- ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना तैनात करने का आह्वान किया
- त्रिपुरा राज्य बांग्लादेश से हिसाब बराबर करने को है आतुर, उठाए कई बड़े कदम
मोहम्मद यूनुस के शासनकाल में बांग्लादेश में ऐसा लगता है, कि हिंदुओं के खिलाफ आपातकाल लगा दिया गया है और उनके आजादी, उनके मौलिक अधिकार और उनसे जीने के अधिकार तक छीन लिए गये हैं। बांग्लादेश ने अब इस्कॉन मंदिर के संतों के भारत आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना तैनात करने का आह्वान किया और हिंसा प्रभावित पड़ोसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की।ममता ने कहा कि अगर जरूरत पड़े, तो संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश में शांति स्थापना के लिए पीसकीपिंग फोर्स भेजने की मांग की जानी चाहिए।उन्होंने केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि बीजेपी नेता बॉर्डर और व्यापार बंद करने की धमकियां दे रहे हैं, जबकि यह केवल केंद्र के आदेश से संभव है। ममता ने कहा कि अगर बांग्लादेश में हालात और बिगड़ते हैं, तो उनकी सरकार वहां से लोगों को वापस लाने के लिए तैयार है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि बंगाल में शरण लेने वाले लोगों को भोजन और आवश्यक सुविधाओं की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के पूर्व सदस्य और हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें एक वकील की मौत हो गई। इसके अलावा दो अन्य पुजारियों रुद्रप्रोति केशव दास और रंगनाथ श्यामा सुंदर दास को भी गिरफ्तार किया गया है। बांग्लादेशी अधिकारियों ने इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक खातों को अस्थायी रूप से फ्रीज कर दिया है और संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है। हालांकि, बांग्लादेश हाई कोर्ट ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की आबादी केवल 7.95% है, और उनके खिलाफ हो रही हिंसा पर भारत सरकार ने भी चिंता जताई है। केंद्र ने बांग्लादेशी प्रशासन से चरमपंथियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की है। इस घटनाक्रम के बीच, बीजेपी विधायकों ने ममता बनर्जी के बयान का विधानसभा में विरोध किया, जिससे सदन में हंगामा हुआ। ममता का बयान यह सवाल खड़ा करता है कि इस समस्या के समाधान के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच ठोस कदम कब उठाए जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दिनों में वैध यात्रा दस्तावेजों के साथ 63 इस्कॉन भिक्षुओं को बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने से रोक दिया गया है और अधिकारियों ने "संदिग्ध गतिविधियों" के लिए बेनापोल सीमा चौकी से उन्हें वापस भेज दिया।इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस , कोलकाता और बांग्लादेश में कई स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों के बीच रविवार सुबह भिक्षुओं को भारत में प्रवेश करने से रोक दिया गया।
इस्कॉन भिक्षुओं को भारत आने से क्यों रोका गया?: रिपोर्ट में आव्रजन पुलिस के हवाले से कहा गया है, कि बांग्लादेश के विभिन्न जिलों से आए भिक्षुओं के पास अपनी यात्रा के लिए सरकार की ओर से विशेष अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्हें भारत में प्रवेश करने से रोक दिया गया। भिक्षु शनिवार शाम और रविवार सुबह बेनापोल सीमा पर पहुंचे थे, जहां वे भारत में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन आव्रजन पुलिस ने उन्हें "संदिग्ध यात्रा" के कारण रोक दिया।बांग्लादेश ने क्या बयान दिया?: बेनापोल इमिग्रेशन पुलिस के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भुइयां ने द डेली स्टार अखबार के हवाले से कहा, कि "हमने पुलिस की विशेष शाखा से परामर्श किया और उच्च अधिकारियों से निर्देश प्राप्त किए कि उन्हें (सीमा पार करने की) अनुमति न दी जाए। उन्होंने दावा किया, कि भक्तों के पास वैध पासपोर्ट और वीजा थे, लेकिन उनके पास "विशेष सरकारी अनुमति नहीं थी।" रिपोर्ट के अनुसार, 54 इस्कॉन भिक्षुओं ने शनिवार को भारत में प्रवेश करने की कोशिश की और रविवार को नौ अन्य संतों को रोक दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स में इस्कॉन के सदस्य सौरभ तपंदर चेली के हवाले से बताया गया है, कि उन्होंने अपना गुस्सा और निराशा जताते हुए कहा, कि "मैं भारत में एक धार्मिक समारोह में भाग लेने आया था। लेकिन आव्रजन अधिकारियों ने मुझे बिना कोई स्पष्टीकरण दिए वापस भेज दिया।" एक अन्य भक्त ने कहा, कि बांग्लादेश के अधिकारियों ने उन्हें भारत में प्रवेश न देने का कोई स्पष्ट कारण बताने से इनकार कर दिया।
'भिक्षुओं को बताया गया कि भारत की यात्रा करना असुरक्षित है'। रिपोर्ट में इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास के हवाले से कहा गया है, कि ये भिक्षु बांग्लादेश में इस्कॉन की विभिन्न इकाइयों से संबंधित थे। दास ने कहा, कि "बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, उन्होंने भारत में तीर्थयात्रा के लिए इस अवधि को चुना। लेकिन शनिवार को 9 और रविवार को 54 को बीजीबी ने रोक दिया। उन्हें बताया गया, कि इस समय भारत की यात्रा करना उनके लिए असुरक्षित है और उन्हें वापस जाने के लिए कहा गया। मुझे बस आश्चर्य है, कि वैध वीजा और अन्य दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें किस आधार पर दूसरे देश जाने से रोका जा सकता है?"बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ आपातकाल! बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार 27 नवंबर को बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद काफी बढ़ गए हैं। उन्हें देशद्रोह के आरोप में ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। मामले में आरोप लगाया गया है, कि उन्होंने और अन्य लोगों ने 25 अक्टूबर को चटगांव में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के झंडे के ऊपर भगवा झंडा फहराया था। इस बीच, बांग्लादेशी अधिकारियों ने दास सहित इस्कॉन से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों को 30 दिनों की अवधि के लिए फ्रीज कर दिया। ये तनाव तब और बढ़ गया, जब चटगांव के मूल निवासी दो इस्कॉन भिक्षुओं, आदि पुरुष श्याम दास और रंगनाथ दास को शुक्रवार को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे जेल में दास को प्रसाद पहुंचाने के बाद मंदिर लौट रहे थे।रिपोर्टों में इस्कॉन के हवाले से कहा गया है, कि बांग्लादेश पुलिस ने दो भिक्षुओं को गिरफ्तार किया और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया, क्योंकि उन्होंने जेल में दास को दवाइयां पहुंचाई थीं।भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं के न्याय के लिए विरोध प्रदर्शन किया; भारत में, खास तौर पर बांग्लादेश की सीमा से लगे बंगाली भाषी राज्यों में कई विरोध प्रदर्शन किए गये हैं और रैलियां निकाली गईं है। कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल के ज्यादातर शहरों में अल्पसंख्यकों, खास तौर पर हिंदुओं के लिए न्याय की मांग करते हुए विरोध रैलियां निकाली गईं हैं, जो बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के गठन के बाद से इस्लामी समूहों के गंभीर हमलों का सामना कर रहे हैं।पिछले हफ्ते अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के बाहर भी विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस बीच बांग्लादेश में, जमात-ए-इस्लामी से जुड़े एक इस्लामी समूह हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम ने अन्य समूहों के साथ मिलकर इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। हिंदुओं के प्रतिष्ठानों और घरों को टारगेट किया जा रहा है। वहीं, इस बीच भारत के इस छोटे राज्य ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे जुल्म को लेकर बड़ा कदम उठाया है, जो बांग्लादेश के लिए किसी काल से कम साबित नहीं होगा। जी हां हम त्रिपुरा की बात कर रहे हैं। दरअसल, त्रिपुरा बांग्लादेश में हिंदुओं पर जुल्म का हिसाब बराबर करने में जुट गया है. त्रिपुरा ने बांग्लादेश को 135 करोड़ रुपये का बिजली बकाया तुरंत चुकता करने के लिए कहा है. इसके अलावा त्रिपुरा के अस्पताल ने भी वहां के मरीजों का इलाज बंद करने की घोषणा की है. त्रिपुरा ने यह फैसला पड़ोसी देश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे जुल्म और बांग्लादेश में भारतीय बस पर हमले के बाद लिया है। बांग्लादेश तुरंत चुकता करे 135 करोड़ का बकाया: त्रिपुरा के बिजली मंत्री रतन लाल नाथ ने रविवार को कहा कि बांग्लादेश पर 135 करोड़ रुपये बकाया है. हालांकि, वह नियमित रूप से भुगतान कर रहा है. बिजली की प्रत्येक यूनिट के लिए हम 6.65 रुपये चार्ज कर रहे हैं, जो डोमेस्टिक कनेक्शन से मिलने वाली बिजली की तुलना में एक अच्छी दर है. इसके अलावा अगरतला के ILS अस्पताल ने बांग्लादेश के मरीजों का इलाज नहीं करने का ऐलान किया है।अगरतला ILS अस्पताल के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर गौतम हजारिका ने कहा कि हम बांग्लादेश के मरीजों का इलाज नहीं करने की मांग का पूरा समर्थन करते हैं. अखौरा चेक पोस्ट और आईएलएस अस्पतालों में हमारे हेल्प डेस्क उनके लिए आज से बंद कर दिए गए हैं. बांग्लादेश के लोगों ने तिरंके का अपमान किया है. बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अत्याचार हो रहा है. इससे पहले कोलकता के जेएन राय अस्पताल ने भी बांग्लादेशी मरीजों का इलाल बंद करने की घोषणा की थी।
त्रिपुरा तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा है: वहीं, बांग्लादेश मुद्दे पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि बांग्लादेश में स्थिति ठीक नहीं है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि शेख हसीना के सत्ता में रहने के दौरान जो आतंकवादी जेल में थे, वे अब जेल से बाहर आ गए हैं. यह चिंता का विषय है क्योंकि त्रिपुरा की सीमा बांग्लादेश से लगती है. भारत सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है. पता नहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कैसे काम कर रही है? त्रिपुरा तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा है इसलिए निगरानी कड़ी कर दी गई है। बांग्लादेश में भारतीय बस पर हमला: उधर, त्रिपुरा के परिवहन मंत्री सुशांत चौधरी ने आरोप लगाया कि अगरतला से कोलकाता जा रही एक बस पर बांग्लादेश में हमला किया गया. यह हादसा ब्राह्मणबारिया जिले के विश्व रोड पर हुआ. बस में टोटल 28 पैसेंजर थे. इसमें 17 भारतीय और 11 बांग्लादेशी नागरिक शामिल थे. इस घटना से बस में सवार भारतीय यात्री सहम गए. बस अपनी लेन में चल रही थी, तभी एक ट्रक ने जानबूझकर उसे टक्कर मार दी. इस दौरान एक ऑटोरिक्शा बस के सामने आ गया और बस-ऑटोरिक्शा की टक्कर हो गई।घटना के बाद स्थानीय लोगों ने बस में सवार भारतीय यात्रियों को धमकाना शुरू कर दिया. उन्होंने भारत विरोधी नारे भी लगाए और भारतीय यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया तथा उन्हें जान से मारने की धमकी दी. परिवहन मंत्री सुशांत चौधरी ने कहा कि मैं इस घटना की कड़ी निंदा करता हूं तथा पड़ोसी देश के प्रशासन से भारतीय यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं। कोलकाता और अगरतला के बीच बसों का संचालन ढाका के रास्ते किया जाता है क्योंकि इससे सफर की दूरी आधी से भी कम हो जाती है। यह विमान यात्रा से सस्ती पड़ती है। ट्रेन यात्रा में आमतौर पर 30 घंटे से अधिक समय लगता है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/