नईदिल्ली से विमान पर सवार होकर मदुरै जाने के बाद मंदिरों की नगरी में भ्रमण के दूसरे दिन धनुषकोड़ी भी जाना हुआ। लगभग साठ साल पहले दिसंबर के महीने में आयी तबाही से यह इलाका किस कदर तबाह हो गया था,उसके निशान पग-पग पर मिल रहे थे। उस हादसे में जब समंदर में समा गई थी पूरी ट्रेन। सौ से ज्यादा लोग उस ट्रेन में सवार थे। मैं तो पैदा भी नहीं हुई थी मेरे पिता जी उस तबाही की चर्चा अक्सर रामेश्वरधाम की चर्चा घर में होने पर सुनाते रहते थे।
धनुषकोड़ी स्टेशन का नामोनिशान मिटने से लेकर रोंगटे खड़े कर देने वाले किस्से बचपन में सुनने के दौरान कभी सोचा भी नहीं था, इस जगह आने का मौका मिलेगा। प्रभु इच्छा से दक्षिण भारत में भ्रमण के दौरान भारत के वीरान छोर धनुषकोड़ी जाने का सौभाग्य मिला,जहां समंदर किनारे खड़े होने पर श्रीलंका दिखता है। वहां भ्रमण के दौरान तबाही का मंजर साफ-साफ दिखाई दिया। कई ऐसे मंदिर भी मिले जहां प्रभु की मूर्ति इस तबाही को झेलकर भी खड़ी है। पति समीर व बेटी नियति के साथ भ्रमण के दौरान एक स्वामी जी से मुलाकात हुई। वह उस तबाही का मंजर बताने लगे। अस्सी साल के करीब पहुंच गए स्वामी जी ने बताया कि 1964 में आयी तबाही में पूरी ट्रेन जहां समंदर में समा गयी, स्टेशन का नामोंनिशान मिट गया वहीं एक हजार से ज्यादा लोगों की जिंदगी चली गयी। जिस समय यह तबाही आयी स्वामी जी बताते हैं वह पंद्रह साल के थे। इस तबाही के बाद भी प्रभु के मंदिरों के अवशेष में जाकर मत्था टेकने संग पूरा दिन वहीं बिताया। लगभग साठ साल पहले आयी तबाही के बाद किस तरह धनुषकोड़ी में प्रभु की महिमा पग-पग पर दिखाई दी,उसको देखकर दिल से भगवान को शीश नवाने के बाद सभी मित्रों व शुभेच्छुओं पर कृपा बनाएं रखने की प्रार्थना की। अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर प्राणप्रतिष्ठा समारोह से पहले धनुषकोड़ी आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पूजा करने की खबर अखबार में पढ़ने के बाद इस जगह आकर जो महसूस हुआ उसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।
सबसे खास रहा लाइट हाउस.. जो धनुषकोडी के रास्ते में मौजूद है..इस लाइट हाउस के दृश्य को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है, दृश्य इतना अद्भुत है कि कोई भी पूरी दुनिया को भूल जाना चाहता है। सुंदर प्रकृति के उस पल को संजोना चाहता है। एक तरफ बंगाल की खाड़ी है और दूसरी तरफ हिंद महासागर है.. दोनों धनुषकोडी के अंतिम छोर पर समुद्र मिलन होता है जहां से श्री रामजी ने रामसेतु बनाया था. लाइट हाउस में कुछ वक्त बिताने के साथ रोम-रोम में प्रभु श्रीराम का आर्शीवाद मिलने की अनुभूति होती रही।
(ग्रेटर नोएडा की रंजना सूरी भारद्वाज की कलम से)
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