छठ का यह पर्व प्राकृतिक तरीके से और पूरी पवित्रता के साथ मनाया जाता है. छठ का पर्व एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं. इस पर्व को लेकर एक मान्यता यह भी है कि अगर इसे पूरी पवित्रता और सच्चे मन से किया जाए तो व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस पर्व के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि इस पर्व में किन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और छठी मईया कौन हैं? आज के इस लेख में हम आपको इस पूजा में पूजे जाने वाले सभी देवी-देवताओं और छठी मईया के बारे में विस्तार से जानेंगे।कौन हैं छठी मईया: छठ के इस महापर्व में छठी मईया और भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार छठी मईया को ब्रह्मदेव की पुत्री और भगवान सूर्य की बहन कहा जाता है. छठी मईया को संतान प्राप्ति की देवी और सूर्य देव को शरीर का स्वामी या देवता कहा जाता है. पुराणों में माना जाता है कि जब ब्रह्म देव सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब उन्होंने खुद को दो भागों में विभाजित कर लिया था. एक भाग पुरुष और दूसरा प्रकृति. जिसके बाद प्रकृति ने भी खुद को 6 भागों में विभाजित कर लिया, जिसमें से एक देवी मां हैं. आपको बता दें कि छठी मईया देवी मां का छठा अंश हैं, इसलिए उन्हें छठी मईया या प्रकृति की देवी के नाम से जाना जाता है। छठ पूजा क्यों की जाती है: भगवान सूर्य और छठी मईया से अपने पुत्र और परिवार की रक्षा और लंबी आयु की कामना के लिए 36 घंटे के इस पर्व पर व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म के सभी त्योहारों और व्रतों में छठी मईया की पूजा सबसे कठिन और फलदायी मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति पूरी आस्था, भक्ति और विश्वास के साथ इस पर्व को मनाता है और 36 घंटे का व्रत रखता है, छठी मईया और भगवान सूर्य खुद उसके पुत्र और परिवार की लंबी आयु की रक्षा करते हैं।( पंडित अशोक झा)
महाभारत काल से है छठ व्रत का महत्व
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roamingjournalist
नवंबर 05, 2024
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दो दशक से ज्यादा हो गया पत्रकारिता में हूं। नाम है दिनेश चंद्र मिश्र। देश के कई राज्यों व शहरों में काम करने का मौका मिलने के बाद दोस्तों ने मोहब्बत में नाम दिया रोमिंग जर्नलिस्ट तो इसको रखने के साथ इस नाम से ब्लॉग बना लिया। पत्रकारिता की पगडंडी से लेकर पिच तक पर कलम से की-बोर्ड तक के सफर का साक्षी हूं। दैनिक जागरण,हिंदुस्तान,अमर उजाला के बाद आजकल नवभारत टाइम्स नईदिल्ली में हूं। आपातकाल से लेकर देश-दुनिया की तमाम घटनाओं का साक्षी रहा हूं। दुनियाभर में घूमने के बाद खबरों के आगे-पीेछे की कहानी आप संग शेयर करने के लिए यह ब्लॉग बनाया हूं
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