अशांत करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात स्लीपर सेल को एक्टिव कर रही है। लगातार उग्रवादियों की गिरफ्तारी और पूछताछ में कुछ ऐसे ही खुलाशे हो रहे है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर में स्लीपर सेल स्थापित करके और स्थानीय रंगरूटों को हथियार मुहैया कराकर विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने की है। पश्चिम बंगाल पुलिस के अनुसार, बांग्लादेशी संचालक "सांप्रदायिक दरार और आर्थिक विषमताओं का उपयोग करके" युवाओं की भर्ती करने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, यह योजना भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा से संबद्ध अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के सदस्य मोहम्मद फरहान इसराक की देखरेख में क्रियान्वित की जा रही थी। इतना ही नहीं उल्फा को भी सहूलियत देकर पूर्वोत्तर को अशांत करने की कोशिश है। आतंकवादी संगठनों ने अब बांग्लादेश में अशांति और समर्थन का लाभ उठाकर भारत के सीमावर्ती राज्यों में अपनी सक्रियता बढ़ाने की सूचना मिली है। खुफिया अधिकारियों का कहना है कि बांग्लादेश से सटे राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा तथा बिहार सीमांत आदि में आतंकियों ने स्लीपर सेल को सक्रिय कर दिया है। हाल में असम एसटीएफ ने केरल से आठ आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इसमें एक बांग्लादेश का नागरिक था। उसकी पहचान मोहम्मद साद सदी उर्फ मोहम्मद शाब शेख के रूप में हुई है। वह अलकायदा शाखा संगठन ‘अंसारुल्ला बांग्ला’ के सदस्यों में से एक था। अब इस आतंकी का पश्चिम बंगाल कनेक्शन सामने आया है।मतदाता सूची में दर्ज है आतंकी का नाम: आतंकी मोहम्मद शाब शेख के कनेक्शन पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से है।उग्रवादी शाब शेख का नाम मुर्शिदाबाद के हरिहरपारा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में है। बांग्लादेश का रहने वाला शाब शेख करीब 10 साल से खिदिरपुर क्षेत्र के केदारतला गांव में रहता था। गिरफ्तार उग्रवादी लंबे समय से अपने चाचा के घर पर रह रहा था।जांच के दौरान खुफिया अधिकारियों को जानकारी मिली है कि उग्रवादी शाब शेख का नाम न सिर्फ मतदाता सूची में है। बल्कि उसका आधार कार्ड भी है। खुफिया अधिकारियों को पूछताछ के दौरान जानकारी मिली कि वह 10 साल पहले बिना किसी दस्तावेज के अवैध तरीके से बांग्लादेश से भारत में आया था और यहां ठिकाना बना लिया था। उसने फर्जी आधार कार्ड से लेकर वोटर कार्ड बनवा लिये। अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से है कनेक्शन: पूछताछ के दौरान उसने बताया कि कुछ समय तक उसने नोएडा पुलिस स्टेशन के एक खाली इलाके में बुर्के की दुकान चलाई, लेकिन जब वहां काम नहीं चला तो वह केरल में काम करने चला गया। हाल ही में असम पुलिस और एसटीएफ ने शब शेख को वहां से गिरफ्तार किया था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उग्रवादी शाब शेख प्रतिबंधित आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के मोहम्मद फरहान इसराक जसीमुद्दीन का काफी करीबी था और उसे स्लीपर सेल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शाद के पास केवल पासपोर्ट ही नहीं था, बल्कि उसने भारत में वोटर कार्ड भी बनवाया था। उसका नाम पश्चिम बंगाल के दो विधानसभा केंद्रों के वोटर लिस्ट में दर्ज है। जानकारी के मुताबिक, मुर्शिदाबाद के कंदी और हरिहरपाड़ा, इन दोनों विधानसभा केंद्रों के वोटर लिस्ट में शाद का नाम है। माना जा रहा है कि शाद पहले वोटर कार्ड बनवाने के बाद एक वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा चुका था। बाद में उसने केंद्र बदल लिया। हालांकि दोनों केंद्रों की लिस्ट में उसका नाम अभी भी मौजूद है। इस स्थिति में, जासूस उसकी वोटर कार्ड की तारीख और वोटर लिस्ट में नाम कब डाला गया, इसका पता लगा रहे हैं। जासूसों का अनुमान है कि शाद ने इस राज्य में वोट भी दिया हो सकता है।गौरतलब है कि हाल ही में हरिहरपाड़ा से शाद के करीबी मिनारुल शेख और मोहम्मद अब्बास अली को असम पुलिस ने गिरफ्तार किया। पासपोर्ट घोटाले की जांच में मुर्शिदाबाद के हरिहरपाड़ा थाना क्षेत्र से एसटीएफ ने इन दोनों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार अब्बास अली निश्चितपुर का निवासी और मिनारुल शेख रुकुनपुर का था। बारुईपाड़ा क्षेत्र में अब्बास अली ने एक मदरसा खोला था। एसटीएफ को पता चला कि वह जेएमबी का सदस्य है। उसके घर से कई दस्तावेज़ और मोबाइल बरामद किए गए। वहीं, रुकुनपुर के मिनारुल शेख के घर से छापेमारी कर पेन ड्राइव, हिजबुल की किताबें और मोबाइल असम पुलिस और राज्य पुलिस की एसटीएफ ने जब्त किए। मिनारुल शेख का अब्बास अली से संपर्क था। इस संदर्भ में, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मिनारुल शेख और मोहम्मद अब्बास अली के कारण ही शाद का नाम वोटर लिस्ट में डाला गया होगा। यह भी पता चला है कि मोहम्मद अब्बास अली को 2018 में पोक्सो मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस समय वह काफी वक्त तक जेल में था। इसी दौरान वह खगड़ागढ़ विस्फोट के कुछ आरोपियों के साथ जेल में था। वहीं से अब्बास का जिहादी संपर्क हुआ। जेल से बाहर आने के बाद उसने एक गैरकानूनी मदरसा खोला, जिसमें 14 छात्र थे। मिनारुल के दो बेटे भी उसी मदरसे में पढ़ते थे। जासूसों का दावा है कि अंसारुल्ला बांग्ला टीम के कई बांग्लादेशी सदस्य हरिहरपाड़ा में सक्रिय थे। असम पुलिस के जाल में फंसे नूर मंडल और मजिबुर रहमान इस राज्य में आकर कई बैठकें करते थे। ये लोग मुख्य रूप से भारत में संगठन का विस्तार और राज्य के सिलिगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक में आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रच रहे थे, ऐसा सुरक्षा एजेंसियां का दावा है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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