- विदेशों से की जा रही फंडिंग, गृहयुद्ध में शामिल होकर आतंकी हमलों को अंजाम देने का निर्देश
- 250 रोहिंग्या आतंकियों को किया जा रहा ट्रेंड, पूर्व मेजर का भड़काने वाले बयान
- उत्तर बंगाल के रास्ते इस्लामिक बांग्लास्तान’ बनाने का सपना
देख रहा है जमात-ए-इस्लामी
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हाल ही में ISIS के झंडे लहराने की तस्वीरें सामने आई हैं। एक युवक को स्केटिंग करते हुए इस झंडे को लहराते देखा गया, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।बांग्लादेश की सड़कों पर इस तरह की घटनाएं कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव की ओर इशारा करती हैं।ढाका में मुस्लिम संगठनों ने भारत के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया। ढाका की सड़कों पर आईएसआईएस के झंडे लहराते हुए कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के उग्रवादी दिखाई दिए। हैरानी की बात है कि बांग्लादेश की पुलिस इनकी सुरक्षा कर रही थी। पुलिस सुरक्षा में हुए इस प्रदर्शन में ISIS के झंडे भी लहराए गए।प्रदर्शन में शामिल इन जेहादी प्रदर्शनकारियों ने भारत पर हमला करने और भारतीय नागरिकों को मारने, यहां तक कि उन्हें कत्ल करने की कसम खाई है. यह आईएसआईएस स्टाइल के इस्लामी जिहाद जैसा ही है। पुलिस की सुरक्षा में जेहादियों का प्रदर्शन: बांग्लादेश में अब तक हिंदुओं के प्रति नफरत थी। उनके ऊपर जुल्म था। अब मुस्लिम संगठन के लोग कत्लेआम मचाने की धमकी दे रहे हैं. जिस भारत की वजह से उनका आज दुनिया में वजूद है, उसी भारत पर ये जेहादी हमले की धमकी दे रहे हैं। सरेआम सड़कों पर निकलकर भारत को धमका रहे हैं। अव्वल तो यह कि यूनुस की पुलिस उन्हें सुरक्षा भी दे रही है। बांग्लादेश में आतंकी संगठन आईएसआईएस के झंडे लेकर जेहादी सड़क पर उतरे हैं। इनके ऊपर एक्शन की बजाय इन्हें सुरक्षा ही दी जा रही है।बांग्लादेश के रिटायर मेजर शरीफ ने कहा कि भारत और अमेरिका भी उनके सामने टिक नहीं सकते और उनका दावा है कि बांग्लादेश के पास 30 लाख छात्र हैं, जो उनके साथ खड़े हैं। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. हाल ही में इस्कॉन मंदिर में हमलों और हिंदू समुदाय के लोगों पर हमलों ने चिंता को और बढ़ा दिया है. इस संदर्भ में बांग्लादेश सरकार ने इन घटनाओं की जांच का वादा किया है, लेकिन हालात में सुधार नहीं हो सका है. इस हिंसा को लेकर बांग्लादेश में सियासी और सामाजिक हलकों में बहस तेज हो गई है।इसी बीच, बांग्लादेश के सेवानिवृत्त मेजर शरीफ ने विवादस्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका भी उनके सामने टिक नहीं सकते और उनका दावा है कि बांग्लादेश के पास 30 लाख छात्र हैं, जो उनके साथ खड़े हैं। मेजर शरीफ का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो बांग्लादेश चार दिनों में कोलकाता पर कब्जा कर सकता है।'कोई भी ताकत हमें नहीं रोक सकती': मेजर शरीफ ने कहा, "मैं भारत को यह कहना चाहता हूं, हम चार दिनों में सब कुछ हल कर लेंगे। हमारी सेना मजबूत है और हमारे लोग हमारे साथ हैं. कोई भी शक्ति हमें रोक नहीं सकती। इस बयान के पीछे गहरी साजिश छुपी हुईं है। बांग्लादेश को लेकर चौंका देने वाली जानकारी सामने आई है। यहां रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकवादी बनने के लिए ट्रेंड किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ट्रेनिंग के बाद इन आतंकियों को म्यांमार भेजा जाता है। जहां ये लोग गृहयुद्ध में शामिल होकर आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही लगातार चरमपंथी हिंसा के मामलों में इजाफा हो रहा है। चौंका देने वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बांग्लादेश को पाकिस्तान का पूरा सपोर्ट है।फिलहाल 250 रोहिंग्या आतंकियों को ट्रेंड किया जा रहा है। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की जा रही है। जानकारी के मुताबिक 2 करोड़ 80 लाख रुपये मलेशिया और सऊदी अरब से बांग्लादेश भेजे गए हैं। आतंकियों को ट्रेनिंग की बात सामने आने के बाद भारत की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। क्योंकि आतंकी क्षेत्रीय शांति को अस्थिर कर सकते हैं।आतंकी म्यांमार के लिए तैयार किए जा रहे हैं। जिनका मकसद अशांति फैलाना है। बांग्लादेश में रोहिंग्याओं का दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर कॉक्स बाजार है। यहां से इस साल जुलाई में 32 साल के रफीक नाम के शख्स ने म्यांमार में एंट्री की है। जिसका मकसद गृहयुद्ध में शामिल होना है। रोहिंग्याओं को उनकी जमीन वापस पाने, नागरिकता देने की बात कहकर बरगलाया जा रहा है। कॉक्स बाजार से युवाओं को चुन-चुनकर आतंकी गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक शिविरों में हिंसा और उग्रवाद का स्तर भी बढ़ रहा है।रोहिंग्या मुस्लिम समूह है, जो फिलहाल विश्व की सबसे देशविहिन आबादी है। इस आबादी ने म्यांमार से 2016 में पलायन शुरू किया था। आरोप है कि वहां की सेना ने इनके ऊपर सख्ती की थी। काफी रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश में शरण ली थी। भारत में भी काफी रोहिंग्या एंट्री कर चुके हैं। 2021 में सेना ने म्यांमार में तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद वहां कई संगठन सक्रिय हो गए हैं। रोहिंग्या भी उनमें से एक है।बताया जा रहा है कि ये लड़ाके अब अराकान सेना (AA) के खिलाफ म्यांमार की सेना का साथ दे रहे हैं। जो कभी इनके विरोध में थी। इसी सेना के अत्याचार से ये म्यांमार से भागे थे। अराकान जातीय मिलिशिया माने जाते हैं। जिनकी अधिकतर तादाद रखाइन इलाके में है। बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी को लेकर एक बड़ा दावा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह संगठन अब अखंड बांग्लादेश बनाने की साजिश कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी के इस प्लान के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट बांटी जा रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘इस्लामिक बांग्लास्तान’ में बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, बिहार-झारखंड के कुछ हिस्से और नेपाल-म्यांमार के कुछ क्षेत्रों को मिलाने की साजिश रची जा रही है। दावा किया जा रहा है कि जमात-ए-इस्लामी गजवा-ए-हिंद (भारत के खिलाफ जंग) के मकसद को पूरा करने में जुटा है, लिहाज़ा उसकी नज़र भारत के उन राज्यों पर है जो बांग्लादेश बॉर्डर के करीब हैं।दरअसल बांग्लादेश हिंसा और शेख हसीना सरकार के तख्तापलट में भी इस संगठन का नाम सामने आया था. बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पर हिंदू विरोधी हिंसा के आरोप लगते रहे हैं। 1971 में जब बांग्लादेश अलग देश बना तो जमात-ए-इस्लामी ने इसका विरोध किया था।वह अब भी पाकिस्तान समर्थक माना जाता है यही वजह है कि उसे ISI का गुर्गा भी कहा जाता है। बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता जाते ही अचानक हिंदुओं के खिलाफ हमले बढ़ गए, कहा जा रहा है कि इस्लामिक बांग्लास्तान बनाने के लिए ही जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश के आरक्षण विरोधी आंदोलन को पूरी तरह से हाईजैक कर लिया। सोशल मीडिया में ग्रेट बांग्लादेश के नाम पर कुछ ऐसे नक्शे वायरल होने लगे जिसमें बांग्लादेश-बंगाल समेत भारत के कुछ राज्यों के हिस्से भी शामिल हैं। बांग्लादेशी मुसलमानों की आबादी बढ़ी है, उससे ऐसा लगता है कि कांग्रेस और जेएमएम भी कट्टरपंथियों के मकसद को पूरा करने में लगे हुए हैं। यही कारण ही की भाजपा के कई संसद बंगाल और बिहार के कुछ हिस्सों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की थी।
जमात-ए-इस्लामी क्या है?:
जमात-ए-इस्लामी की स्थापना अविभाजित भारत में हुई थी. साल 1941 में इस्लामी धर्मशास्त्री मौलाना अबुल अला मौदूदी ने इस संगठन की स्थापना की थी। भारत के विभाजन के बाद जमात-ए-इस्लामी भी कई धड़ों में बंट गया और तभी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान जैसे अलग-अलग संगठन बने। बांग्लादेश की राजनीति में इस संगठन का खासा प्रभाव माना जाता है. यह कट्टर संगठन न तो 71 के मुक्ति संग्राम को मानता है और न ही शेख मुजीबुर्रहमान इसके लिए नायक हैं। बांग्लादेश हिंसा के दौरान इसी संगठन के लोगों पर मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ने का आरोप लगा था। यह युवाओं को बरगलाकर उनका इस्तेमाल अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के लिए करना चाहता है।बांग्लादेश में जारी हिंसा का फायदा उठाते हुए वहां का सक्रिय उग्रवादी संगठन हिजब उत तहरीर (हैट) के सदस्य चोरी-छिपे बंगाल आकर यहां अपना नेटवर्क फैलाने की कोशिश में जुट गये हैं। राज्य के खुफिया सूत्रों को यह जानकारी मिली है। बांग्लादेश से बंगाल में आए और युवाओं का ब्रेनवॉश करने के साथ ही अपने संगठन का नेटवर्क बनाने की कोशिश की। इसके अलावा उन्होंने कथित तौर पर बांग्लादेश की सीमा से लगे कुछ इलाकों में स्लीपर सेल बनाने की भी कोशिश की। खुफिया अधिकारियों के अनुसार दोनों आतंकवादी छात्र होने का दिखावा करने वाले पासपोर्ट के साथ राज्य में दाखिल हुए थे। आरोप है कि उन्होंने कुछ ही दिनों में कई जिलों में सफलता हासिल करने की कोशिश की। खुफिया सूत्रों के मुताबिक इससे पहले भोपाल समेत देश के कई स्थानों से हैट या ‘हिज्ब उत तहरीर’ के आतंकी सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनका फोकस इंजीनियरिंग के छात्र और पढ़े-लिखे युवा थे। वे उनका ब्रेनवॉश करने की कोशिश कर रहे थे। तब वे इस राज्य में नेटवर्क नहीं बना सके। इसलिए पिछले मई में बांग्लादेश से ‘हैट’ के दो सदस्यों को बांग्लादेश के उनके ‘अमीर’ ने पासपोर्ट के साथ इस राज्य में भेजा था। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों आतंकियों के नाम अमीर सब्बीर और रिदवान मारूफ हैं। दोनों बांग्लादेश के राजशाही जिले के रहने वाले हैं। 23 मई को आमिर और रिदवान ने मालदा में मोहदीपुर सीमा पार की। यहां आने से पहले वे सोशल मीडिया पर मालदा के वैष्णवनगर के एक युवक के संपर्क में आये। टूरिस्ट वीजा लेकर आए दोनों युवक वैष्णवनगर स्थित युवक के घर गए। खुद को छात्र बताने वाले दो युवक मालदा के कुछ इलाकों में गए। वे कई स्थानों पर गये और बैठकें की। इसके बाद वे दोनों मुर्शिदाबाद के धुलियान पहुंचे। वहां दोनों ने गांव के युवाओं के साथ बैठक की। युवक के चाचा का घर धुलियान के वैष्णवनगर में है। वहां उसके दोस्त भी हैं। वह अपने दोस्तों को आमिर और रिदवान से मिलवाता है। सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी ने युवक की पहचान की। उन्हें पता चला कि दोनों धार्मिक मामलों पर चर्चा करने लगे लेकिन धीरे-धीरे दोनों आतंकियों ने उन युवाओं के सामने वृहद बांग्लादेश का मुद्दा भी उठाया। इनमें आमिर ‘हैट’ के नेता और आयोजक हैं। इस देश के
"हैट’ के कुछ आतंकी नेता उसके संपर्क में पाए गए हैं। एक अन्य आतंकी सदस्य रिदवान, राजशाही विश्वविद्यालय का छात्र और ‘हैट’ का सक्रिय कर्मी है। खुफिया अधिकारियों के मुताबिक वैष्णवनगर के युवक का परिवार भी सीधे तौर पर ‘सिमी’ से जुड़ा था। उनके मुताबिक कुछ अन्य आतंकी सदस्य भी इस राज्य में आये हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार उनकी तलाश जारी है।बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद नई सरकार लगातार पुरानी नीतियों को बदल रही है। इतना ही नहीं अंतरिम सरकार ने अब अपनी मुद्रा 'टका' को बदलने का एलान किया है। मोहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार ने नए करेंसी नोटों की छपाई को मंजूरी दे दी है। नए नोटों में अब बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर नहीं होगी। इससे पहले बंगबंधु से जुड़े राष्ट्रीय अवकाश और कई कानूनों को भी रद्द कर दिया गया था। अवामी लीग ने इन फैसलों को बांग्लादेश के इतिहास को मिटाने का प्रयास बताया है। आइये जानते हैं कि बांग्लादेश ने अपनी मुद्रा को लेकर किस योजना की घोषणा की है? नए करेंसी नोटों में क्या बदलेगा? बदलाव की वजह क्या है? नई सरकार कैसे मुजीबुर्रहमान की 'विरासत को मिटा ' रही है?
बांग्लादेश ने अपनी मुद्रा को लेकर किस योजना की घोषणा की है?
आने वाले समय में बांग्लादेश नए बैंक नोटों को लॉन्च करेगा। जानकारी के अनुसार, अगले छह महीनों में 20 टका, 100 टका, 500 टका और 1,000 टका कीमत के नोट बाजार में आएंगे। बांग्लादेश बैंक ने हाल ही में इस योजना की जानकारी दी है। केंद्रीय बैंक की प्रवक्ता और कार्यकारी निदेशक हुस्ने आरा शिखा ने कहा कि सरकार अगले छह महीने में नए डिजाइन वाले करेंसी नोट छापेगी। उन्होंने स्थानीय मीडिया को बताया कि केंद्रीय बैंक को इस संबंध में सरकार की मंजूरी मिल गई है और अब आवश्यक प्रक्रिया पूरी की जानी है।
नए नोटों में बदलाव क्या होगा?: मुद्रा छापने के लिए जिम्मेदार सिक्योरिटी प्रिंटिंग कॉरपोरेशन और वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नोटों की डिजाइन को नया रूप देने की तैयारी है। स्थानीय मीडिया ने केंद्रीय बैंक के सूत्रों के हवाले से बताया है कि बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर अब नए नोटों पर नहीं दिखेगी। डिजाइन में शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर के स्थान पर जुलाई में शेख हसीना के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के भित्तिचित्रों को जगह दी जाएगी। इसके साथ ही मजहबी स्थलों और पारंपरिक बंगाली रूपांकनों को भी नोट पर प्रदर्शित किया जाएगा। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नई डिजाइन समय के साथ सभी तरह के नोटों से बंगबंधु की तस्वीर को हटाने की व्यापक योजना का हिस्सा है। इसी महीने निविदा प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही नए नोटों की छपाई शुरू हो जाएगी और अगले वर्ष जून तक इन्हें प्रचलन में लाने की योजना है।
अभी बांग्लादेश में कैसे नोट चलते हैं?
बांग्लादेश में 2 से 1,000 टका के सभी नोटों पर शेख : मुजीबुर्रहमान की तस्वीर छपी हुई है। कुछ नोटों पर दोनों तरफ उनकी तस्वीर छपी हुई है। यहां तक कि धातु के सिक्कों पर भी उनकी तस्वीर छपी हुई है। बांग्लादेश बैंक ने लोगों से कहा है कि नए नोट प्रचलन में आने के बाद भी सभी मौजूदा नोट प्रचलन में बने रहेंगे।
नई सरकार ने पहले मुजीबुर्रहमान से जुड़े क्या फैसले लिए हैं?
5 अगस्त को देश की राजधानी ढाका में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी बांग्लादेश के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा पर चढ़ गए थे और उसे अपवित्र किया था। इतना ही नहीं बल्कि प्रदर्शनों के दौरान देश भर में शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्तियों को तोड़ दिया गया था और उनको समर्पित संग्रहालय को आग के हवाले कर दिया गया था।इसके बाद अक्तूबर में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शेख हसीना द्वारा शुरू की गई आठ राष्ट्रीय छुट्टियों को रद्द करने की घोषणा की थी। इसमें 17 मार्च और 15 अगस्त को शेख मुजीबुर्रहमान की जयंती और पुण्यतिथि के अवकाश भी शामिल थे। अंतरिम सरकार के सलाहकार नाहिद इस्लाम ने कहा था कि अंतरिम सरकार शेख मुजीबुर्रहमान को राष्ट्रपिता के रूप में मान्यता नहीं देती है। ( बंगलादेश बोर्डर से अशोक झा )
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/