- 9 संतान में इकलौती बेटी थी लोक गायिका, पति का मिला था भरपूर सहयोग
लोक गायिका शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा बचपन से ही शुरू हो गई थी। पिता के संरक्षण से जब वह आगे बढ़ीं तो इसके बाद ससुराल में उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन, पति ब्रज किशोर सिन्हा ने उनका भरपूर साथ दिया और आज उनके बेशुमार लोकगीतों के रंग बॉलीवुड समेत पूरे देश को मन मस्तिष्क में घुल रहे हैं। उनके पिता सुखदेव ठाकुर का परिवार काफी बड़ा था। सुखदेव ठाकुर ने दो शादियां की थीं. दोनों पत्नी से उनके 9 बच्चे हुए जिसमें शारदा सिन्हा बहनों में इकलौती थीं।
पहली पत्नी से तीन बच्चे... दूसरी से पांच: बताया जाता है कि शारदा सिन्हा के पिता सुखदेव ठाकुर ने पहली शादी की तो उनके तीन बच्चे हुए। तीनों बेटे ही हुए। सबसे बड़े भुवनेश्वर शर्मा जो गांव में किसान के रूप में अपना जीवन यापन करते थे।दूसरे पुत्र चिरानंद शर्मा थे जो शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे।वहीं तीसरे पुत्र मृत्युंजय शर्मा जो झारखंड सरकार में हेडमास्टर के पद पर कार्यरत रहे। किसी कारणवश सुखदेव ठाकुर की पहली पत्नी का निधन हो गया, जिसके बाद उन्होंने दूसरी शादी की।
दूसरी पत्नी से छह बच्चे हुए। पांच बेटे और एक बेटी जिसका नाम रखा गया शारदा। सबसे बड़े पुत्र शैलेंद्र शर्मा एनसीसी में ऑफिसर रहे जबकि आदित्य शर्मा ने शिक्षा विभाग में एरिया ऑफिसर के रूप में सेवा दी।तीसरे पुत्र रमाकांत शर्मा भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर कार्यरत थे। इसके बाद परिवार की एक मात्र बहन शारदा सिन्हा का जन्म हुआ जिन्होंने संगीत को अपना करियर बनाया और देशभर में लोकप्रियता हासिल की।
शारदा सिन्हा के छोटे भाई हैं डॉक्टर: शारदा सिन्हा के छोटे भाई डॉ. पद्मनाभ शर्मा कोसी क्षेत्र के प्रमुख होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। सबसे छोटे भाई आलोक शर्मा भागलपुर मेडिकल कॉलेज में हेड ऑफ डिपार्टमेंट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। बड़े भाई भुवनेश्वर शर्मा के निधन के बाद डॉ. पद्मनाभ शर्मा अपने गांव में ही रहते हैं और राघोपुर स्थित अपने क्लीनिक में लोगों की सेवा कर रहे हैं, जबकि अन्य भाई अपने-अपने कार्यस्थलों पर निवास करते हैं। शारदा सिन्हा का अपने भाइयों से गहरा लगाव था और वे अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलीं। हाल ही में अपने भाई के बेटे की शादी में शामिल होकर उन्होंने गांव के लोगों और परिवारजनों से मिलने की इच्छा जताई। उन्होंने अपने जाने के समय वादा किया कि वे दिसंबर में फिर वापस आएंगी लेकिन यह नहीं हो सका। शारदा सिन्हा के निधन के बाद उनके मायके वालों को भी बड़ा सदमा लगा है।शादी के बाद शारदा सिन्हा के सरनेम को ही अपना कर उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा के रूप में जाने लगे. शादी के बाद शारदा सिन्हा कुछ दिनों तक ससुराल में रही थी. चूंकि उनका गीत-संगीत से बेहद लगाव था, इसलिए सुदूर देहात में रहकर इस विधा को आगे बढ़ाना उनके लिए परेशानी का सबब बन रहा था. शादी के बाद उन्होंने सिहमा से निकल कर शहर की तरफ रुख किया।पति ने अपना लिया था शारदा सिन्हा का सरनेम: हालांकि, उनके ससुर श्रीराम सिंह गीत-संगीत के क्षेत्र में अपनी बहू को आगे बढ़ाना नहीं चाहते थे, लेकिन उनको पति का साथ मिला, तो वे कामयाबी की तरफ बढ़ती चली गयीं। जब शारदा सिन्हा को ख्याति मिली, तो सिहमा समेत पूरे बेगूसराय के लोग अपने को गौरवान्वित महसूस करने लगे। स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रसिद्ध होने के बाद शारदा सिन्हा कई बार सिहमा व बेगूसराय आयी थीं। 10 साल पहले सिहमा छठ के समय में आयी थी। कुछ पुराने लोग बताते हैं कि जब भी शारदा सिन्हा सिहमा आती थी, तो बहू का ख्याल रखते हुए माथे पर से आंचल नहीं हटाती थीं। शारदा सिन्हा का अपने पति से बेहद लगाव था: स्थानीय लोग बताते हैं कि शारदा सिन्हा का अपने पति से बेहद लगाव था. कुछ समय पूर्व पति के निधन से वे पूरी तरह से टूट चुकी थी। फिलहाल शारदा सिन्हा की ससुराल सिहमा में उनके पति के छोटे भाई जयकिशोर सिंह अपने परिवार के साथ रहते हैं. वहीं, उनके दूसरे भाई डाॅ नंदकिशोर सिंह बेगूसराय शहर में घर बनाकर रह रहे हैं।शारदा सिन्हा ने पति से किया था वादा: भोजपुरी सिंगर ने अंत में दुख भरे मन से लिखा था, ‘ये चीरता सन्नाटा, ये शूल सी चुभन, हृदय जैसे फट कर बाहर आ जाएगा! आखिरी मुलाकात की एक तस्वीर बची है, सबके दर्शनार्थ यहां साझा कर रही हूं। पोती उनकी गोद में है, आंखे उनकी भरी भरी, मैं द्रवित सी, दिलासा देती साथ खड़ी हूं। मैं जल्द ही आउंगी… मैने बस यही कहा था उनसे…!’ ( अशोक झा की कलम से)
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