बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान का घर और उनकी मूर्ति तोड़ने पर चुप्पी साधने वाले मोहम्मद यूनुस ने अब बांग्लादेश के 9 महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवसों को खत्म करने का ऐलान कर दिया है। जो नेशनल डे बांग्लादेश की एक राष्ट्र के तौर पर पहचान थे, उन्हें खत्म किया जा रहा है। मोहम्मद यूनुस को शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है. अब लगता है कि यूनुस को बहुत जल्द जमात-ए-इस्लामी से गोल्ड मेडल भी मिल जाएगा।पिछले 3 महीनों में बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ है उसे देखकर यही लग रहा है कि वो अंतरिम सरकार के मुखिया नहीं बल्कि जमात की कठपुतली हैं। एक और म्यांमार और बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिए भारत में जनसंख्या में बड़े बदलाव कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बांग्लादेश में हिंदुओं पर कट्टरपंथियों के हमले लगातार जारी हैं।दो दिन पहले दुर्गा पूजा के बाद जब प्रतिमा विसर्जन का आयोजन हुआ...तो बांग्लादेश के अलग अलग शहरों में विसर्जन यात्राओं पर कट्टरपंथियों ने हमले शुरु कर दिए....अब इस हिंसा और नफरत की तस्वीरें सामने आ रही हैं...बांग्लादेशी मीडिया में ये खबरें दबा दी गईं लेकिन सोशल मीडिया के जरिए बांग्लादेशी हिंदुओं का दर्द सामने आ गया है।असल में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस बातें धर्म निरपेक्षता की करते हैं...लेकिन उनकी नाक के ठीक नीचे...बांग्लादेश के कट्टरपंथी और उनके साथ मिला हुआ सिस्टम हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं।ऐसी घटनाएं बांग्लादेश की राजधानी ढाका का संखारी बाजार इलाके में हुई हैं...जहां से हिंदुओं की धार्मिक यात्रा गुजर रही थी...पहले कट्टरपंथियों ने दुर्गा पूजा की विसर्जन यात्रा पर ऐतराज किया...और जब हिंदुओं ने अपना त्योहार मनाने की ठानी...तो बांग्लादेशी पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने...अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बेरहमी से लाठी चार्ज कर दिया।
पुलिस ने हिंदुओं को इतनी बेरहमी से पीटा कि 70 से ज्यादा भक्त घायल हो गए...कुछ तो लड़खड़ाते हुए अस्पताल तक पहुंचे...तो कुछ खड़ा रहने लायक भी नहीं बचे थे...इन लोगों को स्ट्रेचर पर अस्पताल लाया गया..कई बेसुध थे तो कई गंभीर चोटों के शिकार। जिस संखाली बाजार इलाके में हिंदुओं पर हमला किया गया...वो हिंदू बहुल ही है...यानी यहां मुसलमान नाम बराबर रहते हैं...बावजूद इसके कट्टरपंथियों ने विसर्जन यात्रा निकालने पर हंगामा किया और जब विरोध किया गया तो जवाब में मिली मोहम्मद यूनुस सरकार की लाठी। 10 अगस्त को जब अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया था...तब मोहम्मद यूनुस ने ऐलान किया था अगर अल्पसंख्यकों पर हमला किया जाएगा...तो वो इस्तीफा दे देंगे...लेकिन ना तो हिंदुओं पर हमले रुके और ना ही मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफा दिया...जो बताता है कि मोहम्मद यूनुस कोरा झूठ बोल रहे थे. मोहम्मद यूनुस ने हिंदुओं को सुरक्षा देने का वादा किया था...किस किस्म की सुरक्षा दी गई...उसकी भी एक तस्वीर आपको दिखा देते हैं...ये ढाका के ही एक पूजा पंडाल का वीडियो है। प्रतिमा विसर्जन से पहले पंडाल के अंदर फौजी तैनात कर दिए गए थे...और फौजियों ने ही तय किया भक्त कितनी देर में...किस रास्ते से विसर्जन के लिए जा पाएंगे...बंदूकों के साए में पूजा कराकर यूनुस सरकार ने हिंदुओं को बता दिया..अगर बांग्लादेशी कट्टरपंथियों से वो बच भी गए...तो सिस्टम उन्हें नहीं बख्शेगा। ढाका से आई एक और तस्वीर आपको दिखाते हैं...बांग्लादेश के सांसद बहाउद्दीन बहार के समर्थकों ने...बाजारों में मौजूद हिंदू दुकानदारों पर हमला कर दिया था...कट्टपंथियों की भीड़ ने पहले दुकानों को बंद कराया और फिर हिंदू दुकानदारों पर हमला कर दिया। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की वजह से युनूस सरकार पर सवाल तो उठते ही हैं...सवाल उस अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर भी उठते हैं...जो गाजा के नाम पर साल भर से आवाज उठा रहा है...लेकिन बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अन्याय को लेकर खामोश बैठा है। (बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा)
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