हर हर महादेव...
त्रयंबकेश्वर 🙏
महाराष्ट्र में पालघर से निकल कर पठारो पर विचरण करते हुए आगे बढ़ रहा था। पारा 42 डिग्री से ऊपर। सड़कों पर सन्नाटा। रास्ते में एक बोर्ड पड़ा जिसमें लिखा था त्र्यंबक 35 किलोमीटर। मैंने अपने ड्राइवर से पूछा क्या यह वही त्र्यंबक है जहां पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है। उसने कहा हम लोग जहां चल रहे हैं इस बीच में यह ज्योतिर्लिंग पड़ेगा।
चूंकि अगले पड़ाव पर पहुंचना था और वक्त भी कम था। मंदिर में भीड़ इतनी होती है कि दर्शन संभव नहीं थे। मेरे ड्राइवर ने कहा कि आप जाओ दर्शन हो जाएंगे। जब तक मैं गाड़ी मोड़कर वापिस लेकर आऊंगा तब तक आप दर्शन करके आ जाओगे। इतनी भयंकर भीड़ में उसको इस कदर भरोसा था तो मैं दर्शन के लिए उतर गया। मंदिर के गेट पर पहुंचा तो वहां एक सुरक्षा कर्मी से गुजारिश की और कहां की चुनाव के लिए महाराष्ट्र में रिपोर्टिंग करने आया हूं। लाइन में लगकर दर्शन करने में बहुत ज्यादा वक्त लग जाएगा। और मुझे आगे फिर काम पर निकलना है। क्या आप चलकर दर्शन करा देंगे। मुझे मालूम था ऐसा कहने पर भला कोई सुरक्षा कर्मी क्यों जाएगा। वह भी तब जब दो से तीन घंटे की लंबी लाइन लगी हुई थी।
पता नहीं उसकी क्या समझ में आया, उसने अपने साथी से मराठी में कुछ कहा और मुझे लेकर चल पड़ा। मुझे इस पोस्ट को लिखने में जितना वक्त लगा उससे कम समय में सुरक्षा कर्मी मुझे बाबा के दरबार में लेकर हाजिर था। ईश्वर जाने यह संयोग था या कुछ और, वह सुरक्षा कर्मी क्यों मेरी बात मानकर मुझे ले गया। क्योंकि जहां दर्शन के लिए घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है। वहां तक मुझे पहुंचने और दर्शन कर वापिस आने में सिर्फ में तीन मिनट लगे।
मैं जैसे बाहर आया मेरा ड्राइवर गाड़ी मोड़ के गेट पर पहुंच चुका था। बनारस के पांडे जी है मेरे महाराष्ट्र में ड्राइवर। मुस्कराते हुए कहने लगे... कर लिए दर्शन सर...मैं कह रहा था न सर... जब तक हम गाड़ी मोड़ लाएंगे तब तक आप दर्शन करके आ चुके होंगे...चलिए अब चलते हैं...😊😊
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः
🙏🙏🙏🙏 (अमर उजाला नई दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार आशीष त्रिपाठी की कलम से)
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