नई दिल्ली: केंद्र की सरकार कानून की धाराओं में जिस प्रकार का बदलाव ला रही है उससे यह तय हो गया है की अब अगर नाबालिक से दुराचार किया तो मौत की सजा भुगतना होगा।संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन यानी मंगलवार को 49 सांसदों के निलंबन के साथ ही लोकसभा में विपक्ष के अब तक 95 सांसद निलंबित किए जा चुके हैं। ऐसे में सदन में विपक्ष की ताकत घटकर एक तिहाई रह गई है।
इस बीच केंद सरकार ने मौजूदा आपराधिक कानूनों की जगह तीन नए विधेयक भारतीय न्याय संहिता पेश किए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपराधिक कानून संशोधन से जुड़े तीन नए बिलों को लोकसभा के पटल पर रखा। गृह मंत्री तीनों बिलों पर बुधवार आज को 2.30 बजे जवाब देंगे। इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल 2023, CrPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को सदन में रखा गया है। इन विधेयकों को अगस्त में हुए संसद के मानसून सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में रखा था। बाद में तीनों बिलों को रिव्यू के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया था। पिछले सप्ताह विधेयकों का नया संस्करण लाया या। तीन नए बिलों को पेश करने के दौरान अमित शाह ने कहा कि इन महत्वपूर्ण विधेयकों पर विचार करने का उद्देश्य आपराधिक कानूनों में सुधार करना है। कानूनों में क्या होंगे बदलाव? IPC में फिलहाल 511 धाराएं हैं। इसके स्थान पर भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद इसमें 356 धाराएं रह जाएंगी। यानी 175 धाराएं बदल जाएंगी। भारतीय न्याय संहिता में 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 22 धाराएं हटाई गई हैं। इसी तरह CrPC में 533 धाराएं रह जाएंगी। 160 धाराएं बदलेंगी, 9 नई जुड़ेंगी, 9 खत्म होंगी। सुनवाई तक पूछताछ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए करने का प्रावधान होगा, जो पहले नहीं था। 3 साल के भीतर देना होगा फैसला सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम 3 साल के भीतर देना होगा। देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं। इनमें से 4.44 करोड़ मामले ट्रायल कोर्ट में हैं। इसी तरह जिला अदालतों में जजों के 25,042 पदों में से 5,850 पद खाली हैं। भड़काऊ भाषण पर 5 साल की सजा भड़काऊ भाषण और हेट स्पीच को अपराध के दायरे में लाया गया है। अगर कोई इंसान ऐसे भाषण देता है तो उसे तीन साल की सुनाई जाएगी। इसके साथ जुर्माना भी लगेगा। अगर भाषण किसी धर्म या वर्ग के खिलाफ होता है तो 5 साल की सजा का प्रावधान है। गैंगरेप में दोषी को आजीवन कारावास नए बिल के तहत गैंगरेप के दोषियों को 20 की सजा या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। अगर दोषी 18 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ ऐसा करता है तो उसे मृत्युदंड देने का प्रावधान है। मॉब लिंचिंग पर 7 साल की सजा अगर 5 या इससे ज्यादा लोगों का समूह किसी की जाति, समुदाय, भाषा और जेंडर के आधार पर हत्या करता तो हर दोषी को मौत या कारावास की सजा दी जाएगी। वहीं, इस मामले से जुड़े दोषी को कम से कम 7 साल की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है। भगौड़ों की अनुपस्थिति में जारी रहेगा ट्रायल भगौड़े देश में हों या नहीं, दोनों की मामलों में ट्रायल जारी रहेगा। उनकी सुनवाई होगी और सजा सुनाई जाएगी। मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलेगी नए बिल में एक बड़ा प्रावधान यह भी जोड़ा गया है कि अगर दोषी को मौत की सजा दी जाती है तो उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकेगा। कोर्ट देगा कुर्की का आदेश अगर किसी मामले में संपत्ति की कुर्की होती है तो उसका आदेश कोर्ट देगा, पुलिस का कोई अधिकारी नहीं। ऑनलाइन मिलेगी मुकदमों की जानकारी आम इंसान को एक क्लिक पर मुकदमों की जानकारी मिल सकेगा, इसलिए 2027 तक देश की सभी कोर्ट को ऑनलाइन कर दिया जाएगा ताकि मुकदमों का ऑनलाइन स्टेटस मिल सके। गिरफ्तारी हुई तो देनी होगी परिवार को सूचना किसी भी मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है तो उसकी सूचना परिवार को देना अनिवार्य होगा। इतना ही नहीं, 180 दिन के अंदर जांच को खत्म करके लिए ट्रायल के लिए भेजना होगा। 120 दिन में आएगा ट्रायल का फैसला किसी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई ट्रायल चलाया जा रहा है तो इसको लेकर 120 दिन में अंदर फैसला लेना होगा। यानी न्यायिक मामलों की रफ्तार बढ़ेगी।बहस पूरी हुई तो एक माह में अंदर आएगा फैसला अगर किसी मुकदमे में बहस खत्म हो चुकी है तो एक महीने के अंदर कोर्ट को फैसला देना होगा। फैसले की तारीख के 7 दिन के अंदर इसे ऑनलाइन उपलब्ध भी कराना होगा। चार्जशीट 90 दिन में फाइल होगी बड़े और गंभीर अपराध से जुड़े मामले में पुलिस को तेजी से काम करना होगा। उन्हें 90 दिन के अंदर चार्जशीट को फाइल करना होगा। अगर कोर्ट मंजूरी देती है तो समय 90 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। पीड़िता के बयान की रिकॉर्डिंग अगर मामला यौन हिंसा से जुड़ा है कि पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी। यह अनिवार्य होगा क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम अनिवार्य ऐसे अपराध जिसमें 7 साल या इससे अधिक की सजा का प्रावधान है, उनमें क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम का पहुंचना अनिवार्य होगा। बिना गिरफ्तारी के लिया जाएगा सैम्पल अगर किसी मामले में ब्लड सैम्पल लिया जाना है तो उसके लिए गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होगी। मजिस्ट्रेट के ऑर्डर के बाद आरोपी की हैंडराइटिंग, वॉयस या फिंगर प्रिंट के सैम्पल लिए जा सकेंगे। अपराधी का रिकॉर्ड होगा डिजिटल हर पुलिस स्टेशन और जिले में एक ऐसा अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो अपराधियों के काले चिट्ठे का रिकॉर्ड रखेगा। @ रिपोर्ट अशोक झा
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