'भारत की विकास की दर अच्छी रही, तो वर्ष 2030 तक भारत तीसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था बन जाएगा', यह विश्वास 'एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्ज' प्रतिष्ठान ने व्यक्त किया है । एक टूट रहे हैं, दूसरे बना रहे हैं। इधर, विपक्षी गठबंधन को बंगाल में ममता और पंजाब में केजरीवाल झटके दे रहे हैं। उधर, कांग्रेस है कि न्याय यात्रा कर रही है। असम सरकार ने यात्रा के नायक को एक खास जगह जाने की इजाजत नहीं दी। धरना और भाषण। उधर, असम सरकार का जवाब! मीडिया अभी तक अयोध्या मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मोदी के दिए भाषण को अभी तक डिकोड करने में व्यस्त है। मोदी 'देव से देश' और 'राम से राष्ट्र' को जोड़ रहे हैं। विद्वान उनके आवाहन, रूपकों और व्यंजनाओं को डिकोड कर रहे हैं। जबकि विपक्षी इसे तमाशा कहे जा रहे हैं। इधर, मंदिर में भक्तों की भीड़ है। चैनलों के कैमरे भक्तों की भीड़ पर न्योछावर हैं। सभी संत जन राम की वापसी पर उल्लसित हैं। उधर, एक दक्षिणी से 'फाल्स गाड' की आवाज आ रही है। एक सपा नेता कह रहे हैं कि अगर पत्थर की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है तो मुर्दे को जिंदा क्यों नहीं किया जा सकता? एक कहता है ऐसे लोग 'भक्ति भाव' को क्या जानें! एक केरलीय कांग्रेसी नेता मोदी के ग्यारह दिन के कठोर अनुष्ठान उपवास पर ही सवाल उठा रहे हैं। सिर्फ एक कांग्रेसी आचार्य जरूर कहते हैं कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मोदी को धन्यवाद। हर चैनल मंदिर के उजड़ने और बनने का इतिहास बताता रहा कि वह कैसे। कैसे बना, किस-किस ने कुरबानियां दी। जो कार सेवक कल तक 'खलनायक' थे अब नायक की तरह दिखाए जाने लगे! कई चैनलों पर ज्ञानीजन मोदी के 'कालचक्र' की अवधारणा को लेकर अटके रहे : कोई कहता यह 'हिंदुत्व' व 'सनातन' का 'कालचक्र' है, कि 'सेकूलर' तो गया। कोई कहता कि मोदी 'सबका साथ, सबका विकास' पर अमल करते हैं। यही 'नया सेकूलर' है, क्योंकि हिंदू समाज स्वभाव से सेकूलर है। मोदी के भाषण में राम के रूपकों की भरमार रही। वे जिस ओज और तेज के साथ धाराप्रवाह बोले कि …राम आग नहीं, राम उर्जा हैं। राम विवाद नहीं, समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं। राम वर्तमान नहीं, अनंतकाल हैं। राम नित्य हैं, राम निरंतर हैं। ये सिर्फ विजय का क्षण नहीं, विनय का भी क्षण है। ये सिर्फ मंदिर नहीं, ये भारत के दर्शन का, दिग्दर्शन का मंदिर है, राष्ट्रचेतना का मंदिर है। राम भारत का विचार हैं, विधान हैं, चेतना हैं, चिंतन हैं। राम प्रवाह हैं, प्रभाव हैं। राम नेति भी हैं, नीति भी हैं। नित्य भी हैं, निंरतरता भी हैं। विश्व हैं, विश्वात्मा भी हैं। जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका असर हजारों वर्षों तक होता है। 'द्वैत' में कब 'अद्वैत' मिला, 'शुद्धद्वैत' कब 'विशिष्टाद्वैत' में बना, 'धर्म' कब 'आघ्यात्म' में मिक्स हुआ, 'नीति' में कब 'राजनीति' बदली…लगे रहो मुन्ना भाइयो! एक संत ने कहा कि ऐसा भाषण न देखा न सुना! कुछ व्याख्या करते रहे कि मंदिर एक सभ्यतामूलक विमर्श है, हिंदुत्व व सनातन की पुनर्स्थापना है, सांस्कृतिक नवजागरण है, राजनीति का नया प्रस्थान बिंदु है, यह देश की राजनीति का एक नया प्रस्थान बिंदु है..। धर्मनिरपेक्ष फिर भी कहते रहे कि धर्म और राजनीति को मिलाना, सांप्रदायिकता करना है। कल तक के एक धर्मनिरपेक्ष का सुर बदलता दिखा, जिसने कहा कि भारत में हिंदू या सनातन वैसा धर्म नहीं, जैसा कि अब्राह्मनिक धर्म है। यहां धर्म एक जीवन शैली है। इधर, मंदिर के तुरंत बाद मोदी का बुलंदशहर में चुनावी अभियान शुरू हुआ। उधर, विपक्षी गठबंधन से नीतीश के नाराज होने की खबरें और चैनलों का लपक लेना कि गठबंधन तो अब गया भइए! जरा उलटबांसी देखिए : एक तरफ मीडिया में विपक्षी गठबंधन में टूट-फूट की खबर पर खबर, दूसरी ओर बुलंदशहर में भाजपा द्वारा अपने चुनावी 'थीम सांग' को लेकर आना और बजाना। यह 'थीम सांग' हिंदी के छंद में पिरोया गया है, जिसके बारे में एक चैनल चरचा कर चुका है। एक ओर, विपक्षी गठबंधन का हाल बेहाल। दूसरी ओर, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ प्रधानमंत्री मोदी जयपुर में हवामहल तक का लंबा रोड शो करते हैं। अगले रोज यानी गणतंत्र दिवस की परेड में मैक्रों की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति और परेड में अन्य स्थायी झांकियों के साथ 'मंदिर' से लेकर 'वंदेभारतम' नृत्यगान, नए सेंट्रल विस्टा व नए संसद भवन की झांकियां। आसमान में देशी तेजस व रफाल की आकाशभेदी उड़ानें। फिर सूत्रों के माध्यम से एक चैनल की ब्रेकिंग न्यूज कि हो सकता है कि 28 जनवरी को नीतीश राजग में फिर से आएं और इस्तीफा देकर फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए और भाजपा के फिर से उप मुख्यमंत्री बन गए! क्या यह मंदिर का पहला प्रसाद है।
काले धन से घिरी हुई अर्थव्यवस्था ! भारत में एक काल ऐसा था कि भारतीयों का बहुत-सा पैसा तथा उसमें भी काला धन स्विस बैंकों में रखे जाने के समाचार प्रकाशित होते थे । स्विस बैंक भी उसके पास भारतीयों का बहुत सारा काला धन है, इसकी पुष्टि करता था । भारत एवं स्विस बैंक में वर्ष 2016 में एक समझौता हुआ । उसके अनुसार स्विस बैंक उसके पास स्थित भारतीयों के आर्थिक खातों की जानकारी नियमितरूप से भारत सरकार को उपलब्ध कराता जाएगा । वर्ष 2018 से स्विस बैंक उसके पास स्थित भारतीयों के काले धन की जानकारी भारत को प्रतिवर्ष उपलब्ध कराता रहा है । भारत को दी गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2006 तक तथा उसके आगे 2 वर्ष तक भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में धन का निवेश करने का स्तर अधिक रहा है । इसमें भारतीय उद्योगपति, व्यावसायी, प्रतिष्ठान तथा धनवान भारतीयों द्वारा की गई प्रावधि जमा तथा अन्य पैसों का समावेश है । वर्ष 2006 से वर्ष 2019 तक यह स्तर अल्प था । स्विस बैंक में प्रावधी जमा में ('फिक्स डिपॉजिट' में) पैसे रखनेवालों की संख्या ११ प्रतिशत घटी । वर्ष २०२० एवं वर्ष 2021 में यह स्तर कुछ मात्रा में बढ गया है । 'काले धन के अतिरिक्त देश का पैसा केवल देश से बाहर अर्थात निवेश हेतु जा रहा है', ऐसा कहा जा सकता है । भारत में भ्रष्टाचारियों की संख्या अल्प नहीं है । इसमें मुख्य रूप से राजनेता, कुछ जनप्रतिनिधि, बडे व्यावसायी, प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिस अधिकारियों का समावेश है । प्रत्येक भ्रष्टाचारी उसके पास वैध-अवैध पद्धति से जमा पैसों को सुरक्षित रखने हेतु उसे देश के बाहर रखने की चतुराई दिखाता ही है । उसके लिए स्विस बैंक तथा अन्य विदेशी बैंक उन्हें सुरक्षित स्थान लगते थे । तत्कालीन कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में इसका स्तर बहुत अधिक था। जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं अर्थात सत्ता में आए हैं, तब से भ्रष्टाचारियों पर बीच-बीच में 'सर्जिकल स्ट्राइक' की जा रही है । प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच विभाग एवं आयकर विभाग द्वारा की जानेवाली छापामारी के माध्यम से इस प्रकार की कार्यवाही करना बढा है । प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक रूप से कहा था, ''मैं इन विभागों में और अधिक लोगों की भर्ती करूंगा, अनेक उपाय करूंगा; परंतु भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही होकर रहेगी ।'' इसके फलस्वरूप 'देश में पोषित काला धन बडे स्तर पर उजागर होता है । यह पैसा देश में ही उजागर होने से उसका देश के बाहर जाना कुछ वर्षाें से रुक गया है', ऐसा स्विस बैंक के आंकडों से समझ में आता है । हाल ही में कांग्रेस के सांसद धीरज साहू के घरों एवं प्रतिष्ठानों पर आयकर विभाग की ओर से की गई छापामारी में 300 करोड रुपए से अधिक नकद धनराशि मिली । वर्ष 2022 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी के घर पर की गई छापामारी में 50 करोड रुपए से अधिक की धनराशि मिली थी । महाराष्ट्र तथा संपूर्ण देश के कुछ प्रतिष्ठानों पर की गई छापामारी में करोडों रुपए जब्त किए गए थे । वर्ष 2014 से 2022 की अवधि में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई छापामारी में १ लाख करोड रुपए की अवैध धनराशि जब्त की गई है । इससे काला धन का कारोबार कितना बडा होगा ?, इसका अनुमान लगाया जा सकता है, अर्थात ही कार्यवाही न की गई धनराशि तो प्रचंड ही होगी ! भारत में होनेवाले निवेश में वृद्धि ! पहले पैसा भारत से बाहर जाता था; परंतु आज भारत के विभिन्न राज्यों में मूलभूत सुविधाओं के लिए निवेश की आवश्यकता होने से अब विदेश से भारत में लाखों करोड रुपए निवेश किए जा रहे हैं । इस कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में धन आ रहा है । अनेक विख्यात बहुराष्ट्रीय प्रतिष्ठान, जिनके भारत में प्रतिष्ठान ही नहीं हैं, वे अब भारत में अपने कार्यालय खोलने हेतु प्रयासरत हैं । इस कारण वे भी बडे स्तर पर निवेश कर रहे हैं । इससे विभिन्न प्रतिष्ठान स्थापित होकर उससे रोजगार के अवसर बन रहे हैं ।'मेक इन इंडिया' की नीति के (भारत में उत्पादन करना) माध्यम से सीधे विदेशी निवेश में वृद्धि होकर वह 8 वर्षाें में 83 बिलियन डॉलर (६ लाख ८९ सहस्र करोड रुपए से अधिक) इतनी विशाल बन गई है । 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के कारण भारत में केवल वस्तुओं का ही नहीं, अपितु भारत पहले विदेश से हथियारों का आयात करता था, उन हथियारों तथा अन्य रक्षासामग्री का उत्पादन किया जा रहा है । भारत हथियार आयात करनेवाले देश से हथियार निर्यात करनेवाला देश बन रहा है । अनेक देशों की अर्थव्यवस्था डगमगाई है; परंतु भारतीय 'शेयर मार्केट' बढता जा रहा है । प्रतिष्ठानों के शेयर खरीदनेवालों को अच्छा लाभ मिल रहा है । 'सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च' ने एक ताजे ब्योरे में कहा है कि भारत इस शताब्दी के अंत तक 'सबसे बडी आर्थिक महासत्ता' के रूप में उदित होगा । भारत का सकल घरेलू उत्पाद चीन की तुलना में 90 प्रतिशत तथा अमेरिका की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक रहेगा ।. श्रीराम के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को गति ….! श्रीराम मंदिर के कारण अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय श्रेणी का हवाई अड्डा, अच्छी सडकें, अच्छे होटल तथा अनेक मूलभूत सुविधाओं की निर्मिति हुई है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्य अनेक मूलभूत सुविधाओं के लिए करोडों रुपए के निवेश की घोषणा की है । व्यापारियों के संगठन ने बताया है कि 'श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के दिन ही 50सहस्र करोड रुपए का निवेश हो सकता है' । एक दिन में 50 सहस्र करोड रुपए का निवेश कितना बडा होता है ?, यह भारत के कुछ राज्यों के बजट के आंकडों से समझ में आएगा । हिमाचल प्रदेश 53सहस्र 413 करोड, नई देहली 800 करोड, पंजाब 1 लाख96 सहस्र 462 करोड, राजस्थान 2 लाख 97 सहस्र 91करोड, इस प्रकार इन राज्यों का बजट होता है । इन वार्षिक आंकडों को देखने पर यह समझ में आएगा कि श्रीराम मंदिर के कारण एक दिन में होनेवाला लेन-देन कितना बडा है ? यह केवल पहले ही दिन में होनेवाला संभावित निवेश है । दिन-प्रतिदिन राममंदिर की ख्याति बढती ही जाएगी; इसलिए प्रतिदिन ही बडे लेन-देन की संभावना है । उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी के अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष न्यूनतम 10 करोड श्रद्धालु अर्थात प्रतिदिन 3 से 4 लाख श्रद्धालु अयोध्या आ सकते हैं । इन श्रद्धालुओं के कारण अयोध्या में निवास, भोजन, घूमना आदि के कारण न जाने कितना बडा आर्थिक लेन-देन होनेवाला है । इसके कारण सहस्रों लोगों को रोजगार मिलेगा । अयोध्या के श्रीराम मंदिर हेतु केवल भारत के लोगों ने ही ३ सहस्र करोड रुपए का चंदा दिया । कुछ लोगों ने तो 200 से 300 करोड रुपए का चंदा देने की तैयारी दर्शाई थी; परंतु न्यास ने उसे अस्वीकार किया ।राममंदिर के कारण रामराज्य के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त !
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से पूर्व श्रीराम की मूर्ति एक छोटे से तंबू में तथा अत्यंत विदीर्ण स्थिति में थी । उन्हीं अयोध्याधीश श्रीराम को अब भव्यदिव्य एवं अद्वितीय मंदिर में स्थान मिलनेवाला है । मंदिर को सभी दृष्टि से अद्भुत बनाने का प्रयास किया गया है । श्रीराम जैसे-जैसे उनके मूल स्थान पर अर्थात मंदिर में स्थानासीन होने निकले हैं, वैसे-वैसे देशवासियों में रामभक्ति की लहर उमड पडी है । श्रीराम के कारण अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है । संपूर्ण देश में श्रीराम मंदिर हेतु घंटा, वस्त्र, बरतन तथा अनुष्ठान हेतु सामग्री की निर्मिति होना आरंभ हो गया है । इसमें सहस्रों लोगों का योगदान मिल रहा है । श्रीराम हेतु प्रत्येक रामभक्त हिन्दू अपनी क्षमता के अनुसार योगदान देने का प्रयास कर रहा है । अभी तो कुछ करोड हिन्दू ही इसमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी हैं । इसके आगे हिन्दुओं का सहभाग बढता जाएगा तथा इसका परिणाम केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं, अपितु अनेक राज्यों में भी दिखाई देने लगेगा । अभी हो रही समृद्धि श्रीराम के कारण है । यह दृश्यमान समृद्धि मंदिर निर्माण के समय दिखाई देने लगी है, तो अदृश्य लाभ कल्पना से कितने परे होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती । यह केवल राममंदिर है । जब प्रत्येक हिन्दू रामभक्ति करने लगेगा तथा धर्माचरण करने लगेगा, उस समय भारत रामराज्य की ओर बढना आरंभ होगा । श्रीराम केवल स्थूल से ही नहीं, अपितु सभी दृष्टि से हिन्दुओं का कल्याण करेंगे । रामराज्य में धर्माधिष्ठित व्यवस्था होने के कारण व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का कायाकल्प होगा, यह निश्चित है ! एक मंदिर का निर्माण होने से क्या होता है ?, ऐसा पूछनेवाले महानुभावों के मुंह पर यह एक तमाचा होगा ! रिपोर्ट अशोक झा
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