- ट्रैफिफ ओसी की पहल की सभी करे रहे प्रशंसा , जल्द किया जाएगा उद्घाटन
कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों" ये एक बहुत ही प्रेरणादायक कविता है जो दुष्यंत कुमार जी ने लिखी है। इसका सीधा सा यही मतलब है कि कोई भी कार्य कठिन नहीं होता बस जरूरत है सही मन और पक्के इरादे से उस कार्य को पूरा करने की कोशिश करना। इस दुनिया मे ऐसा कोई असम्भव कार्य नहीं है जो मनुष्य के हौसलों से बड़ा हो। इस बात को चरितार्थ किया है सिलीगुड़ी कमिश्नरेट की बागडोगरा ट्रैफिक गार्ड ओसी स्वपन रॉय ने। स्वच्छता और प्रकृति प्रेम से लगाव रखने वाले स्वपन रॉय ने बागडोगरा बिहार मोड़ जहां गंदगी और प्रदूषण के कारण लोगों का खड़ा हो पाना मुश्किल था वहां सुंदर और आधुनिक मुक्तमंच का निर्माण करवाया। इसकी हर और सराहना हो रही है। यह मंच बंगाल में पहला उदाहरण होगा। इस पहल पर अगर दूसरे जगह भी अनुकरण किया जाय तो बंगाल की सुंदर तस्वीर यहां आने वाले देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है। बागडोगरा फ्लाईओवर का निचला हिस्सा एक अज्ञात डंपिंग ग्राउंड में तब्दील हो गया था। परिणामस्वरूप, कभी-कभी दृश्य प्रदूषण की शिकायतें आती थीं। इस बार उस स्थिति को बदलने की पहल सिलीगुड़ी कमिश्नरेट की बागडोगरा ट्रैफिक गार्ड ओसी स्वपन रॉय ने कर सभी को चौका दिया है।
क्या है ट्रैफिक गार्ड की पहल: बागडोगरा ट्रैफिक गार्ड ओसी स्वपन रॉय ने कहा, 'यहां काम करते समय मैं देखता था कि धूप और बारिश में इंतजार करने या बैठने की कोई जगह नहीं है। बुजुर्गों के बैठने और समय बिताने के लिए जगह की कमी। गाड़ी का इंतज़ार करने या गाड़ी से उतरने का कोई प्रावधान नहीं था। उन्होंने कहा, उन समस्याओं के समाधान के लिए ओवरब्रिज के नीचे पेवर्स ब्लॉक के एक फर्श को लोहे की रेलिंग से घेर दिया गया है। लोहा का बेंच इनमें दो बेंच वरिष्ठ नागरिकों के लिए आरक्षित किया गया हैं। ओसी ने यह भी कहा, 'सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए उस क्षेत्र में एक स्वतंत्र मंच की आवश्यकता थी। हाल ही में वहां मुक्त मंच का निर्माण पूरा हुआ है। कुछ ही दिनों में इसका उद्घाटन किया जाएगा। इस काम में मदद के लिए कुछ दयालु लोग आगे आए हैं।' ओसी ने यह भी कहा कि बैडमिंटन, कैरम और शतरंज खेलने की भी व्यवस्था है। वंचित परिवारों के बच्चे जो बैडमिंटन खेलना चाहते हैं, उनके लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। खेल समाप्त होने के बाद सभी वस्तुओं को यथास्थान छोड़ देना चाहिए। बागडोगरा पुलिस स्टेशन के ओसी पार्थसारथी दास ने कहा, 'बिहार मोड़ को बागडोगरा का दिल कहा जा सकता है। यदि कोई क्लब या संस्था मुक्तमंच में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करती है तो उसे मंच, प्रकाश व्यवस्था, कुर्सी आदि पर अतिरिक्त खर्च करने की जरूरत नहीं है। राहगीरों को भी कार्यक्रम देखने का मौका मिलेगा।' बागडोगरा वासियों ने पुलिस की इस पहल की सराहना की। अक्टूबर के पहले सप्ताह में इसका उद्घाटन होने की उम्मीद है। बताया जाता है की रॉय इसके पहले भी दार्जिलिंग मोड़ और सालबाडी में ट्रैफिक में रहते हुए कई बड़े खूबसूरत सुधार कर लोगों को ध्यान आकर्षित करवाने में सफल हुए थे। ( सिलीगुड़ी से अशोक झा की कलम से)
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