- क्या कांग्रेस सिर्फ नेताओं का अपने लिए करती है इस्तेमाल
कांग्रेस ने एक अधिसूचना जारी कर पूर्व लोकसभा सांसद और पश्चिम बंगाल कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को पद से हटा दिया। उनकी जगह शुभंकर सरकार को पार्टी ने नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा है की क्या ममता के खिलाफ लड़ाई के कारण या चुनावी हार से उन्हे हटाया गया। क्या कांग्रेस नेताओं का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करती है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने शुभंकर सरकार को तत्काल प्रभाव से पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। इसके साथ ही उन्हें एआईसीसी सचिव के पद से भी हटा दिया गया है। इसके साथ ही अधिसूचना में लिखा गया कि पार्टी निवर्तमान पीसीसी अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के योगदान की सराहना करती हैं। पिछले दिनों अधीर रंजन चौधरी ने बातचीत में कहा कि जिस दिन से मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी अध्यक्ष बने हैं उस दिन से पार्टी संविधान के मुताबिक बाकी सभी पद अस्थायी हो गए हैं। मेरा पद भी अस्थायी हो गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अधीर रंजन की अध्यक्ष और एआईसीसी से विदाई क्यों हुई?टीएमसी को लेकर सामने आई थी तकरार:अधीर रंजन चौधरी लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल में ममता के साथ गठबंधन के खिलाफ थे। हालांकि ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी लेकिन दोनों पार्टियों ने प्रदेश मे अलग-अलग चुनाव लड़ा। ये और बात है कि दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई, इसलिए मजबूरन दोनों अलग-अलग लड़े। अधीर रंजन का विरोध सहमति नहीं बनने से पहले भी था। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और टीएमसी के गठबंधन को लेकर अधीर रंजन आलाकमान के खिलाफ हो गए थे। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को कहना पड़ा था कि उनकी राय आलाकमान और कांग्रेस पार्टी से अलग हैं। उनके बयान को निजी माना जाए। हालांकि अधीर रंजन ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी। पार्टी का सर्वमान्य चेहरा नहीं थे चौधरी:प्रदेश की राजनीति के जानकारों की मानें तो अधीर रंजन से हाईकमान इसलिए भी नाराज था क्योंकि वे पार्टी की राज्य इकाई का संचालन अपने दिल्ली स्थित आवास से ही कर रहे थे। उनका पूरे प्रदेश में प्रभाव भी नहीं था उन्हें प्रदेश में कांग्रेस का सर्वमान्य चेहरा होना चाहिए था लेकिन वे केवल अपनी सीट तक ही सीमित थे। 1991 में जाॅइन की थी पार्टी: अधीर रंजन चौधरी ने 1991 में कांग्रेस पार्टी जाॅइन की थी। 1991 में ही उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव जीता था। 17वीं लोकसभा में वह सदन में कांग्रेस के नेता थे। वे बंगाल की बहरामपुर सीट से 5 बार के सांसद थे। इस बार उन्हें अपने गढ़ में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी क्योंकि टीएमसी ने उनके सामने युसूफ पठान को मैदान में उतारा था। ( कोलकाता से अशोक झा की कलम से)
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