बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: बांग्लादेश में इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) से जुड़े चिन्मय प्रभु को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ढाका में वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या और अन्य विवादों में नाम आने के बाद इस्कॉन बांग्लादेश ने सार्वजनिक रूप से खुद को चिन्मय प्रभु से अलग कर लिया है।
यह बयान उस समय आया जब बांग्लादेश में हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद विवाद गहरा गया। ढाका में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने साफ शब्दों में कहा कि चिन्मय कृष्ण दास को पहले ही संगठन से हटा दिया गया था। उन्होंने कहा, 'इस्कॉन उनके किसी भी कार्य, बयान या गतिविधि के लिए जिम्मेदार नहीं है. यह संगठन को बदनाम करने का प्रयास है।
चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप और गिरफ्तारी: चिन्मय कृष्ण दास, जो पहले चटगांव में श्री श्री पुंडरीक धाम के प्रबंधन से जुड़े थे, को संगठनात्मक अनुशासन तोड़ने के कारण इस्कॉन से हटा दिया गया था. हाल ही में उन्हें ढाका में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि उन्होंने 'सनातन जागरण मंच' के तहत एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराया। इसे बांग्लादेश की संप्रभुता का अपमान माना गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ। "बुरे वक्त में अपने भी साथ छोड़ देते हैं!" जो दुनिया को श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश देते हैं, श्री कृष्ण की भक्ति सिखाते हैं, कम से कम उन्हें कायरता नहीं दिखानी चाहिए थी।इस्कॉन-बांग्लादेश ने चिन्मय कृष्ण दास जी को अस्वीकार कर दिया। कहा कि उनका चिन्मय दास जी साथ कोई संबंध नही। इस घटना के बाद सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर विवाद बढ़ गया. चटगांव की अदालत ने चिन्मय प्रभु को हिरासत में रखने का आदेश दिया। इसके साथ ही, उनके खिलाफ हत्या और सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामलों में भी नाम आया।इस्कॉन का बयान: चारु चंद्र दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि संगठन का इन विवादित घटनाओं से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा, 'कुछ समूह संगठन को बदनाम करने के लिए गलत आरोप लगा रहे हैं. इस्कॉन का ऐसे किसी भी प्रदर्शन या गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं है। रैली और भगवा झंडे पर विवाद: चटगांव में आयोजित एक रैली की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह मामला सुर्खियों में आया. रैली में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने की तस्वीरों ने देशभर में विवाद खड़ा कर दिया. इसे 'देशद्रोही' हरकत बताया गया और चिन्मय कृष्ण दास समेत 18 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। संगठन ने किया किनारा: इस्कॉन ने यह साफ कर दिया है कि चिन्मय कृष्ण दास अब संगठन का हिस्सा नहीं हैं। महासचिव ने कहा, 'हमारे संगठन के अनुशासन का पालन न करने वालों को बाहर कर दिया गया है. उनके कार्यों के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं.' इस विवाद ने बांग्लादेश में इस्कॉन और हिंदू संगठनों को एक नई चुनौती के रूप में खड़ा कर दिया है। वहीं, संगठन ने प्रशासन और जनता से अपील की है कि बिना किसी तथ्य के इस्कॉन पर आरोप न लगाए जाएं। यह मामला न केवल कानूनी मुद्दों को जन्म दे रहा है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है. चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी और विवादों से जुड़े आरोपों ने इस्कॉन की छवि को लेकर गंभीर चर्चा छेड़ दी है. अब देखना होगा कि आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया में क्या खुलासे होते हैं। दास को सोमवार को चटगांव में बांग्लादेश के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद इस्कॉन समर्थकों और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। इस्कॉन को बैन करनी की उठी थी मांग: चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में विरोध फैल गया था जिसके बाद इस्कॉन को बैन करने की भी मांग तेज हो गई। इस्कॉन को बैन करने के लिए बांग्लादेश हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस्कॉन को बैन करने से इनकार कर दिया। अदालत ने यह कहते हुए इस्कॉन की गतिविधियों पर बैन लगाने के मामला खारिज कर दिया कि बिना ठोस सबूत के इस पर स्वतः संज्ञान नहीं लिया जा सकता। हाई कोर्ट के फैसले के बाद इस्कॉन के कोलकाता शाखा के उपाध्यक्ष राधारमन दास ने इसे न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा, "हम पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। यह लाखों भक्तों के लिए राहत की बात है।" वहीं भारत ने मंगलवार को दास की गिरफ्तारी और जमानत नहीं दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की और बांग्लादेश से हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। इसके अलावा, बांग्लादेश उच्चतम न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने बुधवार को बांग्लादेश सरकार को एक कानूनी नोटिस भेजकर इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और इसे एक कट्टरपंथी संगठन बताया।
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