सिलीगुड़ी: दलाई लामा 13 दिसंबर यानि आज मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित दोपहर के राजकीय भोज में शामिल होंगे। इसके अगले दिन वे 14 दिसंबर को सिक्किम से सालुगाड़ा के लिए रवाना हो जाएंगे, जहां उनका सेड-ग्यूड मठ, सालुगाड़ा में 'सेम्की' शिक्षा देने का कार्यक्रम है। इसके पहले तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इन दिनों सिक्किम पहुंचे हुए हैं। चीन सीमा से महज 58 किमी दूर वे गंगटोक के पुलजोर स्टेडियम में अपने अनुयायियों को बौद्ध धर्म से जुड़े उपदेश दिया। उनकी इस यात्रा से चीन को एक बार फिर मिर्ची लगना तय माना जा रहा है। हालांकि अब तक उसकी ओर से इस बारे में कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। एक्सपर्टों का कहना है कि यह कार्यक्रम भारत की सीमा में हो रहा है, इसलिए चीन का इस मामले कोई भी रिएक्शन करना उचित नहीं है।भारत-चीन के बीच 4 साल से सैन्य तनातनी: बताते चलें कि भारत-चीन के बीच पिछले 4 साल से पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनातनी चल रही है। दोनों ओर के 50-50 हजार सैनिक भारी हथियारों के साथ सरहद पर तैनात हैं। चीन जहां भारत से इस स्थिति को न्यू नॉर्मल मानने की बात कह रहा है।वहीं भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि मई 2020 से पहले की स्थिति बहाल किए बिना दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।डोकलाम में भी 2017 में हो चुका है तनाव: सिक्किम से सटे डोकलाम में वर्ष 2017 में दोनों देशों की सेनाएं 73 दिनों तक आमने-सामने डटी रही थीं। चीन अपनी दबंगई दिखाते हुए भूटान के डोकलाम तक पक्की सड़क बनाना चाहता था। लेकिन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा देख भारतीय सेना ने बलपूर्वक चीन को निर्माण कार्य करने से रोक दिया था। इसके बाद से चीन रह-रहकर भूटान को धन-बल से धमकाने में लगा है। ऐसे में दलाई लामा के सिक्किम में चीन की सीमा के इतने नजदीक कार्यक्रम करने से उसका बिलबिना तय माना जा रहा है।इस सब के बीच धर्म गुरु दलाई लामा को सुनने पहुंचे 30 हजार लोग: दलाई लामा को सुनने के लिए गंगटोक के पुलजोर स्टेडियम में मंगलवार को करीब 30 हजार श्रद्धालु पहुंचे। तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने कार्यक्रम में ग्यालसी थोकमे सांगपो के बोधिसत्व के 37 अभ्यास के बारे में बताया। साथ ही नई पीढ़ी को बोधिचित्त ('सेमकी') की अहमियत के बारे में बताया. की पीढ़ी के समारोह पर शिक्षण दिया। बोधिसत्व के 37 अभ्यास ('लकलेन सोदुनमा') एक प्राचीन पाठ है जो 14वीं शताब्दी ईसा पूर्व में एक बौद्ध भिक्षु टोकमे सांगपो ने लिखा था।उनका जन्म तिब्बत में शाक्य मठ के दक्षिण-पश्चिम में पुलजंग में हुआ था।
'सभी धर्म समान, मतभेदों को न दें बढ़ावा'
दलाई लामा ने अनुयायियों को संबोधित करते हुए कहा, 'सभी धर्म समान हैं, और सभी धर्म समान हैं। विविधता और धर्मनिरपेक्ष विचार को अपनाने से समझ, सहिष्णुता और साझा मूल्यों को बढ़ावा मिलता है, विश्वास या अभ्यास में मतभेदों पर हमारी सामान्य मानवता पर जोर दिया जाता है। इन आदर्शों को बनाए रखते हुए, समाज समावेशिता, सद्भाव के लिए प्रयास कर सकते हैं। @रिपोर्ट अशोक झा
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