बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश में पहले हिंदुओं पर अत्याचार किए गए गए। अब हिंदू धर्मगुरु इस आतंक के निशाने पर हैं। बांग्लादेश के चांदगांव में ISKCON मंदिर के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।ये केस दर्ज कराया है खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी के एक नेता ने। आरोप ये कि चिन्मय कृष्ण दास ने बांग्लादेशी झंडे का अपमान किया है और केस सिर्फ चिन्मय कृष्ण दास पर नही बल्कि 19 लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा लगाया गया है।जानते है बांग्लादेश में देशद्रोह के लिए सजा क्या है? सजा है उम्रकैद और सजा ए मौत। बांग्लादेश में क्यों गूंज रहा जय श्रीराम का नारा?: चिन्मय कृष्ण दास पर राष्ट्रद्रोह के केस के बाद बांग्लादेश का हिंदू ना सिर्फ सड़कों पर है बल्कि बांग्लादेश के कट्टरपंथी गैंग को जवाब देने के लिए तैयार भी है। जिस बांग्लादेश में कुछ दिन पहले तक...हिंदू व्यापारियों से जजिया जैसा टैक्स मांगा जा रहा था। हिंदुओं की संपत्तियों को कब्जाया जा रहा था...उस बांग्लादेश की सड़कों पर आज जय श्रीराम और हर हर महादेव का जयकारा लग रहा है। धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास को झूठे मुकदमे में फंसाए जाने का विरोध करता हिंदू समुदाय सड़कों पर आ गया है। नारे लगाए जा रहे हैं और दावा किया जा रहा है। कट्टरपंथियों और उनके पीछे खड़े सरकारी सिस्टम को जवाब दिया जाएगा। एक संत से क्यों डर गई यूनुस सरकार?इन प्रदर्शनों में पुरुष हैं महिलाएं हैं। नौजवान हैं और सबसे आगे बच्चे हैं। जो महंत चिन्मय कृष्ण दास जैसी ही वेशभूषा रखकर पहुंचे हैं। ये संदेश देने के लिए कि इस मुश्किल समय में वो अपने धर्मगुरु...अपने पथ प्रदर्शन के साथ खड़े हैं। एक सवाल आपके अंदर भी पैदा हो रहा होगा। आखिर एक संत से बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को क्या दिक्कत थी। एक कृष्ण भक्त से बांग्लादेशी सिस्टम को क्या दहशत थी। जो सीधे देशद्रोह जैसा गंभीर आरोप लगा दिया गया। इसकी वजह है महंत चिन्मय दास का संघर्ष। 5 अगस्त को शेख हसीना का तख्तापलट हो जाने के बाद से चिन्मय कृष्ण दास लगातार हिंदू समुदाय की आवाज उठा रहे हैं। चिन्मय कृष्ण दास ने सबसे पहले बांग्लादेश के संतों को लामंबद किया। धर्म संसद का आयोजन किया।उसके बाद से लगातार बांग्लादेशी हिंदुओं के हितों के लिए...चिन्मय कृष्ण दास अपनी आवाज उठा रहे हैं।
लाखों हिंदुओं को कर दिया एकजुट: ये चिन्मय कृष्ण जैसे संतों के प्रयासों का नतीजा था कि बांग्लादेश में हिंदू भी एकजुट होने लगा. इस एकता की पहली बड़ी तस्वीर चटगांव से सामने आई थी...17 अक्टूबर को हजारों की तादाद में जमा होकर हिंदुओं ने अपने अधिकारों की मांग की थी और अब चिन्मय कृष्ण दास पर लगाए गए मुकदमे के विरोध में हिंदू एकजुट हैं। चिन्मय कृष्ण दास के इसी संघर्ष से डरकर पहले उनके खिलाफ झूठा केस बनाया गया और अब उनके समर्थन में निकाले जा रहे प्रदर्शनों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है. पुलिस के साथ ही साथ सेना भी प्रदर्शनों का दायरा बढ़ने से रोकने की कोशिश कर रही है।
एकजुट रहेंगे तो बचे रहेंगे- स्वामी कृष्ण दास: आज से तकरीबन एक महीने पहले एक सभा के दौरान चिन्मय कृष्ण दास ने कहा था...कि बांग्लादेश के हिंदुओं को वजूद तभी बच सकता है...जब बांग्लादेशी हिंदू एक साथ खड़ा रहे। पृथ्वीराज और जयचंद बंटे नहीं होते तो, मोहम्मद गौरी हिन्दूओं को काट नहीं पाता, अगर पोरस और आम्भी बंटे नहीं होते तो, सिकन्दर हिन्दूओं को काट नहीं पाता। इसलिए" बंटोगे तो कटोगे। जुल्म का सख्ती से सख्त जवाब दे. आज बांग्लादेश के हिंदू चिन्मय कृष्ण दास के इसी मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं ताकि 1971 जैसे हालात दोबारा पैदा ना हों। बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सेना और रजाकारों ने हिंदुओं को निशाना बनाया था। अब यही कोशिश मोहम्मद यूनुस का कट्टरपंथी सिस्टम कर रहा है।
इस्कॉन बांग्लादेश के वरिष्ठ नेता चक्रपाणि दास ब्रह्मचारी ने कहा कि कुछ समाचार पत्रों और मीडिया के माध्यम से इस्कॉन पर कई झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये आरोप केवल इस्कॉन की छवि को धूमिल करने और समाज में अशांति फैलाने के उद्देश्य से फैलाए जा रहे हैं। उन्हाेंने इस्कॉन के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रामक और बेबुनियाद आरोपों का खंडन किया है।
इस्कॉन की ओर से कहा गया कि उनका संगठन हमेशा से ही धार्मिक सहिष्णुता, राष्ट्र की एकता और समाज के हर वर्ग में मानवता का प्रचार-प्रसार करता आया है। उन्होंने जनता और संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि वे इन झूठी अफवाहों पर विश्वास न करें और इसके बजाय इस्कॉन के वास्तविक कार्यों और उद्देश्यों को समझें। इसके साथ ही इस्कॉन ने बांग्लादेश सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस प्रकार की झूठी और भ्रामक खबरों के प्रचार पर कड़ी निगरानी रखें। संगठन ने इस तरह के प्रचार से जुड़े लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी की है ताकि इस्कॉन और उसके अनुयायियों की धार्मिक स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा की जा सके। चक्रपाणि दास ब्रह्मचारी ने सभी इस्कॉन भक्तों से शांति बनाए रखने और संगठन के उद्देश्यों के प्रति विश्वास बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोपों का इस्कॉन के कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और संगठन अपने धार्मिक और सामाजिक कार्यों को पूरी निष्ठा के साथ जारी रखेगा।
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