- ठाकुरगंज की बेटी ने दिखा दिया की दृढ़ निष्ठा हो तो किसी भी बाधा को किया जा सकता है पार
- ठाकुरगंज की बेटी ने मकालू पर्वत शिखर पर पहुंच किया जिले का नाम रौशन
कोलकाता: सिलीगुड़ी से मात्र 57 किलोमीटर दूर बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र ठाकुरगंज की बेटी ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो इस उम्र में कोई लड़की सोच भी नहीं सकती। हम बात कर रहे है 27 साल की सृष्टि नखत की। दादा नागराज नखत (आधुनिक किसान) और पिता बच्छराज नखत(पत्रकार)। सृष्टि नखत ने विश्व की पांचवीं सबसे ऊंची शिखर माउन्ट मकालू के बेस कैंप को फतह किया। मकालू कंचनजंघा और लहोत्से के बाद विश्व की पांचवीं सबसे ऊंची शिखर है। 5000 किलोमीटर
का दुर्लभ यह सफर 13 दिनों का था। इस दु:साहसिक सफर में कई बार जीवन को मौत का सामना भी करना पड़ा। लेकिन कहते है की दृढ़ निष्ठा हो तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उसकी कामयाबी से सृष्टि की कामयाबी पर पूरा परिवार काफी खुश है। शिक्षा के लिए बंगाल के कोलकोता में रह रही
सृष्टि ने मामा विपुल ललवानी और मौसी बिनीता भुतेरिया से इस
ऊँची चोटी" माउन्ट मकालू के संबंध में जाना। उसके बाद इस चोटी को फतह करने का संकल्प लिया। पहले ही प्रयास में सभी बाधाओं को पार कर इस चोटी को फतह कर लिया। सृष्टि ने अपने 13 दिनों के इस पर्वतारोहण के संबंध में कहा की यह सुनने में जितना आसान लग रहा है वह उतना ही मुश्किल था। पहले दिन के सफर और भूस्खलन के बाद इस यात्रा को बंद कर लौटने का मन किया। फिर दूसरे दिन के बाद आगे बढ़ने का हौसला बढ़ा। कई बार पहाड़ से फिसलन का शिकार भी बनी। लेकिन अपने साथ चल रहे तीन साथियों के हौसले ने पहाड़ पर विजय करने का मार्ग प्रशस्त करवा दिया। इस पूरे यात्रा के दौरान
50- 55 हजार सीढ़ियों को चढ़ना, नदियां, बरसाती दिनों की पगडंडी, कई झरनों और बार बार भूस्खलन से पहाड़ का हिस्सा टूटकर गिरते देखना काफी रोचक रहा। इससे भी ज्यादा पहाड़ की चोटी से हरे भरे जंगल को निहारना मानों किसी दिवा स्वप्न से कम नहीं था। इस सफलता से आने वाले दिनों में और भी कई चोटियों को फतह करने का हौसला मिल रहा है।बताते चले की 15 मई 1955 को जीन फ्रेंको के नेतृत्व में एक फ्रांसीसी अभियान के लियोनिल टेदे और जीन कुजी ने इस जग पहुंचे थे। (कोलकाता से अशोक झा )
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/