नवरात्र के दौरान एक तरफ फलाहार भोजन का चलन बढ़ जाता है, तो वहीं बंगाल के लोगों को नवरात्र में मछली के लजीज पकवानों का खास इंतजार रहता है।हिल्सा ना सिर्फ पाक परंपरा का अभिन्न हिस्सा मानी जाती है बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में भी बहुत महत्व रहा है। वहीं हिल्सा मछली, मछलियों का राजा कहलाती है। इसे लेकर आंध्र प्रदेश में कहावत प्रसिद्ध है – ‘पुस्तेलु अम्मि आयीन पुलसा तिनोच्चु’ यानी पुलसा खाने के लिए अगर मंगलसूत्र भी बेचना पड़े तो भी ठीक! ऐसे में आइए, आपको बताते हैं हिल्सा से जुड़े कुछ दिलचस्प सांस्कृतिक, भौगोलिक तथ्य।
पिछले कुछ सालों से दुर्गा पूजा फीकी रही है। इस बार दशहरा पूरे देश में धूम धाम और बिना रोक टोक के मनाया जा रहा है। ऐसे में दुर्गा पूजा का पंडाल सजने लगा है और इसमें बंगालियों के लिए तरह-तरह की मछलियों के पकवानों का स्टॉल भी लग जायेगा। इस बार बांग्लादेश से खास तौर पर हिलसा मछली मंगवाई जायेगी। बंगालियों को यह मछली बेहद पसंद है। दरअसल, मीठे जल में पाई जाने वाली हिलसा मछली पोषक तत्वों का पावरहाउस है। हिलसा मछली हेल्थ के लिए बेहतरीन डाइट है। इसमें मौजूद पोषक तत्वों कई बीमारियों से हमें दूर रख सकते हैं। बांग्लादेश सरकार ने पश्चिम बंगाल में हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा उत्सव से पहले अहम कदम उठाया है। देश की अंतरिम युनूस सरकार ने भारत की मांग को पूरा करने के लिए भारत को 3,000 टन हिल्सा मछली के निर्यात को मंजूरी दे दी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपने पूर्व फैसले को पलटते हुए अब भारत को तीन हजार टन हिल्सा मछली के निर्यात की अनुमति दे दी है। बांग्लादेश सरकार ने अपने निर्णय में यह बदलाव दुर्गा पूजा के मद्देनजर किया है। वाणिज्य मंत्रालय ने बयान में कहा, निर्यातकों की अपील को देखते हुए आगामी दुर्गा पूजा के अवसर पर विशिष्ट शर्तों को पूरा करते हुए 3,000 टन हिल्सा मछली (भारत को) निर्यात करने की मंजूरी दे दी गई है। मंत्रालय ने आवेदकों से निर्यात की अनुमति प्राप्त करने के लिए संबंधित शाखा से संपर्क करने को कहा।शेख हसीना की सरकार ने सितंबर और अक्टूबर में भारत को हिल्सा का हमेशा दिया है गिफ्ट: अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली पिछली अवामी लीग सरकार ने सद्भावना के तौर पर हर साल सितंबर और अक्टूबर के बीच भारत को हिल्सा निर्यात की अनुमति दी थी। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही थी। अधिकारियों ने बताया कि बांग्लादेश ने 2023 में 79 कंपनियों को भारत को कुल 4,000 टन निर्यात करने की अनुमति दी थी।
बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा हिल्सा उत्पादक देश: बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा हिल्सा उत्पादक है, लेकिन स्थानीय मांग अधिक होने के कारण वह इस मछली के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है। हालांकि, दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान, वह आमतौर पर इस मछली के निर्यात पर प्रतिबंध में ढील देता है, जो बंगालियों का एक बहुत पसंदीदा व्यंजन है। भारत के मछली आयातक संघ ने बांग्लादेश से किया था आग्रह: भारत के मछली आयातक संघ ने इस महीने की शुरुआत में बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से दुर्गा पूजा के दौरान भारत को हिल्सा मछली के निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया था, जब देश में अशांति और सरकार परिवर्तन के कारण इस वर्ष मछली के निर्यात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी। एसोसिएशन के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने नौ सितंबर को लिखे पत्र में बताया कि बांग्लादेश ने 2012 में हिल्सा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन पिछले पांच वर्षों से सद्भावना के तौर पर वह सितंबर के पहले सप्ताह से दुर्गा पूजा के अंत तक सीमित मात्रा में इसके निर्यात की अनुमति दे रहा है। जानकर डॉक्टर का कहना है की सौ ग्राम हिलसा मछली में 22 ग्राम प्रोटीन,19.5 ग्राम फैट, पोलीसैचुरेटेड फैट ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं. इसके अलावा हिलसा मछली में ईपीए और डीएचए ओमेगा फैटी एसिड भी पाया जाता है। साथ ही सौ ग्राम हिलसा मछली से हमें 27 प्रतिशत विटामिन सी, 204 प्रतिशत कैल्शियम और 2 प्रतिशत आइरन की प्राप्ति हो सकती है। पैदा होने के बाद से ही टेढ़े हैं बच्चे के पैर? ठीक हो सकती है ये बीमारी। हल्के में न लें पीठ और सिर दर्द को? इस डिजीज के हो सकते लक्षण, ऐसे करें बचाव : हार्ट और ब्रेन के फंक्शन को तेज करती है। हिलसा मछली के सेवन से हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, हाइपरटेंशन, कार्डिएक एरिथमिस, डाइबेट्स रूमेटोएड ऑर्थराइटिस, कैंसर और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का जोखिम बहुत कम हो जाता है और ब्रेन का डेवलपमेंट भी सही से होता है। बताया कि हिलसा मछली में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड के कारण खून में मौजूद ट्राइग्लिसराइड की मात्रा कम हो जाती है जिससे ब्लड प्रेशर भी कम हो जाता है और हार्ट अटैक होने का खतरा कम हो जाता है। इससे खून के जमने की आशंका भी नहीं रहती है। हिलसा ब्रेन पावर को बढ़ाने के लिए भी बेहतरीन आहार है। वहीं इसके सेवन से इंसुलिन भी संतुलित रहता है। कील-मुहांसों को इन आसान उपाय से दूर करें। कील-मुहांसों को इन आसान उपाय से दूर करें। आंख और बोन हेल्थ को मजबूत करती है हिलसा। हिलसा में मौजूद विटामिन ए और ओमेगा 3 फैटी एसिड आंखों की हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है। हिलसा मछली का सेवन करने से ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है। हिलसा में विटामिन ए, डी और ई भी पाए जाते हैं जो बहुत कम फूड में मिलते हैं। इससे रंतौधी की बीमारी नहीं होती और बच्चों में इसका सेवन करने से रिकेटस की बीमारी भी नहीं लगती। इतना ही नहीं हिलसा मछली में आयोडीन, सेलेनियम, जिंक, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं जो थायरायड ग्लैंड को हेल्दी रखते हैं। थायराइड ग्लैंड से एंजाइम निकालने में मदद करता है जो एंजाइम कैंसर से लड़ने के लिए बेहद कारगर है। हिलसा मछली में मौजूद फॉस्फोरस और कैल्शियम के कारण हमारी बोन हेल्थ भी मजबूत होती है।
बारिश का मौसम यानी मॉनसून का हमारे देश की संस्कृति से बहुत अभिन्न रिश्ता रहा है। जहां एक अंचल धान की रोपाई और अन्य फसलों की बुआई के दौरान सावन के गीत, कजरी, मल्हार और बिहाग से गूंजता है तो नयी-नवेली हरियाली के बीच सावन के झूलों का मज़ा लेती, गीत गाती महिलाएं भी मन मोह लेती हैं. समय के साथ साथ बाढ़, विस्थापन, रोग वगेरह की त्रासदी भी मॉनसून के दौरान जीवन शैली का हिस्सा बन गई है। ये सब हमारे लोक गीतों में प्रतिध्वनित होते रहते हैं। बदलते वक्त के साथ मॉनसून के गीत बदले हैं, हमारे सरोकार बदले हैं, कुछ जीवन शैली भी। लेकिन एक चीज़ है जिसकी अहमियत हमारी संस्कृति और रसोई में कम नहीं हुई है और वह है- हिल्सा मछली। हिल्सा ना सिर्फ पाक परंपरा का अभिन्न हिस्सा मानी जाती है बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में भी बहुत महत्व रहा है। माना जाता है कि गुप्त और मौर्य काल में भी हिलसा को समृद्धि का प्रतीक माना जाता था और यह एक विशिष्ट पकवान के तौर पर शाही रसोइयों की शोभा बढ़ती थी। ऐसे में आइए, आपको बताते हैं हिल्सा से जुड़े कुछ दिलचस्प सांस्कृतिक, भौगोलिक तथ्य: बांग्लादेश में होती है सबसे ज्यादा हिल्सा मछली हिल्सा यानी टेनुआलोसा इलिशा भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और बर्मा समेत दुनिया भर के 11 देशों में पाई जाती है। भारत में यह महानदी, चिल्का, गोदावरी, रूपनारायण, हुगली और नर्मदा नदियों में पाई जाती है। लेकिन दुनिया भर की 86 प्रतिशत हिल्सा मछली बांग्लादेश में ही होती है। हिल्सा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली भी है और देश की कुल जीडीपी में 1 प्रतिशत योगदान हिलसा उत्पादन का है।धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल : बंगाल में हिल्सा को धार्मिक अनुष्ठानों और महोत्सवों के दौरान परोसा जाता है। विवाह के रीति-रिवाजों में भी इसका महत्व रहा है. गाए होलुद के बाद दूल्हे पक्ष की तरफ से दुल्हन को हिल्सा भेंट देने का रिवाज था। लेकिन चूंकि अब भारत में हिल्सा का उत्पादन ना सिर्फ कम हुआ है बल्कि यह बहुत महंगी भी हो गयी है, इसलिए अब रोहू मछली को उपहार में देने का चलन हो गया है, हालांकि बांग्लादेश में अब भी इस अनुष्ठान में हिल्सा को ही भेंट स्वरूप दिया जाता है। (बांग्लादेश सीमा से अशोक झा)
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