अशोक झा, सिलीगुड़ी: कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा का शैव और वैष्णव दोनों संप्रदायों में समान महत्व है। मान्यता है कि इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और श्रीहरि ने मत्स्य अवतार लिया था। इस दिन को देव दीपालवी (देव दिवाली) के रूप में भी मनाया जाता है, जब सभी देवी-देवता स्वर्गलोक से धरती पर आकर पवित्र नदियों के किनारे दीप जलाकर इस पर्व का उत्सव मनाते हैं. इस बार कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को है, जो सुबह 06:19 बजे से शुरू होकर 16 नवंबर की सुबह 02:58 बजे समाप्त होगी.
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को शुरुआत 15 नवंबर यानी आज सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर हुआ और पूर्णिमा तिथि का समापन 16 नवंबर यानी कल अर्धरात्रि 2 बजकर 58 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, कार्तिक मास आज ही मनाई जा रही है।स्नान-दान का मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 58 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर था. इसके अलावा, आज आप अभिजीत मुहूर्त में भी स्नान-दान कर सकते हैं. जिसका समय सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर होगा। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व होता है. ऐसा कहा गया है कि इस दिन स्नान करने से पूरे वर्ष के गंगा स्नान के बराबर फल की प्राप्ति होती है. दीपदान और मां लक्ष्मी की पूजा करने पर विशेष पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा का सिख धर्म में महत्व : सिख धर्म में भी कार्तिक पूर्णिमा का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. इस दिन को सिख धर्म के अनुयायी ‘गुरु पर्व’ के रूप में मनाते हैं. गुरुद्वारों में विशेष पूजा-अर्चना और लंगर का आयोजन किया जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा पूजा-विधि : कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करना और व्रत का संकल्प लेना आवश्यक है. इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना शुभ माना गया है. अगर संभव न हो, तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है. इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. विष्णु सहस्रनाम का पाठ और भगवान विष्णु को भोग अर्पण करने से विशेष लाभ होता है. भगवान शिव की पूजा भी इस दिन महत्वपूर्ण मानी जाती है. शिवलिंग पर जल अर्पित करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.विशेष मुहूर्त और समय: स्नान-दान का समय: सुबह 04:58 से 05:51 तक
पूजा का समय: सुबह 06:44 से 10:45 तक
प्रदोष काल में देव दीपावली: शाम 05:10 से रात 07:47 तक
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त: रात 11:39 से 12:33 तक
इस दिन विशेष रूप से दीपदान का महत्व होता है. घर, मंदिर, पीपल के वृक्ष और तुलसी के पास दीप जलाकर देवताओं का स्वागत करना चाहिए. इसी कारण इस दिन को देव दिवाली के नाम से भी जाना जाता है।कार्तिक पूर्णिमा का पुण्य लाभ : यह दिन केवल पूजा-अर्चना और दीपदान तक ही सीमित नहीं है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर किया गया स्नान-दान और पूजा सभी दोषों से मुक्ति और विशेष पुण्य की प्राप्ति कराता है. इसलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने के लिए लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं. इस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा का यह पर्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आस्था, विश्वास और पारंपरिक मूल्यों का प्रतीक भी है।
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